निर्जल एकादशी पर श्रद्धालुओं ने लगाई आस्था की डुबकी

गंगा दशहरे के बाद दूसरे दिन शुक्रवार को निर्जल एकादशी पर हरकी पैड़ी समेत हरिद्वार के सभी गंगा घाटों में श्रद्धालुओं की भीड़ रही। ब्रह्ममुहूर्त से ही श्रद्धालु गंगा स्नान को जुटने लगे। पूचा अर्चना के बाद लोगों ने गंगा स्नान किया।

By bhanuEdited By: Publish:Fri, 29 May 2015 10:57 AM (IST) Updated:Fri, 29 May 2015 01:05 PM (IST)
निर्जल एकादशी पर श्रद्धालुओं ने लगाई आस्था की डुबकी

हरिद्वारः गंगा दशहरे के बाद दूसरे दिन शुक्रवार को निर्जल एकादशी पर हरकी पैड़ी समेत हरिद्वार के सभी गंगा घाटों में श्रद्धालुओं की भीड़ रही। ब्रह्ममुहूर्त से ही श्रद्धालु गंगा स्नान को जुटने लगे। पूचा अर्चना के बाद लोगों ने गंगा स्नान किया।
ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी का व्रत महिलाएँ व पुरूष दोनों रखते हैं। इसे भीमसेनी एकादशी भी कहा जाता है। इस दिन व्रत रखने से साल भर के एकादशी के व्रत पूरे हो जाते हैं। यह व्रत पितरों के लिए रखा जाता है। इस दिन गंगा स्नान का महत्व है।
मान्यता है कि भगवान विष्णु के लिए बिना जल ग्रहण कर महालक्ष्मी ने यह व्रत लिया था। तभी से इसे निर्जल व्रत कहा जाता है। शुक्रवार की सुबह चार बजे से ही श्रद्धालुओं ने गंगा स्नान शुरू कर दिया था। सुबह दस बजे तक करीब आठ लाख लोग गंगा स्नान कर चुके थे। लगातार दो स्नान पड़ने से पुलिस को भी व्यवस्था बनाने में मशक्कत करनी पड़ रही है। शहर के कई स्थानों पर वाहन रेंग-रेंग कर आगे बढ़ रहे हैं।
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