करोड़ों खर्च होने के बावजूद ऊधमसिंहनगर में पांच हजार से अधिक बच्चे कुपोषित

बच्चों को स्वस्थ रखने के लिए सरकार हर साल करोड़ों रुपये खर्च करती है। कई कंपनियों ने आंगनबाड़ी केंद्रों को हाईटेक करने के लिए गोद भी ले रखा है।

By Skand ShuklaEdited By: Publish:Thu, 17 Sep 2020 03:39 PM (IST) Updated:Thu, 17 Sep 2020 03:39 PM (IST)
करोड़ों खर्च होने के बावजूद ऊधमसिंहनगर में पांच हजार से अधिक बच्चे कुपोषित
करोड़ों खर्च होने के बावजूद ऊधमसिंहनगर में पांच हजार से अधिक बच्चे कुपोषित

रुद्रपुर, जेेएनए : बच्चों को स्वस्थ रखने के लिए सरकार हर साल करोड़ों रुपये खर्च करती है। कई कंपनियों ने आंगनबाड़ी केंद्रों को हाईटेक करने के लिए गोद भी ले रखा है। फिर भी जिले से कुपोषण खत्म नहीं हा रहा है। जिले में 5517 बच्चे कुपोषित तो 515 अतिकुपोषित हैं। यह तो महिला एवं बाल विकास विभाग के आंकड़े हैं, जबकि हकीकत में इससे कहीं ज्यादा बच्चे कुपोषण के शिकार हैं। इसके बावजूद शासन-प्रशासन की नींद नहीं टूट रही है।

छह साल तक के बच्चे स्वस्थ रहें, इसके लिए जिले में 2287 आंगनबाड़ी केंद्र खुले हैं। इनमें 159985 बच्चे पंजीकृत हैं। गर्भवती 20893 व धात्री 17366 पंजीकृत हैं। तीन साल तक के बच्चों, गर्भवती व धात्री को टेक टू होम के तहत पोषाहार दिया जाता है। तीन से छह साल तक के बच्चों को मीनू के हिसाब से केंद्रों में कुक्कट भोजन दिया जाता है। साथ ही प्री शिक्षा भी मुहैया कराई जाती है।

हालांकि कोरोना काल में केंद्र बंद हैं और बच्चों को घर पर ही राशन पहुंचा दिया ज रहा है। हर माह बच्चों की सेहत की जांच के साथ वजन भी होता है। वजन के हिसाब से बच्चों को स्वस्थ रहने के टिप्स दिए जाते हैं। बच्चों व अभिभावकों को बच्चों को स्वस्थ रखने के बारे में विस्तार से बताया जाता है। इसके बावजूद बच्चे स्वस्थ नहीं हैं। केंद्रों में पोषाहार के नाम पर केवल खानापूर्ति की जाती है।

बच्चों की सेहत बनाने के लिए सीएम आंचल अमृत योजना, ऊर्जा याेजना, बाल पलासी योजना आदि योजनाएं संचालित हैं, मगर इसका ठीक से लाभ बच्चों को नहीं मिल पा रहा है। ऐसी स्थिति में बच्चे स्वस्थ नहीं हो पा रहे हैं। अतिकुपोषित बच्चों का जिला अस्पताल स्थित एनआरसी यानि पोषण पुनर्वास केंद्र में इलाज कराया जाता है। यदि क्रिटिकल बीमारी है तो निजी अस्पताल में इलाज कराया जाता है।

फिलहाल कोरोना की वजह से एनआरसी भंडारण केन्द्र बनाया गया है। इसलिए केंद्र में बच्चों को नहीं रखा जा रहा है। सुविधाएं भी नहीं हैं। बच्चों को टीएचआर घर पहुंचा दिया जा रहा हैं। जिला कार्यक्रम अधिकारी, यूएस नगर उदय प्रताप सिंह ने बताया कि बच्चों को स्वस्थ रखने के लिए कई योजनाएं संचालित की जा रही हैं। हर माह बच्चों का स्वास्थ्य परीक्षण किया जाता है। टेक टू होम योजना के तहत पोषाहार पहुंचाया जाता है। अतिकुपोषित बच्चों को स्वस्थ रखने के लिए इलाज किया जाता है। एनआरसी में डायटिशियन की तैनाती की गई है।

महिला एवं बाल विकास विभाग के मुताबिक अगस्त, 2020 तक जिले में 159985 बच्चे पंजीकृत हैं। इनमें बालक 805921 बालिका 79384 है। 5573 कुपोषित व 515 अतिकुपोषित बच्चे हैं। अगस्त, 2019 में 154613 बच्चे थे। इनमें बालक 78790 व बालिका 75823 थीं। 6700 कुपोषित और 552 अतिकुपोषित बच्चे थे।

जिले की कई कंपनियां सीएसआर में आंगनबाड़ी केंद्रों को गोद लिया है। जिससे केंद्र का भवन अच्छा हो और बैठने आदि की सुविधाएं हों। लोगों का कहना है कि केंद्रों को चमकाने के लिए गोद लिया गया है,मगर बच्चों को स्वस्थ रहने के लिए अधिकारी खास ध्यान नहीं दे रहे हैं। योजनाएं तो चल रही हैं,मगर इसका लाभ बच्चों को नहीं मिल रहा है। मानक के हिसाब से पोषाहार भी नहीं दिया जाता है। स्वास्थ्य परीक्षण के नाम पर खानापूर्ति की जाती है। बिना जांच के ही कार्यकर्ता घर बैठे ही दस्तावेजों में सब कुछ सही दर्ज कर रहे हैं। केंद्रों को हाईटेक के साथ बच्चों को स्वस्थ रखना भी जरुरी है।

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