कैसे संभलेगा करीब 520 करोड़ रुपए के घाटे में चल रहा रोडवेज, ढाई साल में पांच प्रबंध निदेशक बदले

करीब 520 करोड़ रुपए के घाटे और पूरी तरह से आफरूट हो चुका रोडवेज कैसे संभेलगा यह बड़ा सवाल बन गया है। सरकार एक-दो माह में ही इसका मुखिया यानी प्रबंध निदेशक बदल दे रही। बीते ढाई साल में पांच बार प्रबंध निदेशक बदल दिए गए।

By Raksha PanthriEdited By: Publish:Tue, 20 Jul 2021 12:20 PM (IST) Updated:Tue, 20 Jul 2021 12:20 PM (IST)
कैसे संभलेगा करीब 520 करोड़ रुपए के घाटे में चल रहा रोडवेज, ढाई साल में पांच प्रबंध निदेशक बदले
कैसे संभलेगा करीब 520 करोड़ रुपए के घाटे में चल रहा रोडवेज।

जागरण संवाददाता, देहरादून। करीब 520 करोड़ रुपए के घाटे और पूरी तरह से आफरूट हो चुका रोडवेज कैसे संभेलगा, यह बड़ा सवाल बन गया है। सरकार एक-दो माह में ही इसका मुखिया यानी प्रबंध निदेशक बदल दे रही। बीते ढाई साल में पांच बार प्रबंध निदेशक बदल दिए गए। एक अफसर जब तक महकमें की कार्यप्रणाली समझे, उससे पहले ही उसकी कुर्सी छीन जा रही। अब नए प्रबंध निदेशक डॉ नीरज खैरवाल इसकी जिम्मेदारी संभालेंगे। मौजूदा प्रबंध निदेशक अभिषेक रुहेला को सरकार ने एक माह में ही इस पद से विदा कर दिया।

रोडवेज के प्रबंध निदेशक की कुर्सी बीते ढाई साल से बेहद कम समय के लिए किसी अधिकारी के पास टिक रही। इससे पूर्व कि अधिकारी निगम की गतिविधियों को समझें, उनका तबादला हो जा रहा। वर्ष 2019 की 18 फरवरी को सरकार ने आइएएस आर राजेश कुमार को निगम का प्रबंध निदेशक बनाया व पांच माह बाद चार जुलाई को उन्हेंं यहां से हटा दिया। उनके बाद आइएएस रणवीर सिंह चौहान को प्रबंध निदेशक की कमान सौंपी दी। चौहान 21 माह यहां रहे व छह अप्रैल 2021 को सरकार ने चौहान को हटाकर आइएएस आशीष चौहान को यहां तैनाती दी।

चौहान सवा दो माह इस पद पर रहे। बीती 18 जून को सरकार ने उन्हें इस पद से हटाकर आइएएस अभिषेक रूहेला को प्रबंध निदेशक की जिम्मेदारी सौंपी, लेकिन रुहेला एक माह में ही इस पद से रुखसत कर दिए गए। अब आइएएस नीरज खैरवाल को रोडवेज का नया मुखिया बनाया गया है। चूंकि, मौजूदा परिस्थितियों में रोडवेज का संचालन सरकार के लिए बड़ी चुनौती बना हुआ है, लिहाजा नए मुखिया के लिए इसकी जिम्मेदारी किसी जोखिम से कम नहीं होगी।

वहीं, कर्मचारी संघठन भी बार-बार प्रबंध निदेशक बदले जाने पर सवाल उठा रहे। उनका कहना है कि एक अधिकारी को कम से कम दो साल तक तो इस पद पर लगातार तैनात रखा जाए, ताकि को विभागीय गतिविधियों को समझकर उचित हल तलाश सके।

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