करियर के परंपरागत विकल्पों को ही तरजीह दे रहे छात्र, पढ़िए पूरी खबर

छात्र कॅरियर के परंपरागत विकल्पों को ही तरजीह दे रही है। अधिकांश छात्रों का सपना देश के टॉप कॉलेज में दाखिला लेकर डॉक्टर-इंजीनियर बनने का है।

By Sunil NegiEdited By: Publish:Tue, 07 May 2019 12:13 PM (IST) Updated:Tue, 07 May 2019 12:13 PM (IST)
करियर के परंपरागत विकल्पों को ही तरजीह दे रहे छात्र, पढ़िए पूरी खबर
करियर के परंपरागत विकल्पों को ही तरजीह दे रहे छात्र, पढ़िए पूरी खबर

देहरादून, जेएनएन। बेहतर कॅरियर के लिहाज से छात्र-छात्राओं के सामने वर्तमान में कई विकल्प खुले हैं। मसलन विदेश सेवा, सूचना प्रौद्योगिकी, आइएएस, आइएफएस, आइपीएस, लेकिन उसके बावजूद भी उनकी रुचि मेडिकल व इंजीनियरिंग में ही बनी हुई है। 

युवा पीढ़ी गैर परंपरागत नहीं, बल्कि कॅरियर के परंपरागत विकल्पों को ही तरजीह दे रही है। अधिकांश का सपना देश के टॉप कॉलेज में दाखिला लेकर डॉक्टर-इंजीनियर बनने का है। दून के इन मेधावियों के सामने कॅरियर के लिहाज से कई विकल्प खुले हैं। मगर, करियर पर पूछे गए सवाल को लेकर हर किसी से एक ही जवाब सुनने को मिलता है। डॉक्टर या इंजीनियर। 10वीं बोर्ड परीक्षा बेहतर अंकों के साथ पास करने वाले अधिकांश छात्र-छात्राओं ने 11वीं से ही मेडिकल और इंजीनियरिंग के एंट्रेंस टेस्ट की तैयारी शुरू करने की बात कही। उनका मानना है कि बोर्ड परीक्षाओं में भी कहीं न कहीं उन्हें कोचिंग क्लासेज का लाभ मिला है।

10वीं बोर्ड परीक्षा में 99.4 फीसद अंक हासिल करने वाली दिल्ली पब्लिक स्कूल की छात्रा शगुन मित्तल का कहना है कि परीक्षा के लिए उन्होंने कड़ी मेहनत की। ट्यूशन का फायदा बोर्ड की परीक्षाओं में भी मिला। अब 11वीं में वह कम्प्यूटर विषय सहित पीसीएम में दाखिला लेगी। साथ ही कोचिंग लेंगी। ऐसा ही कहना है 98.5 फीसद अंक हासिल करने वाली दून इंटरनेशनल स्कूल की छात्रा श्रेया शर्मा, 97.4 फीसद अंक प्राप्त करने वाली प्रतिष्ठा का भी।

98.4 फीसद अंक प्राप्त करने वाली अपर्णा वरिष्ठ पीसीएम से 11वीं कर चिकित्सा क्षेत्र में कॅरियर बनाना चाहती हैं। प्रिया चौहान ने बातचीत में बताया कि इस बार बोर्ड परीक्षाओं में अधिकांश प्रश्न एनसीइआरटी के सिलेबस से पूछे गए थे। एनसीईआरटी की किताबों से तैयारी की थी, उनके नंबर अच्छे आए हैं।

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