Chandra Grahan 2022 : साल में लग सकता है अधिकतम पांच चन्द्रग्रहण, क्या होता है, क्यों लगता है? चलिए जानते हैं

Chandra Grahan 2022 पूर्ण और आंशिक चंद्र ग्रहण में क्या अंतर है? चंद्र ग्रहण क्यों होता है? हम चंद्र ग्रहण कैसे देख सकते हैं? आर्य भट्ट प्रेक्षण शोध संस्थान एरीज नैनीताल के वैज्ञानिक डॉ वीरेंद्र यादव से चलिए जानते हैं इस बारे में सबकुछ!

By Jagran NewsEdited By: Publish:Tue, 08 Nov 2022 10:57 AM (IST) Updated:Tue, 08 Nov 2022 10:57 AM (IST)
Chandra Grahan 2022 : साल में लग सकता है अधिकतम पांच चन्द्रग्रहण, क्या होता है, क्यों लगता है? चलिए जानते हैं
Chandra Grahan 2022: साल में लग सकता है अधिकतम पांच चन्द्रग्रहण, क्या होता है, क्यों लगता है? चलिए जानते हैं

नैनीताल, जागरण संवाददाता : Chandra Grahan 2022 : क्या पूर्णिमा के समय अधूरा चांद दिख सकता है? जी हाँ है, बशर्ते उस रात चंद्र ग्रहण हो। आज पूर्ण चंद्र ग्रहण होने वाला है जो भारत से ‌(चंद्रमा के उगते समय) केवल आंशिक रूप से दिखाई देगा। पूर्ण और आंशिक चंद्र ग्रहण में क्या अंतर है? सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण में क्या अंतर है? चंद्र ग्रहण क्यों होता है? हम चंद्र ग्रहण कैसे देख सकते हैं? आर्य भट्ट प्रेक्षण शोध संस्थान एरीज नैनीताल के वैज्ञानित डॉ वीरेंद्र यादव से चलिए जानते हैं इस बारे में सबकुछ

क्या होता है चन्द्रग्रहण ?

चंद्र ग्रहण एक प्राकृतिक घटना है जो सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा के एक सीध में आने के कारण होती है। इसलिए चंद्र ग्रहण केवल पूर्णिमा पर ही संभव है, लेकिन हर पूर्णिमा पर चंद्र ग्रहण नहीं होता। संयोगवश, चंद्रमा सूर्य से लगभग 400 गुना छोटा है, लेकिन सूर्य की तुलना में पृथ्वी के लगभग 400 गुना करीब है। नतीजतन, इन दोनों का आकार आकाश में लगभग एक समान दिखाई देता है। अतः जब पृथ्वी चंद्रमा और सूर्य के बीच एकदम सीधी रेखा में इस तरह हो, कि पृथ्वी की छाया चंद्रमा पर पड़े तो इसे चंद्र ग्रहण कहते हैं।

आंशिक चन्द्रग्रहण और पूर्ण चन्द्रग्रहण

पृथ्वी की गहरी छाया को प्रच्छाया कहा जाता है और हल्की छाया को उपछाया कहा जाता है। यदि केवल हल्की छाया या उपछाया चंद्रमा पर पड़े तब भी चंद्र ग्रहण होता है, परंतु यह छाया इतनी धुंधली होती है कि इसे आंखों से नहीं देखा जा सकता। दूसरी ओर, यदि गहरे रंग की छाया या प्रच्छाया चंद्रमा पर पड़े तब चंद्र ग्रहण आसानी से देखा जा सकता है। यदि प्रच्छाया चंद्रमा को पूरी तरह से ढँकती है, तो पूर्ण चंद्र ग्रहण दिखाई देता है अन्यथा आंशिक चंद्र ग्रहण दिखाई देता है।

आंशिक चंद्र ग्रहण में चंद्रमा पूर्णिमा के समय भी अधूरा दिखाई देता है। लेकिन पूर्ण चंद्र ग्रहण के समय चंद्रमा एकदम काला नहीं दिखाई देता। ऐसा इसलिए क्योंकि सूर्य का कुछ प्रकाश पृथ्वी के वातावरण से होते हुए चंद्रमा पर पड़ता है, जिससे चंद्रमा गहरे लाल रंग का प्रतीत होता है। इस स्थिति को अंग्रेजी में ब्लड मून भी कहा जाता है लेकिन यह कोई वैज्ञानिक नाम नहीं है।

