धर्मशाला व आश्रमों को तीन साल की छूट

कोविड-19 के चलते प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने धर्मशाला व आश्रमों को बड़ी राहत दी है। धर्मशाला और आश्रमों को अब तीन साल तक प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड में कोई सहमति शुल्क जमा करने की जरूरत नहीं है। वह केवल हर वर्ष केवल आवेदन जमा करेंगे। यदि वह मानक पूरे कर रहे होंगे तो उन्हें बोर्ड सहमति पत्र प्रदान कर देगा।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 27 Jun 2020 07:13 PM (IST) Updated:Sat, 27 Jun 2020 07:13 PM (IST)
धर्मशाला व आश्रमों को तीन साल की छूट
धर्मशाला व आश्रमों को तीन साल की छूट

संवाद सहयोगी, रुड़की: कोविड-19 के चलते प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने धर्मशाला व आश्रमों को बड़ी राहत दी है। धर्मशाला और आश्रमों को अब तीन साल तक प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड में कोई सहमति शुल्क जमा करने की जरूरत नहीं है। वह केवल हर वर्ष केवल आवेदन जमा करेंगे। यदि वह मानक पूरे कर रहे होंगे तो उन्हें बोर्ड सहमति पत्र प्रदान कर देगा।

जनपद हरिद्वार में 20 कमरों से अधिक वाले 208 आश्रम एवं 135 धर्मशालाएं हैं। इन धर्मशाला व आश्रमों को हर साल प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को सहमति के लिए आवेदन देना होता है। इसके साथ शुल्क भी जमा होता है। यह शुल्क एक हजार से लेकर साढ़े सात हजार रुपये तक है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी डॉ. राजेंद्र सिंह ने बताया कि कोविड-19 को देखते हुए धर्मशाला और आश्रमों से लिया जाने वाला सहमति शुल्क तीन साल तक के लिए माफ कर दिया है। 31 मार्च 2023 तक आश्रम एवं धर्मशाला इस शुल्क से मुक्त रहेंगे। हालांकि हर साल उन्हें सहमति के लिए आवेदन करना होगा। यदि वह प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से निर्धारित मानकों को पूरा कर रहे होंगे तो उन्हें सहमति पत्र जारी कर दिया जाएगा। इसके लिए ऑनलाइन आवेदन करना होगा। आश्रम एवं धर्मशाला संचालक जल्द से जल्द राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड में ऑनलाइन आवेदन कर दें। एनजीटी की ओर से समय-समय पर राज्य में स्थित आश्रम व धर्मशालाओं को राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से सहमति पत्र प्राप्त करने के लिए निर्देशित किया जा रहा है।

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