AIIMS Rishikesh में अब 'स्पोर्ट्स इंजरी क्लीनिक' की सुविधा भी उपलब्ध, इन चोटों का होगा इलाज

स्पोर्ट्स इंजरी के दौरान चोटिल होने वाले खिलाड़ियों के उपचार की सुविधा अब एम्स ऋषिकेश के स्पोर्ट्स इंजरी क्लीनिक में शुरू कर दी गई है। संस्थान में उपलब्ध इस सुविधा का खासतौर से उन खिलाड़ियों को मिल सकेगा जो खेल के दौरान चोटिल अथवा गंभीर घायल हो जाते हैं।

By Raksha PanthriEdited By: Publish:Tue, 26 Jan 2021 01:15 PM (IST) Updated:Tue, 26 Jan 2021 01:15 PM (IST)
AIIMS Rishikesh में अब 'स्पोर्ट्स इंजरी क्लीनिक' की सुविधा भी उपलब्ध, इन चोटों का होगा इलाज
AIIMS Rishikesh में अब 'स्पोर्ट्स इंजरी क्लीनिक' की सुविधा भी उपलब्ध।

जागरण संवाददाता, ऋषिकेश। उत्तराखंड के युवाओं और खेल प्रतिभाओं के लिए अच्छी खबर है। स्पोर्ट्स इंजरी के दौरान चोटिल होने वाले खिलाड़ियों के उपचार की सुविधा अब एम्स ऋषिकेश के स्पोर्ट्स इंजरी क्लीनिक में शुरू कर दी गई है। संस्थान में उपलब्ध इस सुविधा का खासतौर से उन खिलाड़ियों को मिल सकेगा जो खेल के दौरान चोटिल अथवा गंभीर घायल हो जाते हैं। 

निदेशक एम्स पद्मश्री प्रोफेसर रवि कांत बताया कि खिलाड़ियों और युवाओं में इस तरह की समस्याएं आम होती जा रही हैं। लिहाजा इस दिक्कतों को देखते हुए एम्स में शीघ्र ही 'स्पोर्ट्स इंजरी सेंटर' खोला जाना प्रस्तावित है। इसके अंतर्गत पहले चरण में स्पोर्ट्स इंजरी क्लीनिक की सुविधा शुरू की गई है। निदेशक एम्स पद्मश्री प्रो. रवि कांत जी बताया कि स्पोर्ट्स इंजरी क्लीनिक में मरीजों के उपचार के लिए ट्रामा सर्जरी विभाग, ऑर्थोपेडिक्स विभाग और फिजिकल मेडिकल विभाग के विशेषज्ञ चिकित्सकों की संयुक्त टीम उपलब्ध कराई गई है, जिससे स्पोर्ट्स इंजरी से ग्रसित राज्य के खिलाड़ियों और युवाओं का एम्स ऋषिकेश में ही समुचित इलाज किया जा सके। 

प्रो. रवि कांत के अनुसार उत्तराखंड एवं अन्य राज्यों के आर्मी ट्रेनिंग सेंटर और स्पोर्ट्स ट्रेनिंग सेंटर के सहयोग से सेना के जवानों, खिलाड़ियों और अन्य लोगों को इस केंद्र में विशेष प्राथमिकता दी जाएगी।ट्रामा सर्जरी विभागाध्यक्ष प्रो. मोहम्मद कमर आजम ने बताया कि स्पोर्ट्स इंजरी को लिगामेंट्स इंजरी भी कहा जाता है। लिगामेंट्स इंजरी के दौरान व्यक्ति का घुटना टूट जाना अथवा उसके घुटनों के जोड़ों का संतुलन बिगड़ जाने की समस्या प्रमुख है। 

इसके अलावा कई बार घुटनों के ज्वाइंट्स भी अपनी जगह से खिसक जाते हैं। यह जोड़ एक हड्डी को दूसरी हड्डी से आपस में जोड़ने का काम करते हैं। मगर एक्सरे या सीटी स्कैन में इसका पता नहीं चल पाता है। प्रो. आजम ने बताया कि जब मरीज की हड्डी घिस जाती है तो बाद में उसे उस जगह दर्द होने लगता है। स्पोर्ट्स इंजरी क्लीनिक में ऐसे ही लोगों का इलाज किया जाएगा। संबंधित रोगी स्पोर्ट्स इंजरी की ओपीडी में अपनी जांच करा सकते हैं।

2020 में 438 की हुई लिगामेंट्स सर्जरी 

प्रो. मोहम्मद कमर आजम ने बताया कि बीते वर्ष 2020 में एम्स के ट्रामा विभाग में 438 व्यक्तियों की लिगामेंट्स सर्जरी की जा चुकी है, जबकि पिछले ढाई साल के दौरान लिगामेंट्स इंजरी वाले लगभग 2000 लोगों का उपचार किया गया है। जिनमें ज्यादातर मामले बाइक से गिरकर अथवा फिसलकर घुटना टूट जाने की शिकायत वाले रहे हैं। उन्होंने बताया कि आयुष्मान भारत योजना के लाभार्थियों के लिए यह उपचार योजना के तहत निश्शुल्क उपलब्ध है।

स्पोर्ट्स लिगामेन्ट्स इंजरी के लक्षण

लिगामेंट्स इंजरी होने पर एक हड्डी को दूसरी हड्डी से जोड़ने वाले घुटने का जोड़ टूट जाता है, जिससे चलते समय पैरों का बेलेंस बिगड़ना, व्यक्ति का संतुलित होकर न चल पाना, कंधा दर्द करना, सीढ़ी चढ़ने-उतरने में दिक्कत होना, पैरों से लचक कर चलना, हाथ का ठीक तरह से ऊपर न उठना और काम करते हुए हड्डी में दर्द रहना इसके प्रमुख लक्षण हैं।

यह भी पढ़ें- SGRR में पॉपुलर साइंस लेक्चर सीरीज शुरू, विज्ञान के क्षेत्र में हो रही प्रगति से रूबरू हुए छात्र

chat bot
आपका साथी