Maha Kumbh 2021 : हरिद्वार महाकुंभ को लेकर हाईकोर्ट ने शासन से सोमवार तक एसओपी जारी करने को कहा

सोमवार को हाईकोर्ट नैनीताल ने महाकुंभ की तैयारी को लेकर सुनवाई की। इसमें मेले के दौरान कोविड-19 के संक्रमण की रोकथाम समेत अन्य एडवाइजरी के अनुपालन के लिए नई एसओपी पेश करने के लिए सोमवार तक का समय दिया।

By Prashant MishraEdited By: Publish:Wed, 06 Jan 2021 11:24 PM (IST) Updated:Thu, 07 Jan 2021 12:22 AM (IST)
Maha Kumbh 2021 : हरिद्वार महाकुंभ को लेकर हाईकोर्ट ने शासन से सोमवार तक एसओपी जारी करने को कहा
अब मामले में अगली सुनवाई 11 जनवरी को होगी। जागरण

जागरण संवाददाता, नैनीताल : हाई कोर्ट ने बुधवार को कोविड केयर सेंटर्स की बदहाली, प्रवासियों के लिए किए गए इंतजामों और महाकुंभ हरिद्वार को लेकर सुनवाई की। इस दौरान कोर्ट ने सरकार को महाकुंभ हरिद्वार में कोविड-19 के संक्रमण की रोकथाम समेत अन्य एडवाइजरी के अनुपालन के लिए नई स्‍टैंडर्ड आपरेटिंग प्रोसीजर (एसओपी) पेश करने के लिए सोमवार तक का समय दिया है। अगली सुनवाई 11 जनवरी को होगी।

बुधवार को वरिष्ठ न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ में अधिवक्ता दुष्यंत मैनाली, देहरादून के सच्चिदानंद डबराल की जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। इसमें कहा गया है कि कोविड अस्पतालों में सुविधाओं का अभाव है। प्रवासियों के लिए बनाए गए क्वारंटाइन सेंटर्स की स्थिति भी बदहाल है। कोर्ट के आदेश पर जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिवों ने रिपोर्ट सौंपकर व्यवस्थाएं खराब होना स्वीकारा था। जिसका संज्ञान लेने के बाद कोर्ट ने अस्पतालों की नियमित मानीटरिंग के लिए जिलाधिकारी की अध्यक्षता में मानीटरिंग कमेटी का गठन किया था। कमेटी की ओर से सुझाव दिए जाते हैं।

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पीरूमदारा अंडर ब्रिज मामले में स्थिति स्पष्ट करे रेलवे

हाई कोर्ट ने रामनगर के पीरूमदारा में रिंग रोड रेलवे क्रासिंग पर निर्माणाधीन अंडर ब्रिज का काम रोकने को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए रेलवे को एक सप्ताह में स्थिति स्पष्ट करने का निर्देश दिया। मामले में बुधवार को वरिष्ठ न्यायाधीश न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ में रामनगर निवासी लखवीर सिंह व अन्य की जनहित याचिका पर सुनवाई हुई।

 इसमें कहा गया कि रेलवे क्रासिंग गेट नंंबर-46 पर अंडर ब्रिज मानकों के विपरीत बन रहा है। निर्माण रोकने के लिए रेलवे के उच्चाधिकारियों को प्रत्यावेदन दिया गया, मगर कोई कार्रवाई नहीं हुुई। ब्रिज की चौड़ाई व ऊंचाई बेहद कम है। इससे पैदल यात्री व छोटे-बड़े वाहन हादसे के शिकार हो सकते हैं। पास से गुजर रही नहर का अस्तित्व भी समाप्त हो गया है। इससे 125 एकड़ सिंचित भूमि प्रभावित होगी। खंडपीठ ने मामले को सुनने के बाद रेलवे को एक सप्ताह में स्थिति स्पष्ट करने का निर्देश दिया।

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