केंद्र सरकार कराएगी प‍िथौरागढ़ के विश्व प्रसिद्ध पाताल भुवनेश्वर गुफा का सुंदरीकरण

पेयजल मंत्री विशन सिंह चुफाल ने मंगलवार को दिल्ली में केंद्रीय पर्यटन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) प्रह्लाद सिंह से मुलाकात की। उन्होंने विश्व प्रसिद्ध पाताल भुवनेश्वर गुफा का महत्व बताया। कहा कि गुफा को देखने के लिए देश- विदेश से पर्यटक पहुंचते हैं। इसके सुंदरीकरण की आवश्यकता है।

By Prashant MishraEdited By: Publish:Wed, 23 Jun 2021 07:08 AM (IST) Updated:Wed, 23 Jun 2021 07:08 AM (IST)
केंद्र सरकार कराएगी प‍िथौरागढ़ के विश्व प्रसिद्ध पाताल भुवनेश्वर गुफा का सुंदरीकरण
चुफाल ने बताया कि जल्द ही गुफा और मंदिरों के सुंदरीकरण के साथ ही रोप वे लगाने का कार्य होगा।

संवाद सहयोगी, पिथौरागढ़ : उत्तराखंड में स्थिति पाताल भुवनेश्वर गुफा के दिन जल्द फिरेंगे। केंद्र सरकार इस गुफा का सुंदरीकरण कराएगी। केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय ने गुफा के साथ ही जिले के दो मंदिर और ध्वज मंदिर तक रोप-वे लगाने का प्रस्ताव उत्तराखंड से मांगा है।

प्रदेश के पेयजल मंत्री विशन सिंह चुफाल ने मंगलवार को दिल्ली में केंद्रीय पर्यटन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) प्रह्लाद सिंह से मुलाकात की। उन्होंने सीमांत जिले के धार्मिक पर्यटन स्थलों की जानकारी केंद्रीय राज्य मंत्री को दी। उन्होंने विश्व प्रसिद्ध पाताल भुवनेश्वर गुफा का महत्व बताते हुए कहा कि गुफा को देखने के लिए देश- विदेश से पर्यटक पहुंचते हैं। इसके सुंदरीकरण की आवश्यकता है। पेयजल मंत्री ने सीमांत जिले के जयंती मंदिर में रोप वे लगाए जाने और पौराणिक सूर्य मंदिर और मलयनाथ मंदिर के सुंदरीकरण की मांग भी केंद्रीय पर्यटन राज्य मंत्री के सम्मुख रखी। केंद्रीय पर्यटन राज्य मंत्री पाताल भुवनेश्वर गुफा के सुंदरीकरण और अन्य कार्यों के प्रस्ताव तैयार कर केंद्र सरकार को भेजे जाने को कहा। पेयजल मंत्री विशन सिंह चुफाल ने बताया कि जल्द ही गुफा और मंदिरों के सुंदरीकरण के साथ ही ध्वज मंदिर तक रोप वे लगाने का कार्य होगा। इससे सीमांत जिले में पर्यटन विकास की गति तेज होगी।

पौराणिक महत्व की है गुफा

पिथौरागढ़ की पाताल भुवनेश्वर गुफा का पौराणिक महत्व है। समुद्र्रतल से करीब 90 फीट नीचे इस मंदिर के अंदर प्रवेश करने के लिए बहुत संकरे रास्तों से गुजरना पड़ता है। ऐसा माना जाता है कि त्रेतायुग में इस गुफा की खोज राजा ऋतुपर्णा ने इसे खोजा था। उन्होंने भगवान शिव के दर्शन किए पर इसकी कभी किसी से चर्चा नहीं की। बाद में पांडवों द्वारा इसे वापस खोजा गया। कलियुग में आदि शंकराचार्य ने इसकी खोज कर सर्वसुलभ बनाया। इस मंदिर में चार द्वार हैं जो रणद्वार, पापद्वार, धर्मद्वार और मोक्षद्वार के नाम से जाने जाते हैं।

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