हाईकोर्ट ने सरकार को स्टोन क्रशरों की जांच के लिए चार सप्ताह का समय और दिया

हाईकोर्ट ने स्टोन क्रशरों को लाइसेंस दिए जाने के खिलाफ दायर याचिका पर गुरुवार को सुनवाई की जिसमें हाई कोर्ट ने सरकार को स्टोन क्रशरों की जांच के लिए चार सप्ताह का समय और दे दिया।

By Skand ShuklaEdited By: Publish:Fri, 13 Mar 2020 08:51 AM (IST) Updated:Fri, 13 Mar 2020 08:51 AM (IST)
हाईकोर्ट ने सरकार को स्टोन क्रशरों की जांच के लिए चार सप्ताह का समय और दिया
हाईकोर्ट ने सरकार को स्टोन क्रशरों की जांच के लिए चार सप्ताह का समय और दिया

नैनीताल, जेएनएन : हाईकोर्ट ने स्टोन क्रशरों को लाइसेंस दिए जाने के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर गुरुवार को सुनवाई की। कोर्ट ने सरकार को स्टोन क्रशरों की जांच के लिए चार सप्ताह का समय और दे दिया है।

सरकार की ओर से कोर्ट में साफ किया गया कि स्टोन क्रशर संचालक निरीक्षण में सहयोग नहीं कर रहे हैं, जिस कारण कोर्ट के आदेशानुसार रिपोर्ट तैयार करने में देरी हो रही है। जबकि स्टोन क्रशर संचालकों ने आरोप लगाया कि कोर्ट के आदेश की आड़ लेकर 2005 की नियमावली का उल्लंघन किया जा रहा है। कोर्ट ने याचिका में कुमाऊं स्टोन क्रशर एसोसिएशन के पक्षकार बनने की अर्जी स्वीकार कर ली है। अगली सुनवाई 16 अप्रैल के लिए नियत की गई है।

गुरुवार को वरिष्ठ न्यायाधीश न्यायमूर्ति रवि मलिमथ व न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की खंडपीठ में बाजपुर निवासी त्रिलोक चंद्र की जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। याचिका में ईको सेंसिटिव जोन में स्टोन क्रशरों के लाइसेंस जारी नहीं करने, जो क्षेत्र औद्योगिक घोषित न हो, वहां स्टोन क्रशर के नए लाइसेंस जारी नहीं करने, स्क्रीनिंग प्लांटों के भी लाइसेंस जारी नहीं करने के लिए सरकार को निर्देशित करने की मांग की गई थी।  याचिका में कहा थ कि स्क्रीनिंग प्लांट नदी किनारे से दस मीटर दूर स्थापित करने के मानक पहले से हैं। इनकी कार्यप्रणाली भी स्टोन क्रशर के समान है। यह कभी भी नदी से अवैध खनन कर सकते हैं।

स्टोन क्रशर एसोसिएशन के अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि 2005 की नियमावली व 2015 की संशोधित नियमावली के बजाय हाई कोर्ट के आदेश की आड़ लेकर निरीक्षण कर स्टोन क्रशर संचालकों का उत्पीडऩ किया जा रहा है जबकि नियम के अनुसार निरीक्षण में आपत्ति नहीं है। जबकि सरकार की ओर से कहा गया कि निरीक्षण में स्टोन क्रशर संचालक सहयोग नहीं कर रहे हैं, लिहाजा और समय दिया जाए। कोर्ट ने सरकार को चार सप्ताह का समय और देते हुए अगली सुनवाई 16 अप्रैल नियत कर दी।

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