पूर्णागिरी मंदिर समिति को ट्रस्ट घोषित करने सम्बंधित जनहित याचिका पर हुई सुनवाई

हाईकोर्ट ने पूर्णागिरी मंदिर समिति को ट्रस्ट घोषित करने सम्बंधित जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए सरकार को तीन माह के भीतर प्रत्यावेदन निस्तारित करने के निर्देश दिए हैं।

By Skand ShuklaEdited By: Publish:Thu, 30 May 2019 07:20 PM (IST) Updated:Thu, 30 May 2019 07:20 PM (IST)
पूर्णागिरी मंदिर समिति को ट्रस्ट घोषित करने सम्बंधित जनहित याचिका पर हुई सुनवाई
पूर्णागिरी मंदिर समिति को ट्रस्ट घोषित करने सम्बंधित जनहित याचिका पर हुई सुनवाई

नैनीताल, जेएनएन : हाईकोर्ट ने पूर्णागिरी मंदिर समिति को ट्रस्ट घोषित करने सम्बंधित जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए सरकार को तीन माह के भीतर प्रत्यावेदन निस्तारित करने के निर्देश दिए हैं। मामले की सुनवाई मुख्यन्यायधीश रमेश रंगनाथन व न्यायमूर्ति एनएस धनिक की खण्डपीठ में हुई।

मामले के अनुसार गैंडाखाली टनकपुर चम्पावत निवासी नरेंद्र कुमार ने जनहित याचिका दायर कर कहा है कि माँ पूर्णागिरी शक्तिपीठ देश के प्रमुख शक्तिपीठ में से एक है । चैत्र माह में प्रशाशन द्वारा यहां एक माह के मेले का आयोजन किया जाता है। जिसमें स्थानीय श्रद्धालुओं के अलावा देश के अन्य स्थानों से भी लाखों श्रद्धालु मंदिर के दर्शन हेतु आते हैं। मंदिर में पूजा अर्चना का सम्पूर्ण कार्य ब्राहमण समुदाय के पाण्डे और तिवारी लोगों द्वारा सम्पन्न किया जाता है। श्रद्धालुओं द्वारा मन्दिर में सोने चाँदी और लाखों रुपये चढ़ावा चढ़ाया जाता है । मेला परिषर में भी दुकानों से लाखो की धन की कमाई होती है। जिसका मंदिर समिति के पास कोई लेखाजोखा नहीं है ये मोटी कमाई शिर्फ चन्द लोगों के जब में चली जाती है। इस सम्बन्ध में क्षेत्र वासियों द्वारा 2011 में मुख्यमन्त्री रहे रमेश पोखरियाल निशंक को ज्ञापन दिया था कि यहां पर  आने वाले श्रद्धालुओं की रहने आने जाने व मन्दिर दर्शन हेतु उचित व्यव्स्था कर इसे ट्रस्ट घोषित किया जाय। परन्तु अभी तक इस पर कोई कार्यवाही नहीं हुई। जिसके विरुद्ध उन्होंने 30 अप्रैल 2019 को मुख्य सचीव को ट्रस्ट घोषित करने के लिए प्रत्यावेदन भी दिया। याचिकर्ता का यह भी कहना है कि कोर्ट के आदेश पर ही जागेश्वर धाम ट्रस्ट घोषित किया गया है उसी आधार पूर्णागिरी मंदिर को भी ट्रस्ट घोषित किया जाय। मामले को सुनने के बाद खण्डपीठ ने राज्य सरकार को निर्देश दिए है कि याचिकर्ता के प्रत्यावेदन को तीन माह के भीतर निस्तारित करें। 

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