बढ़ते कोरोना संक्रमण से लड़खड़ाने लगी व्यवस्थाएं, ICU के लिए एक से दूसरे अस्पताल चक्कर काट रहे लोग

उत्तराखंड में कोरोना संक्रमण के मामले बढ़ने के साथ ही अब व्यवस्थाएं लडखड़ाने लगी हैं। अन्य जिलों की बात छोड़िए राजधानी दून में ही मरीजों के लिए बेड कम पड़ने लगे हैं। मरीजों को एक से दूसरे अस्पताल भटकना पड़ रहा है।

By Raksha PanthriEdited By: Publish:Wed, 21 Apr 2021 09:51 AM (IST) Updated:Wed, 21 Apr 2021 09:51 AM (IST)
बढ़ते कोरोना संक्रमण से लड़खड़ाने लगी व्यवस्थाएं, ICU के लिए एक से दूसरे अस्पताल चक्कर काट रहे लोग
बढ़ते कोरोना संक्रमण से लड़खड़ाने लगी व्यवस्थाएं।

जागरण संवाददाता, देहरादून। उत्तराखंड में कोरोना संक्रमण के मामले बढ़ने के साथ ही अब व्यवस्थाएं लडखड़ाने लगी हैं। अन्य जिलों की बात छोड़िए, राजधानी दून में ही मरीजों के लिए बेड कम पड़ने लगे हैं। मरीजों को एक से दूसरे अस्पताल भटकना पड़ रहा है। सबसे ज्यादा परेशानी आइसीयू को लेकर है। न तो सरकारी अस्पताल में आइसीयू बेड खाली हैं और न किसी निजी अस्पताल में। ऐसा नहीं है कि कोरोनाकाल में अस्पतालों में आइसीयू बेड बढ़ाए नहीं गए।

शहर के प्रमुख सरकारी अस्पताल दून मेडिकल कॉलेज चिकित्सालय में ही पहले सिर्फ पांच आइसीयू बेड थे, जबकि अब यह संख्या बढ़कर 102 हो चुकी है। एम्स ऋषिकेश में 60 आइसीयू बेड कोरोना के उपचार के लिए आरक्षित हैं। इसके अलावा निजी अस्पतालों में भी 200 से ज्यादा आइसीयू बेड आरक्षित हैं। मगर, तेजी से बढ़ रहे संक्रमण के कारण यह संख्या नाकाफी साबित हो रही है। आइसीयू से इतर दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल में कोविड के लिए 278 बेड की व्यवस्था है।

वहीं, एम्स ऋषिकेश में 300 बेड हैं। इसके अलावा श्रीमहंत इंदिरेश अस्पताल, हिमालयन अस्पताल जौलीग्रांट, सिनर्जी, वेलमेड, सीएमआइ, अरिहंत, कैलाश समेत दर्जनभर निजी अस्पतालों में कोविड के लिए बेड आरक्षित किए गए हैं। इन हालात में भी किसी व्यक्ति के संक्रमित होने पर उसके लिए एक अदद बेड की तलाश मुश्किल हो रही है। 

दून में तेजी से भर रहे बेड 

शहर के प्रमुख सरकारी अस्पताल दून मेडिकल कॉलेज चिकित्सालय को कोविड अस्पताल बनाया गया है। यहां कोविड के लिए 380 बेड की व्यवस्था है। इनमें 102 आइसीयू बेड हैं, मगर वर्तमान स्थिति में सभी आइसीयू बेड फुल हैं। अन्य बेड में भी फिलहाल 60 ही खाली हैं। 

ढूंढे नहीं मिल रहा रेमडेसिविर 

देहरादून में रेमडेसिविर इंजेक्शन की भारी किल्लत बनी हुई है। बाजार में यह इंजेक्शन ढूंढ़े नहीं मिल रहा है। स्थिति यह है कि सरकारी अस्पताल तक में इंजेक्शन का स्टॉक सीमित है। शहर के प्रमुख सरकारी अस्पताल दून मेडिकल कॉलेज चिकित्सालय के पास ही महज 70 इंजेक्शन बचे हैं। यह स्टॉक भी एकाध दिन में ही निपट जाएगा। 

आशंकित कर रही ऑक्सीजन की बढ़ती खपत 

दून मेडिकल कॉलेज चिकित्सालय में ऑक्सीजन की खपत तीन गुना तक बढ़ गई है। सामान्य दिनों में यहां एक हजार क्यूबिक मीटर तक खपत होती थी, जो अब बढ़कर तीन हजार क्यूबिक मीटर से ऊपर पहुंच गई है। अस्पताल का अपना ऑक्सीजन प्लांट है और अभी किसी तरह की दिक्कत नहीं है। लेकिन, अफसर यह मान रहे हैं कि जिस तरह की स्थिति है आने वाले वक्त में खपत के अनुसार आपूर्ति बनाए रखना मुश्किल होगा। बाजार में भी ऑक्सीजन सिलिंडर की मांग चार गुना तक बढ़ी है। फिलहाल किल्लत नहीं है, मगर बढ़ते मामलों को देखते हुए सप्लायर निकट भविष्य में ऑक्सीजन की कमी होने के संकेत दे रहे हैं। 

कोविड केयर सेंटर में बेड तैयार, स्टाफ की दरकार 

महाराणा प्रताप स्पोर्ट्स कॉलेज में 20 ऑक्सीजन बेड तैयार हैं, जबकि 20 बेड और तैयार किए जा रहे हैं। इसमें कुछेक काम बचा है। हालांकि, इन बेड के संचालन में स्टाफ की कमी आड़े आ रही है। सीएमओ कार्यालय ने मंगलवार को तीन स्टाफ नर्स भेजी हैं, पर अभी चिकित्सकों की और जरूरत है, क्योंकि ऑक्सीजन बेड पर मरीज की लगातार निगरानी की जरूरत होती है। 

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