गर्बाधार -लिपुलेख मार्ग में छियालेख के मोड़ों पर खतरा बरकरार, हवा में अटके पत्थर बने हैं खतरा

गर्बाधार - लिपुलेख मार्ग में बूंदी से छियालेख तक मोड़ मरम्मत के बाद भी खतरा बना हुआ है। मोड़ सुधारीकरण के नाम पर सारा मलबा सड़क किनारे डाले जाने से अटके पत्थर खतरा बने हुए हैं। यह पत्थर कभी भी मरीजों के लिए जानलेवा साबित हो सकते हैं।

By Skand ShuklaEdited By: Publish:Sun, 16 May 2021 04:24 PM (IST) Updated:Sun, 16 May 2021 04:24 PM (IST)
गर्बाधार -लिपुलेख मार्ग में छियालेख के मोड़ों पर खतरा बरकरार, हवा में अटके पत्थर बने हैं खतरा
गर्बाधार -लिपुलेख मार्ग में छियालेख के मोड़ों पर खतरा बरकरार, हवा में अटके पत्थर बने हैं खतरा

धारचूला, जागरण संवाददाता : गर्बाधार - लिपुलेख मार्ग में बूंदी से छियालेख तक मोड़ मरम्मत के बाद भी खतरा बना हुआ है। मोड़ सुधारीकरण के नाम पर सारा मलबा सड़क किनारे डाले जाने से अटके पत्थर खतरा बने हुए हैं। यह पत्थर कभी भी मरीजों के लिए जानलेवा साबित हो सकते हैं। स्थानीय लोगों ने इस समस्या के संज्ञान लेने की मांग की है।

बीआरओ ने बीते माहों में गर्बाधार - लिपुलेख मार्ग में बूंदी से छियालेख के बीच मोड़ सुधारीकरण कार्य किया। इस कार्य के लिए मार्ग बंद तक कराया गया। जिसके चलते ग्रामीणों को माइग्रेशन में भारी परेशानी झेलनी पड़ी । बूंदी से छियालेख के मध्य तीस के आसपास मोड़ हैं। बीआरओ द्वारा किए गए मोड़ सुधारीकरण के दौरान सारा मलबा सड़क के किनारे डला गया। जिसके चलते अधिकांश बोल्डर अटके हैं। इन बोल्डरों के गिरने का खतरा बना रहता है। क्षेत्रवासियों का कहना है कि बारिश होने पर कभी भी अटके पत्थर गिर सकते हैं। जिससे नुकसान की संभावना बनी है। जनता ने बीआरओ से हवा में अटके बोल्डरों को हटाने की मांग की है।

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