राजाजी टाइगर रिजर्व से लगे लैंसडौन और हरिद्वार वन प्रभागों में भी महफूज रहेंगे बाघ

राजाजी टाइगर रिजर्व से लगे उसके बफर वन प्रभागों में भी अब रिजर्व की भांति बाघ महफूज रहेंगे। इसके लिए राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण से डेढ़-डेढ़ करोड़ की राशि मांगी गई है।

By Sunil NegiEdited By: Publish:Sat, 01 Jun 2019 10:36 AM (IST) Updated:Sat, 01 Jun 2019 08:27 PM (IST)
राजाजी टाइगर रिजर्व से लगे लैंसडौन और हरिद्वार वन प्रभागों में भी महफूज रहेंगे बाघ
राजाजी टाइगर रिजर्व से लगे लैंसडौन और हरिद्वार वन प्रभागों में भी महफूज रहेंगे बाघ

देहरादून, केदार दत्त। राजाजी टाइगर रिजर्व से लगे उसके बफर वन प्रभागों में भी अब रिजर्व की भांति बाघ महफूज रहेंगे। राजाजी की बाघ संरक्षण की वार्षिक कार्ययोजना में लैंसडौन एवं हरिद्वार वन प्रभागों को भी शामिल करते हुए उनके लिए राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) से डेढ़-डेढ़ करोड़ की राशि मांगी गई है। यह दोनों प्रभाग राजाजी रिजर्व से सटे हैं और बाघ समेत दूसरे वन्यजीवों के लिए कॉरीडोर का काम करते हैं। इनमें बाघों की संख्या ठीक-ठाक है। एनटीसीए से पैसा मिलने पर यहां भी संरक्षित क्षेत्रों की भांति बाघों की सुरक्षा और वासस्थल विकास पर विशेष रूप से ध्यान केंद्रित किया जाएगा।

वन्यजीवों के लिहाज से लैंसडौन एवं हरिद्वार वन प्रभाग बेहद संवेदनशील हैं। लैंसडौन वन प्रभाग तो राजाजी और कार्बेट टाइगर रिजर्व के मध्य में है। हरिद्वार भी वन्यजीवों के मामले में धनी है। दोनों ही वन प्रभागों में बाघों की अनुमानित संख्या 12 से 14 के बीच में है। लैंसडौन प्रभाग को तो पूर्व में बाघ संरक्षण के लिए कंजर्वेशन एश्योर्ड टाइगर स्टैंडर्डस (कैट्स) अवार्ड भी मिल चुका है।

बाघों के लिए दोनों ही वन प्रभागों में मुफीद वासस्थल है। बावजूद इसके वहां बाघ सुरक्षा के दृष्टिगत बजट का अभाव हमेशा एक बड़ी बाधा के रूप में सामने आया है। इस सबको देखते हुए राजाजी टाइगर रिजर्व की इस वर्ष एनटीसीए को भेजी गई वार्षिक कार्ययोजना में रिजर्व के लिए बफर का काम करने वाले इन प्रभागों को भी शामिल किया गया है।

राजाजी टाइगर रिजर्व के निदेशक पीके पात्रो बताते हैं कि रिजर्व की वार्षिक कार्ययोजना में इस वर्ष 12 करोड़ की राशि की मांग की गई है। इसमें लैंसडौन एवं हरिद्वार वन प्रभागों के लिए डेढ़-डेढ़ करोड़ की राशि भी शामिल है। उन्होंने बताया कि यह राशि मंजूर होने पर इन दोनों वन प्रभागों में भी रिजर्व क्षेत्र की भांति बाघ सुरक्षा को कदम उठाए जा सकेंगे। साथ ही बाघों के वासस्थल में बढ़ोतरी के लिए अधिक प्रभावी पहल हो सकेगी। 

विभाग ने शासन को भेजी कार्ययोजना

वन्यजीव विभाग ने राजाजी टाइगर रिजर्व की एनटीसीए को भेजी जाने वाली कार्ययोजना तैयार कर शासन को भेज दी है। अब शासन इसे एनटीसीए को भेज रहा है। साथ ही एनटीसीए और राजाजी टाइगर रिजर्व के मध्य एमओयू साइन करवाएगा। एनटीसीए से धनराशि मिलते ही इसका वितरण किया जाएगा।

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