Nainital Zoo के कई वन्य जीव बीमार, तेंदुआ अंधा तो लंगड़ा हो गया तिब्बती भेडिय़ा
नैनीताल चिडि़याघर में कई वन्य जीवों को बुढ़ापा आ गया है। जंगल का प्राकृतिक जीवन जीते तो शायद ही औसत आयु पूरी कर जिंदा रहते जलेकिन यहां मिल रहे पोषण से जिंदा तो हैं पर बुढ़ापे से शरीर जवाब देने लगा है।
किशोर जोशी, नैनीताल : नैनीताल चिडि़याघर (Nainital Zoo) में कई वन्य जीवों को बुढ़ापा आ गया है। जंगल का प्राकृतिक जीवन जीते तो शायद ही औसत आयु पूरी कर जिंदा रहते, जलेकिन यहां मिल रहे पोषण से जिंदा तो हैं पर बुढ़ापे से शरीर जवाब देने लगा है। एक तेंदुए की दोनों आंखों में मोतियाबिंद हो गया है जबकि तिब्बती भेडिय़े की एक टांग में इतना दर्द है कि वह तीन टांगों से ही बाड़े में विचरण करता है। प्राणी उद्यान के सबसे ऊपरी पहाड़ी में स्थित बाड़े में दो तेंदुए हैं। इसमें से एक की दोनों आंखों में मोतियाबिंद है, जो साफ दिखाई दे रहा है। उसी बाड़े में दूसरा लैपर्ड भी शारीरिक रूप से कमजोर हो चुका है। पर्यटकों समेत वन्यजीव प्रेमी जब इस बाड़े के समीप जाते हैं तो आंखों की रोशनी खो चुका तेंदुआ बोलने और लोगों की मौजूदगी के बाद भी गुर्राता नहीं है।
बुढ़ापे का है असर, औसत आयु कर चुके पार
चिडिय़ाघर के पशु चिकित्साधिकारी डा.हिमांशु पांगती के अनुसार जंगलों में रहने वाले तेंदुए की औसत आयु 14 साल के आसपास होती है, जबकि यहां मोतियाबिंद वाले लैपर्ड की आयु 17 साल से अधिक हो चुकी है। दूसरा तेंदुआ भी औसत आयु पार कर चुका है। जंगल में होते तो वर्चस्व की जंग व अन्य वजहों से जिंदा रहना मुश्किल होता लेकिन चिडिय़ाघर में बेहतर परवरिश के कारण जिंदा हैं। मोतियाबिंद के ऑपरेशन के लिए तेंदुए को बेहोश करना पड़ेगा लेकिन इस आयु में अब नहीं किया जा सकता लिहाजा उसके पोषण पर अधिक फोकस किया जा रहा है।
भेडिए ने भी पूरी की औसत आयु
तिब्बती भेडिय़ा की औसत आयु 12 से 14 साल होती है लेकिन नैनीताल चिडिय़ाघर का तिब्बती भेडिय़ा 15 साल की उम्र पूरी कर चुका है। उन्होंने उसके पैर में तकलीफ की वजह बुढ़ापा बताया। जोड़ा कि इन हालातों में किसी तरह के चिकित्सा उपाय नहीं किए जा सकते। औसत आयु पार कर चुके वन्यजीव शारीरिक रूप से कमजोर हो रहे हैं और उनका बाड़ों में विचरण कम हो गया है।
बुढ़ापे की बीमारी ने बाघों को भी जकड़ा
चिडिय़ाघर के वन क्षेत्राधिकारी अजय रावत के अनुसार रॉयल बंगाल टाइगर 15 साल की सीमा पार कर गया है, जबकि मादा रानी 14 साल की हो गई है। बुढ़ापे की वजह से दोनों का बाड़े में विचरण कम हो गया है। हिमालयन भालू का जोड़ा भी औसत आयु पार कर चुका है। उधर निदेशक व डीएफओ टीआर बीजूलाल के अनुसार आयु सीमा पार कर चुके वन्य जीवों के पोषण पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।