उत्तराखंड में बाढ़ व भूस्खलन के खतरों का होगा अध्ययन
सचिव आपदा प्रबंधन शैलेश बगोली ने उत्तराखंड में बाढ़, भूस्खलन, भूकंप आदि खतरों का अध्ययन होगा। यह अध्ययन अगले 18 माह में पूरा किया जाना है।
देहरादून, [जेएनएन]: उत्तराखंड में बाढ़, भूस्खलन, भूकंप समेत औद्योगिक खतरों व इससे पड़ने वाले सामाजिक आर्थिक प्रभावों का अध्ययन किया जाएगा। यह अध्ययन अगले 18 माह में पूरा किया जाना है। यह जानकारी सचिव आपदा प्रबंधन शैलेश बगोली ने 'उत्तराखंड में आपदा के खतरों का मूल्यांकन' विषय पर आयोजित कार्यशाला के दौरान कही।
राजपुर रोड स्थित एक होटल में आयोजित कार्यशाला में सचिव बगोली ने कहा कि विश्व बैंक पोषित डिजास्टर रिकवरी प्रोजेक्ट के तहत यह अध्ययन कराया जाएगा। पिथौरागढ़ व चमोली में अतिवृष्टि के कारण जो हालात बने हैं, उसे देखते हुए इस कार्यशाला की अहमियत और बढ़ जाती है। आपदाओं को रोका नहीं जा सकता, मगर इसके प्रभाव कम किए जा सकते हैं।अध्ययन में आपदाओं के प्रभाव व इनके नुकसान कम करने की संस्तुतियों को विशेष रूप से शामिल किया जाएगा। अपर सचिव आपदा प्रबंधन सी. रविशंकर ने कहा कि सदियों व पिछले कुछ दशक में आई आपदाओं की आवृत्तियों के आंकड़ों को एकत्रित कर पूर्वानुमान भी लगाया जा सकता है। भूकंप की बात करें तो अधिकांश नुकसान भवनों की कमजोर संरचनाओं के चलते होता है।
आपदा प्रबंधन के उप सचिव संतोष बडोनी ने विभिन्न क्षेत्रों में अलग-अलग जोखिम होने के कारण स्थानीय परिस्थितियों के अध्ययन पर बल दिया। कार्यशाला में डीएचआइ डेनमार्क के प्रतिनिधि डॉ. ओले लारसन ने उत्तराखंड के डिजास्टर रिकवरी प्रोजेक्ट की अवधारणा के बारे में बताया। अर्थ ऑब्जर्वेटरी सिंगापुर के प्रतिनिधि प्रो. पॉल तप्पोनेयर, एडूआररू रिनोस, ईआरएन, मेक्सिको के डॉ. मंजूल हजारिका, डीएचआइ के जूलियन ओलिवर ने भूकंप व जियोलॉजी ऑफ हिमालय पर प्रस्तुतीकरण दिया।