आइए बताते हैं उस खौफनाक दौर की कहानी जब मौतों से दहल उठा था नैनीताल

18 सितंबर, 1880 की सुबह सरोवर नगरी में आए भूकंप ने लोगों को झकझोर कर रख दिया था।

By Edited By: Publish:Tue, 18 Sep 2018 10:30 AM (IST) Updated:Tue, 18 Sep 2018 12:12 PM (IST)
आइए बताते हैं उस खौफनाक दौर की कहानी जब मौतों से दहल उठा था नैनीताल
आइए बताते हैं उस खौफनाक दौर की कहानी जब मौतों से दहल उठा था नैनीताल
जागरण संवाददाता, नैनीताल : दिन 18 सितंबर, वर्ष 1880 की सुबह सरोवर नगरी के वाशिंदों के लिए एक ऐसा काला दिन था, जिसमें 151 लोगों की मौत एक साथ हो गई थी। पूरा क्षेत्र शोक में डूब गया था, मरने वालों में 43 अंग्रेज शामिल थे। हर जुबां खामोश हो गई। कहने के लिए किसी के पास कोई शब्द नहीं बचे। नैनीताल के मल्लीताल आल्मा लॉज की पहाड़ी में इस दिन इतना भारी भूस्खलन हुआ था। इसमें लोगों की जान के साथ ही संपत्ति का भी खासा नुकसान हुआ। बोट हाउस क्लब के समीप स्थित नयना देवी मंदिर ध्वस्त हो गया था। एक बार फिर नैनीताल पर चौतरफा खतरे बढ़ रहे हैं। प्रशासन ने हिल सेफ्टी कमेटी को दशकों बाद फिर सक्रिय किया हो मगर बजट जारी करने में देरी व बिना विशेषज्ञों की सलाह के किए जा रहे कार्यो से खतरा और बढ़ रहा है। अंग्रेजों ने नैनीताल के संरक्षण के लिए अनेक महत्वपूर्ण कदम उठाए। 1880 के भूस्खलन के बाद पहाडि़यों से झील में गिरने वाले नाले बनाए तो नालों से जुड़ी संपर्क नालियां। पर्यटन सेवाओें का विस्तार व स्वच्छ आबोहवा को देखते हुए रसूखदारों व बिल्डरों ने प्रतिबंधित व ग्रीन बेल्ट क्षेत्रों में भारी भरकम निर्माण कर दिए। इनकी आड़ में भी तमाम स्थानीय लोगों ने भी भूगर्भीय व पर्यावरणीय पहलुओं की अनदेखी कर निर्माण कर डाले। मौत के मुंह में समाए लोगों को श्रद्धांजलि देने के लिए आज जोंस चर्च में शाम 5 बजे एक कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा। बलियानाला भूस्खलन ने बढ़ाई चिंता अतिसंवेदनशील बलियानाला में भारी भूस्खलन से पहाड़ी का बड़ा हिस्सा मलबे में तब्दील हो गया है। विशालकाय चट्टान चकनाचूर होने से कटाव की रफ्तार तेज हो गई है। बलियानाला के मध्य में प्राकृतिक जलश्रोत का पानी लगातार कटाव की मुख्य वजह बना है। बल्दियाखान ग्राम पंचायत के सात गांवों तथा गेठिया की पेजयल लाइनें ध्वस्त हो चुकी हैं। जापान के विशेषज्ञ भी प्रशासन को सौंपी प्रारंभिक रिपोर्ट में मान चुके हैं कि पेयजल स्रोत के पानी को चैनलाइज किए बिना बलियानाला ट्रीटमेंट संभव नहीं है। इससे पहले बलियानाला ट्रीटमेंट के दौरान 15 करोड़ से अधिक के कामों का नामोनिशान मिट चुका है। विशेषज्ञों ने बलियानाला ट्रीटमेंट के लिए सौ करोड़ की रकम की जरूरत बताई है जबकि ट्रीटमेंट कार्य में कम से कम पांच साल लगेंगे। दरक रही है राजभवन की पहाड़ी राजभवन के पीछे के हिस्से की पहाड़ी भी दरक रही है। टीएचडीसी के तकनीकी सहयोग से लोनिवि द्वारा एक पहाड़ी का ट्रीटमेंट कर दिया गया है मगर पहाड़ी की तलहटी से हो रहे कटाव को रोकने के लिए पुख्ता कदम नहीं उठाए जा रहे हैं। इसके अलावा अतिक्रमण की वजह से छोटी छोटी सैकड़ों नालियों का वजूद मिट चुका है। झील संरक्षण को लेकर किए जा रहे हैं प्रयास कमिश्नर राजीव रौतेला ने बताया कि नैनीताल की झील के संरक्षण को लेकर गंभीरता से प्रयास किए जा रहे हैं। हिल साइड सेफ्टी कमेटी को एक्टिवेट किया गया है। सूखाताल संरक्षण, झील संरक्षण तथा नालों के लिए पांच करोड़ मंजूर हो चुके हैं। शेर का डांडा, ग्रांड होटल से लेकर माल रोड से क्लासिक होटल के आसपास की पहाड़ी के ट्रीटमेंट के लिए आइआइटी के विशेषज्ञों के सुझाव पर 41.12 करोड़ का प्रोजेक्ट शासन को भेजा गया है, उसे मंजूरी दिलाने का प्रयास किया जा रहा है। नालों की सफाई को प्राथमिकता देते हुए नालों से अतिक्रमण हटाया जाएगा, जबकि कुमाऊं विवि के छात्रों को लेकर वार्डन बनाने पर भी विचार किया जा रहा है। बलियानाला के ट्रीटमेंट की कार्ययोजना तैयार की जा रही है।
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