यहां गुफा के अंदर है खूबरसूत झरना और झील, बन सकता है पर्यटन का हब

उत्तराखंड में कई पर्यटन स्थल ऐसे हैं जो पर्यटकों और पर्यटन विभाग की निगाह से अब तक ओझल हैं। ऐसा ही एक पर्यटन स्थल है बागेश्वर जिले के कांडा तहसील में।

By Skand ShuklaEdited By: Publish:Tue, 01 Sep 2020 05:56 PM (IST) Updated:Tue, 01 Sep 2020 05:56 PM (IST)
यहां गुफा के अंदर है खूबरसूत झरना और झील, बन सकता है पर्यटन का हब
यहां गुफा के अंदर है खूबरसूत झरना और झील, बन सकता है पर्यटन का हब

बागेश्वर, जेएनएन : उत्तराखंड में कई पर्यटन स्थल ऐसे हैं जो पर्यटकों और पर्यटन विभाग की निगाह से अब तक ओझल हैं। ऐसा ही एक पर्यटन स्थल है बागेश्वर जिले के कांडा तहसील में। जोगाबाड़ी की खूबसूरत प्राकृतिक गुफा आकर्षण का बड़ा केन्द्र हो सकती है। इसके अंदर का खूबसूरत झरना, छोटी सी झील और वहां की आकृतियां प्रकृति की अनूठी धरोहरें हैं। जरूरत है इसके प्रचार-प्रसार और पर्यटन विभाग द्वारा इसके लिए योजनाएं बनाने की। पर्यटन गतिविधियां बढ़ेंगी तो स्थानीय स्तर पर रोजगार भी सृजित होंगे।

बागेश्वर जिले के कांडा बाजार से लगभग तीन किमी नीचे जोगाबाड़ी की इस गुफा का प्रवेश द्वार अत्यधिक संकरा होने के कारण पेट के बल घिसटकर जाना पड़ता है, किंतु अंदर की दुनिया विलक्षण है। गुफा की लंबाई लगभग दस मीटर, चौड़ाई छह मीटर तथा ऊंचाई तकरीबन सात फीट है। गुफा के अंदरूनी छोर से एक झरना बहता है। जिससे गुफा हमेशा ही झील की तरह लबालब भरी रहती है। गर्मियों में भी यहां दो फीट तक पानी रहता है। झरने का यह पानी स्थानीय नदी से होता हुआ भद्रकाली नदी में मिल जाता है। इस गुफा में सबसे हैरत में डालने वाली चीजें सफेद और कुछ अन्य रंगों की चट्टानों पर बनी आकृतियां हैं।

गुफा की दीवारें और छत तक ऐसी दर्जनों आकृतियों से भरी पड़ी है। ये आकृतियां ब्रह्मकमल, शेषनाग, शिव, ब्रह्मा, विष्णु तथा अन्य देवी-देवताओं जैसी नजर आती हैं। कुछ लोगों का मानना है कि सदियों से अंदर बहते झरने के पानी से चट्टान की परतें घिस जाने के कारण ऐसी आकृतियां बनी हैं। नौ साल पहले इस गुफा को खोजने वाले सामाजिक कार्यकर्ता अर्जुन माजिला ने बताया कि इस स्थल के विकास को लगातार मांग की जा रही है। कांडा तहसील के सुंदर शिव गुफा जोगाबाड़ी तक सीसी मार्ग बनाने की मांग को लेकर कालिका मंदिर के प्रधान सेवक ने मांग की है।

बागेश्वर के जिला पर्यटन अधिकारी कीर्ती चंद्र आर्य ने बताया कि जोगाबाड़ी गुफा को पर्यटन विभाग के नक्शे में लाने के लिए शीघ्र कार्रवाई की जाएगी। कोरोना संक्रमण खत्म होते ही प्रस्ताव सरकार को भेजा जाएगा। नक्शे में गुफा आने से पर्यटकों के यहां पहुंचने की उम्मीद होगी। जिसका लाभ स्थानीय लोगों को मिल सकेगा।

पर्यटन नक्शे में स्थान देने की मांग तेज

कालिका मंदिर कांडा के प्रधान सेवक अर्जुन माजिला ने कल्याण सुंदर शिव गुफा जोगाबाड़ी की खोज 4 अप्रैल 2011 में की। पूर्व में भी गुफा के संबंध में लगातार पत्राचार किए गए। तत्कालीन जिलाधिकारी चंद्र सिंह नपच्याल ने 7 मई 2011 को गुफा का भ्रमण किया था। दो मई 2017 में तत्कालीन डीएम मंगेश घिडिल्याल भी गुफा देखने आए थे। तब करीब एक माह पूर्व इस गुफा को जोड़ने के लिए कच्चा मार्ग वन विभाग ने बना दिया है, लेकिन मार्ग में सीसी नहीं हो सका है। इससे यहां आने-जाने वाले लोगों के साथ ही पर्यटकों को परेशानी हो रही है। अब गुफा को पर्यटन के नक्शे में स्थान देने की मांग तेज होने लगी है।

सड़क से डेढ़ किमी दूर है गुफा

यह गुफा कांडा-पड़ाव बाजार से लगभग ढाई किलोमीटर दूर पंगचौड़ा गांव के जोगाबाड़ी-धराड़ी नामक स्थान पर है। मोटर मार्ग से डेढ़ किलोमीटर पैदल चलकर इस गुफा तक पहुंचा जाता है। पिथौरागढ़ स्थित पाताल भुवनेश्वर की भांति ही इस गुफा में अनेकों आकृतियां उभरी हुई हैं। गुफा के भीतर झरना, सरोवर व अन्य आकृतियां हैं। जिससे प्रतीत होता है कि गुफा पौराणिक काल की है। गुफा के भीतर एक फीट ऊंचा शिवलिंग विद्यमान है जिसे एक 22 मुखी नाग छत्र प्रदान कर रहा है। अन्दर ही एक दर्शनीय पानी का झरना है जो यहीं एक विशाल कुंड में समा रहा है।इस गुफा को देखने के लिए अमेरिका, जर्मनी, इंग्लैंड, हालैंड, दक्षिण अफ्रीका आदि देशों के शोधकर्ताओं का दल आ चुका है।

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