धारचूला में 13 हजार फीट की ऊंचाई पर है महादेव की गुफा, 2018 में पहली बार जवानों ने जारी की थी फोटाे

देवताओं और ऋषियों की भूमि उत्तराखंड में बहुत से ऐसे पवित्र स्थल हैं जिनके बारे में अभी तक बहुत कुछ जानकारी ही नहीं है। ऐसा ही एक स्थल है पिथौरागढ़ जिले के धारचूला तहसील में 13 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित सीपू गांव में।

By Skand ShuklaEdited By: Publish:Thu, 15 Oct 2020 11:44 AM (IST) Updated:Thu, 15 Oct 2020 04:07 PM (IST)
धारचूला में 13 हजार फीट की ऊंचाई पर है महादेव की गुफा, 2018 में पहली बार जवानों ने जारी की थी फोटाे
धारचूला में 13 हजार फीट की ऊंचाई पर है भगवान श‍िव की गुफा!

पिथौरागढ़, जेएनएन : देवताओं और ऋषियों की भूमि उत्तराखंड में बहुत से ऐसे पवित्र स्थल हैं जिनके बारे में अभी तक बहुत कुछ जानकारी ही नहीं है। ऐसा ही एक स्थल है पिथौरागढ़ जिले के धारचूला तहसील में 13 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित सीपू गांव में। गांव से करीब 12 किमी दूर एक प्राचीन गुफा है जिसके बारे में मान्यता है कि भगवान शिव ने इस गुफा में विश्राम किया था। शिव जिस पत्थर पर बैठे, उस पर आज भी उनके बैठने के निशान हैं। ग्रामीण इस क्षेत्र में मौजूद एक मात्र भोजपत्र के वृक्ष को शिव की लाठी का रूप मानते हैं। गुफा तक पहुंचने के लिए खड़ी चट्टान को पार करना होता है। गांव में बड़ी पूजा होने पर ग्रामीण गुफा तक जाकर प्रसाद चढ़ाते हैं।

गुफा के नजदीक ही मिलती माई का तालाब है। गर्मियों में भी पानी से लबालब भरे रहने वाले इस तालाब को सबसे पहले एक तिब्बती व्यापारी ने देखा। कहते हैं कि घोड़े पर सवार यह तिब्बती व्यापारी इस गुफा की गहराई नापने के लिए तालाब में उतरा तो फिर वापस नहीं लौटा। व्यापारी की टोपी सीपू गांव में फूटने वाले इस तालाब के स्रोत से निकली। इस तालाब की भी वर्ष में एक बार विशेष पूजा होती है। पिछले वर्षों में क्षेत्र भ्रमण के दौरान सीपू के ग्रामीणों से इन महत्वपूर्ण स्थानों की जानकारी आइटीबीपी के तत्कालीन डीआइजी एपीएस निंबाडिया को दी। इस पर उन्होंने आइटीबीपी की एक टीम यहां भेजी। यहां पहुंचे जवानों ने गुफा के बाहर की फोटो ली। जवानों के मुताबिक गुफा के भीतर कई शिवलिंग और बाहर आकर्षक चट्टानें हैं। जवान गुफा में करीब दो किमी भीतर तक गए। अनुमान है कि इसकी लंबाई चार से पांच किमी हो सकती है।

गुफा के भीतर हैं बर्फ के कई शिवलिंग

जवानों के अनुसार, गुफा में कई शिवलिंग बने हैं। गुफा के बाहर भी आकर्षक चट्टानें हैं। गुफा के भीतर ऊपर से पानी टपकता रहता है। ग्रामीणों ने इस गुफा को धार्मिक पर्यटन के रूप में विकसित करने की मांग की है। यदि गुफा तक पहुंचने का मार्ग बन जाए तो उच्व हिमालय में यह गुफा शिव की गुफा के रूप में आस्था और पर्यटन का प्रमुख केंद्र बन सकती है।

गुफा में पूजे जाते थे महादेव

सीपू के ग्रामीणों की मान्यता है कि इस गुफा में भगवान शिव ने लंबे समय तक तपस्या की थी। जब शिव यहां आए तो इस गुफा के पास एक पत्थर पर बैठे, आज भी उनके पैरों के निशान मौजूद हैं। शिव के यहां आने की मान्यता होने के कारण इस गुफा को महादेव गुफा के नाम से जाना जाता है। ग्रामीणों के अनुसार, पहले सभी लोग इसी गुफा में पूजा-अर्चना करते थे। अधिक चढ़ाई और पानी की व्यवस्था नहीं होने से बाद में महादेव की मूर्ति गांव में स्थापित कर दी गई। बड़ी पूजा होने पर गांव के मंदिर में बनने वाला प्रसाद इस गुफा में भी पहुंचाया जाता है।

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