नैनीताल की संवेदनशीलता को लेकर गंभीर नहीं सरकारी तंत्र, अवैध निर्माण हैं इसके प्रमाण

शहर के लिए बड़ा खतरा बने बलियानाला क्षेत्र के साथ ही तीन साल पहले टूटी मालरोड का ट्रीटमेंट शुरू न हो पाना विभागीय सुस्ती को बयां करता है। वहीं शहर के कई क्षेत्रों में निर्माण कार्यों पर पूरी तरह प्रतिबंध होने के बावजूद धड़ल्ले से अवैध निर्माण हो रहे हैं।

By Prashant MishraEdited By: Publish:Fri, 23 Jul 2021 06:33 AM (IST) Updated:Fri, 23 Jul 2021 06:33 AM (IST)
नैनीताल की संवेदनशीलता को लेकर गंभीर नहीं सरकारी तंत्र, अवैध निर्माण हैं इसके प्रमाण
भूगर्भीय दृष्टि से संवेदनशील शहर में जरूरत से अधिक मानवीय हस्तक्षेप खतरा पैदा कर रहा है।

नैनीताल से नरेश कुमार। भूगर्भीय दृष्टि से संवेदनशील नैनीताल की देखरेख को लेकर सरकारी तंत्र लापरवाह बना हुआ है। शहर के लिए बड़ा खतरा बने बलियानाला क्षेत्र के साथ ही तीन साल पहले टूटी मालरोड का ट्रीटमेंट शुरू न हो पाना विभागीय सुस्ती को बयां करता है। वहीं, शहर के कई क्षेत्रों में निर्माण कार्यों पर पूरी तरह प्रतिबंध होने के बावजूद धड़ल्ले से अवैध निर्माण हो रहे हैं। भूगर्भीय दृष्टि से संवेदनशील शहर में जरूरत से अधिक मानवीय हस्तक्षेप खतरा पैदा कर रहा है।

शहर की बसासत के साथ ही सामने आई भूस्खलन की घटनाओं से इसकी संवेदनशीलता प्रकट कर दी थी। पर्यावरविद प्रो. अजय रावत के अनुसार वर्ष 1867 में पहले भूस्खलन के बाद अंग्रेजों ने हिल सेफ्टी कमेटी का गठन किया। इसके तहत शहर के विभिन्न क्षेत्रों में निर्माण कार्य को लेकर कड़े नियम बनाए गए। इसके बावजूद 1880 में शहर को भारी भूस्खलन झेलना पड़ा। जिसमें 151 लोगों की मौत तक हो गई। जिसके बाद शहर के नाला तंत्र बनाने की जरूरत सामने आई थी। साथ ही कई कड़े नियम बना कर शेर का डांडा पहाड़ी पर टेनिस कोर्ट और मकानों में चबूतरा तक बनाना प्रतिबंधित किया गया। मगर आज इन्हीं प्रतिबंधित क्षेत्रों में ही सर्वाधिक निर्माण कार्य हो रहे है।

इसलिए संवेदनशील है नैनीताल

प्रो. रावत ने बताया कि नैनीताल कई मानकों पर भूगर्भीय दृष्टिï से संवेदनशील है। जिसके कई प्रमाण भी सामने आने लगे है। मल्लीताल चार्टन लॉज क्षेत्र की पहाड़ी में उभार उठने लगा है। ऐसा प्रतीत होता है कि पहाड़ी का पेट निकल आया हो। यह जमीन के अंदर होने वाले टेक्टोनिक मूवमेंट यानी भूगर्भ में पहाड़ी के दरकने की प्रक्रिया है। इसके अलावा शहर की तलहटी पर स्थित हनुमानगढ़ी क्षेत्र से रानीबाग तक के क्षेत्र में एनबीटी यानी थ्रस्ट है। जिसमें भूगर्भीय हलचल होती रहती है। साथ ही शहर के बीच से गुजरने वाला नैनी-देवपाटा फाल्ट के साथ ही समीपवर्ती लडिय़ाकाटा- शेर का डांडा फाल्ट, गरमपानी फॉल्ट, कुंजखड़क-कोटाबाग फॉल्ट होना शहर को अतिसंवेदनशील बना देता है।

शहर की भार क्षमता खत्म

प्रो. रावत ने बताया कि 2011 में एटीआइ में विशेषज्ञों की एक कार्यशाला हुई। जिसके आधार पर तब प्राधिकरण ने ही सरकार को यह बताया था कि अब नैनीताल अपनी भार क्षमता पूरी कर चुका है। मगर दस साल गुजरने के बाद भी शहर के अधिकांश हिस्सों में निर्माण कार्य जारी हैंै।

बड़ी समस्याओं को लेकर संवेदनशील नहीं तंत्र

शहर के तलहटी पर स्थित बलियानाले में वर्षों से भूस्खलन जारी है। इसके बावजूद पहाड़ी को स्थायी उपचार नहीं मिल पाया। वहीं, तीन साल पहले टूटी लोवर माल रोड का भी यही हाल है। वहीं, पुराने पैदल मार्गों को सड़क बना देने के बाद देखरेख न होने से दशा बिगड़ चुकी है।

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