राजेश सूरी केस में एसपी सिटी ने शुरू की तफ्तीश

चर्चित अधिवक्ता राजेश सूरी हत्याकांड की एसपी सिटी पीके राय ने नए सिरे से जांच शुरू कर दी है।

By Edited By: Publish:Thu, 13 Sep 2018 03:01 AM (IST) Updated:Thu, 13 Sep 2018 12:39 PM (IST)
राजेश सूरी केस में एसपी सिटी ने शुरू की तफ्तीश
राजेश सूरी केस में एसपी सिटी ने शुरू की तफ्तीश
जागरण संवाददाता, देहरादून: चर्चित अधिवक्ता राजेश सूरी हत्याकांड की एसपी सिटी पीके राय ने नए सिरे से तफ्तीश शुरू कर दी है। उन्हें एक माह के भीतर डीआइजी को जांच रिपोर्ट देनी है। बता दें कि बीते माह सीजेएम मनींद्र मोहन पांडेय की अदालत ने कोतवाली पुलिस की थ्योरी को न मानते हुए मामले में लगी अंतिम रिपोर्ट को खारिज कर दिया था और डीआइजी गढ़वाल को प्रकरण की पुन: विवेचना कराने का आदेश दिया था। बता दें कि बीते साल एक मार्च 2017 को रीटा सूरी ने अपने सगे भाई अधिवक्ता राजेश सूरी की हत्या को लेकर हाईकोर्ट नैनीताल में याचिका दायर की गई थी। जिसमें कोतवाली पुलिस पर सही तरीके से विवेचना न करने और तमाम तथ्यों को नजरअंदाज करने का आरोप लगाया गया था। हाईकोर्ट की डबल बेंच ने याचिका पर सुनवाई के दौरान सीजेएम को चार महीने के भीतर प्रकरण का निस्तारण करने का आदेश दिया। सीजेएम कोर्ट में सुनवाई के दौरान पुलिस ने अदालत को बताया विवेचक ने एफएसएल की रिपोर्ट व पीएम करने वाले डाक्टर के बयानों में विरोधाभास पाने के बाद सीएफएसएल दिल्ली को बिसरा जांच के लिए भेजा। मगर सीएफएसएल ने पार्सल पर अंकित पीएम नंबर व बिसरा पर अंकित पीएम नंबर में अंतर होने तथा पार्सल व नमूना मुहर पर अंकित सील स्पष्ट न होने के चलते वापस कर दिया। इसके बाद पुलिस ने दोबारा बिसरा दिल्ली भेजा, मगर बिसरा की मात्रा पर्याप्त न होने के कारण फिर लौटा दिया गया। मगर परीक्षण के दौरान अदालत ने कहा कि पीएम रिपोर्ट व एफएसएल की रिपोर्ट में जहर पाया जाना विरोधाभासी तथ्य नहीं है और सीएफएसएल की रिपोर्ट न होने को एफआर लगाने का आधार नहीं माना जा सकता। यही नहीं, तमाम तथ्य सामने होने के बाद भी आरोपितों का पालीग्राफ व नारकोटेस्ट का प्रयास नहीं किया गया, जबकि मामला गंभीर प्रकृति का है। यही नहीं, डीआइजी के आदेश के बाद भी न्यायालय में मामला विचाराधीन होना बताकर एसआइटी का गठन नहीं किया गया। लिहाजा अब एसपी सिटी की अगुवाई में एसआइटी गठित कर दी गई है। यह है पूरा मामला 30 नवंबर 2014: अधिवक्ता राजेश सूरी का शव नैनीताल से देहरादून आते समय रास्ते में उनकी कार में मिला था। 31 नवंबर 2014: पंचायतनामा भरने वाले दारोगा मनोहर सिंह रावत व पंचों ने संदेह व्यक्त किया कि सूरी की मौत विषाक्त पदार्थ खाने से हुई प्रतीत होती है। 5 दिसंबर 2014: सूरी की बहन अधिवक्ता रीटा सूरी ने हत्या का आरोप लगाते हुए कोतवाली में मुकदमा दर्ज कराया गया। 28 अगस्त 2015: बिसरा रिपोर्ट में सूरी को जहर दिए जाने की पुष्टि हो गई। 31 अगस्त 2016: सीबीआई जांच के लिए नोटिफिकेशन भी जारी कर दिया। 26 अक्टूबर 2016: कोतवाली पुलिस ने मामले में अंतिम रिपोर्ट लगा दी। 27 फरवरी 2018: डीआइजी ने एसआइटी गठित करने का आदेश दिया।
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