नंगी आंखों से देख सकते हैं चन्द्रग्रहण

चंद्र ग्रहण सूर्य ग्रहण जितना रोमांचक तो नहीं होता, लेकिन सूर्य ग्रहण की तुलना में यह पृथ्वी के रात वाले पूरे हिस्से से दिखाई देता है। सूर्य ग्रहण के उलट चंद्र ग्रहण नंगी आंखों से भी देखा जा सकता है। चूंकि पृथ्वी चंद्रमा से काफी बड़ी है तो चंद्रमा को पृथ्वी की छाया से गुजरने में ज्यादा समय लगता है। इसलिए चंद्र ग्रहण शुरू से अंत तक कुछ घंटे का होता है।

कब और कैसे लगता है चन्द्रग्रहण?

पूर्णिमा पर पृथ्वी सूर्य और चंद्रमा के बीच में ही होती है, लेकिन सामान्यतः वे एकदम सीधी रेखा में नहीं होते। ऐसा इसलिए है क्योंकि पृथ्वी के चारों ओर चंद्रमा की कक्षा और सूर्य के चारों ओर पृथ्वी की कक्षा एक प्रतल में नहीं है। उनके बीच लगभग 5 डिग्री का कोण है। इसके कारण पूरे वर्ष में आकाश में चंद्रमा के पथ और सूर्य के आभासी पथ में 2 प्रतिच्छेदन बिंदु होते हैं।

जिस बिंदु पर चंद्रमा सूर्य के आभासी पथ से ऊपर आता है, उसे आरोही या उत्तर पात कहा जाता है और जिस बिंदु पर यह नीचे जाता है, उसे अवरोही या दक्षिण पात कहा जाता है। इन दोनों पातों को प्राचीन भारतीय ज्योतिर्विज्ञान (ध्यान दें भविष्य बताने वाली ज्योतिषी नहीं!) में राहु और केतु के रूप में जाना जाता था।

जब पूर्णिमा पर चंद्रमा इन दोनों पातों से दूर होता है, तो उस पर पृथ्वी की छाया नहीं पड़ती और कोई चंद्र ग्रहण नहीं होता। केवल जब चंद्रमा दोनों बिंदुओं में से किसी एक के करीब होता है, तो तीनों पर्याप्त रूप से एक सीधी रेखा में होते हैं जिससे पृथ्वी की छाया चंद्रमा पर पड़ती है और चंद्र ग्रहण दिखाई देता है।

हर साल 2-5 चंद्र ग्रहण ही संभव

हर साल 2-5 चंद्र ग्रहण ही संभव हैं। सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण हमेशा जोड़े में होते हैं। आप सभी ने 25 अक्टूबर को सूर्य ग्रहण देखा या सुना होगा। चूँकि ग्रहण दुर्लभ हैं, इसलिए वे छाया के खगोलीय खेल देखने के मनमोहक अवसर हैं।

देश में ग्रहण से जुड़े कई मिथक और अंध विश्वास

दुर्भाग्यपूर्ण है कि भारत में ग्रहण से जुड़े कई मिथक और अंधविश्वास प्रचलित हैं। कई लोगों में ऐसी गलत धारणाएँ हैं कि ग्रहण नहीं देखना चाहिए, इसके दौरान बाहर नहीं जाना चाहिए, खाना बनाना या खाना नहीं चाहिए। तो क्या ऐसा करना सुरक्षित है? जी हाँ, बाहर जाना, खाना बनाना या खाना बिल्कुल सुरक्षित है। चंद्र ग्रहण को तो खुली आँखों से देखना भी सुरक्षित है।

नैनीताल हैं तो एरीज जाएं या यू ट्यूब पर देखें ग्रहण

यदि आप नैनीताल के आसपास होंगे, तो आप नैनीताल की मनोरा पीक पर स्थित आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान (एरीज), जिसे वेधशाला भी कहा जाता है, में शाम 5 बजे से 6 बजे के बीच आ सकते हैं। 5:17 को शुरू होने वाले इस आंशिक चंद्र ग्रहण को देखने के लिए हमने दूरबीन की व्यवस्था की हुई है। यदि आप एरीज नहीं आ सकते, तो आप हमारे फेसबुक पेज पर या यूट्यूब चैनल youtube.com/c/AriesNainitalUttarakhand पर लाइव स्ट्रीमिंग भी देख सकते हैं।

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