प्रेत बाधा से मुक्ति को मुस्लिम महिला ने किया पिंडदान

परिवार को प्रेत बाधा से मुक्ति दिलाने को मुस्लिम महिला ने नारायणी शिला पहुंचकर पिंडदान किया और कर्मकांड संपन्न कराए। इस स्थान के महत्व को देखते यहां विदेशी भी कर्मकांड को आते हैं।

By BhanuEdited By: Publish:Mon, 14 May 2018 07:51 AM (IST) Updated:Fri, 18 May 2018 05:12 PM (IST)
प्रेत बाधा से मुक्ति को मुस्लिम महिला ने किया पिंडदान
प्रेत बाधा से मुक्ति को मुस्लिम महिला ने किया पिंडदान

हरिद्वार, [जेएनएन]: सिरसा हरियाणा की मुस्लिम महिला शबनम ने प्रेत बाधा से मुक्ति को हरिद्वार की नारायणी शिला मंदिर में पिंडदान सहित अन्य कर्मकांड कर पूजा अर्चना की। उन्होंने यह कार्य पिछले करीब 10 वर्षों से प्रेत बाधा से मुक्ति ना मिलने पर अपने गुरु के कहने पर किया। 

नारायणी शिला पर उनका कर्मकांड कराने वाले पंडित मनोज कुमार त्रिपाठी ने बताया कि शबनम हिंदू प्रेत बाधा से पीड़ित थी। पंडित मनोज त्रिपाठी ने बताया की करीब 40 वर्षीय शबनम अपने पति ससुर सास और जेठानी के साथ यहां आई थी। रविवार की दोपहर को नारायणी शिला पर यह सभी लोग अपने गुरु हिमाचल प्रदेश निवासी पंडित जी के साथ पहुंचे थे। 

वहां पर उन्होंने अपनी समस्या बताते हुए पितृ पूजा, पिंड दान और हवन  तर्पण कराने  की इच्छा जाहिर की।पंडित मनोज कुमार त्रिपाठी ने बताया इस पर उनके द्वारा समस्त कर्मकांड पूरे कराते हुए करीब एक घंटे की पूजा कराई गई और पीड़ित शबनम को हिंदू प्रेत बाधा से मुक्ति दिलाई गई।  

पूजा पाठ  और पिंडदान कर्मकांड जाने के बाद पूरा परिवार संतुष्ट होकर सिरसा लौट गया। पंडित मनोज कुमार त्रिपाठी ने बताया कर्मकांड से पहले और बाद में पूरे परिवार ने गंगा स्नान कर मां गंगा से आशीर्वाद भी लिया।

पंडित मनोज कुमार त्रिपाठी ने प्रेत बाधा से पीड़ित महिला शबनम के प्रेम विवाह करने संबंधी किसी भी जानकारी से इन्कार किया। साथ ही बताया कि वह लोग इससे पहले इस तरीके के मुस्लिम धर्म स्थानों पर भी जा चुके थे। वहां से कष्ट से मुक्ति ना मिल पाने के कारण अपने गुरु के कहने पर हरिद्वार नारायणी शिला आए थे। 

नारायणी शिला का महत्व

नारायणी शिला को पितृ ऋण मुक्ति के साथ साथ प्रेत बाधा मुक्ति का तीर्थ भी माना जाता है। पंडित मनोज कुमार त्रिपाठी के अनुसार पुराणों में वर्णित है  कि हरिद्वार में भगवान विष्णु के शरीर का वक्ष स्थल गिरा था जो नारायणी शिला के रूप में यंहा पर विध्यमान है। यह प्रेत शिला भी कहलाती है। 

गया में भगवान विष्णु के चरण गिरे थे, जबकि  बदरीनाथ में उनका सिर का हिस्सा गिरा था | बताया कि नारायणी शिला को पिृत दोष मुक्ति और प्रेत बाधा मुक्ति का बड़ा आर  सिद्ध स्थान  मनाया जाता है |

विदेशियों सहित अन्य धर्मों के लोग आते हैं नारायणी शिला

पंडित मनोज कुमार त्रिपाठी ने बताया प्रेत बाधा मुक्ति को विदेशियों सहित अन्य धर्मों के लोगों का नारायणी शिला पर आना आम बात है। उन्होंने बताया कि करीब छह माह पहले गुजरात के मुस्लिम परिवार यहां पर दो  दिन रहा और उसने अपने परिवार के ऊपर प्रेत बाधा की मुक्ति का कर्म कांड पूरे विधि विधान के साथ कराया। 

इससे पहले इजराइल और मिस्र के परिवार भी यहां आकर इस तरह का कर्मकांड करा करा चुका है। पंडित मनोज कुमार त्रिपाठी का कहना है कि हिंदू प्रेत बाधा मुक्ति के लिए हिंदू रीति से कर्म कांड कराए जाना आवश्यक है। इसे अन्य किसी रीति से मुक्त नहीं हुआ जा सकता। 

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