उत्तराखंड क्रिकेट एसोसिएशन के पदाधिकारियों के रवैये पर उठे सवाल, जानिए वजह

उत्तराखंड सीनियर क्रिकेट टीम का कोच वसीम जाफर को बनाने पर सवाल उठना और उन्हें बाहरी बताना सीएयू के कुछ पदाधिकारी की ओछी मानसिकता ही प्रदर्शित करता है।

By Raksha PanthariEdited By: Publish:Wed, 22 Jul 2020 04:40 PM (IST) Updated:Thu, 23 Jul 2020 07:28 AM (IST)
उत्तराखंड क्रिकेट एसोसिएशन के पदाधिकारियों के रवैये पर उठे सवाल, जानिए वजह
उत्तराखंड क्रिकेट एसोसिएशन के पदाधिकारियों के रवैये पर उठे सवाल, जानिए वजह

देहरादून, जेएनएन। वसीम जाफर को उत्तराखंड सीनियर क्रिकेट टीम का कोच बनाने पर सवाल उठना और उन्हें बाहरी बताना उत्तराखंड क्रिकेट ऑफ एसोसिएशन के कुछ पदाधिकारी की ओछी मानसिकता ही प्रदर्शित करता है। इससे साफ है कि इन पदाधिकारियों को राज्य में क्रिकेट की मजबूती से कोई सरोकार नही इन्हें बस अपना स्वार्थ साधना है। दूसरी और ऐसे सवाल उठा कर कुछ पदाधिकारी साबित करते हैं कि उन्हें एसोसिएशन के संविधान की भी जानकारी नहीं है। वसीम जाफर भारतीय क्रिकेट का जाना-माना नाम है यहां तक भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान दिलीप वेंगसरकर ने भी मुंबई क्रिकेट एसोसिएशन को मुंबई का कोच न बनाने पर फटकार लगाई थी। इससे वसीम के वजूद का पता चलता है। ऐसी शख्शियत का हमारे साथ जुडऩे में हमे गर्व होना चाहिए न कि राजनीति करनी चाहिए। सीएयू का सोचना चाहिए कि वसीम का हम कैसे ओर कितना फायदा टीम को मजबूत करने में उठा सकते है।

इस बगिया को कब मिलेगा 'माली'

27 साल पहले खेलों की पौध तैयार करने को बनाई गई नर्सरी आज भी स्थायित्व का इंतजार कर रही है। इस नर्सरी से राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय स्तर की पौध तो तैयार हुई, लेकिन अब तक स्थायी 'माली' नहीं मिल पाया। बात हो रही है सूबे के पहले महाराणा प्रताप स्पोर्ट्स कॉलेज की। 16 जुलाई 1993 को रायपुर में चार कमरों से शुरू हुए स्पोर्ट्स कॉलेज ने विस्तार तो लिया, लेकिन इतने साल बाद भी कॉलेज को स्थायी प्रधानाचार्य नहीं मिला। हालात यह है कि जब तक कोई नया प्रधानाचार्य कामकाज को समझा है तब तक उनका स्थानांतरण हो जाता है। इसी साल की शुरुआत में उप निदेशक युवा कल्याण अजय अग्रवाल को प्रधानाचार्य पद की जिम्मेदारी दी गई थी लेकिन उन्हें अब इस पद से मुक्त कर जिला क्रीड़ाधिकारी राजेश ममगाईं को कॉलेज का प्रभारी प्रधानाचार्य बनाया गया है। ऐसी व्यवस्था क्या कॉलेज व छात्रों के हित में है यह सोचनीय प्रश्न है।

क्या दबाव बनाने के लिए शिकायत

सीएयू के पदाधिकारी एक दूसरे पर आरोप लगाने में पीछे नहीं रहते। लेकिन हैरानी की बात यह है कि पदाधिकारी एक दूसरे की शिकायत तो करेंगे। लेकिन जब उनसे शिकायत की जानकारी के लिए फोन करो तब वह फोन नहीं उठाएंगे। ऐसा कई बार हो चुका है। हाल ही में एसोसिएशन के कुछ पदाधिकारियों ने एसोसिएशन के अध्यक्ष को पत्र लिखकर अपनी नाराजगी जताई। वह पत्र जब सार्वजनिक हुआ और मीडिया ने शिकायतकर्ताओं को फोन किया तो उनकी तरफ से फोन नहीं उठा। बाद में फोन करने पर मैसेज जरूर आए, लेकिन फोन नहीं किया। ऐसे में सवाल खड़ा होता है कि क्या सिर्फ दबाव बनाने के लिए शिकायत की जाती है या वाकई उन्हें कोई समस्या है, अगर एसोसिएशन में कुछ गलत हो रहा है, तो उसके खिलाफ आवाज उठाने में डर कैसा। क्योंकि जब तक हम गलत निर्णयों का विरोध नहीं करेंगे तब तक व्यवस्था कैसे सुधर पाएगी।

सातवीं में प्रवेश भी है विकल्प

कोरोना महामारी के चलते महाराणा प्रताप स्पोर्ट्स कॉलेज की कक्षा छह की प्रवेश प्रक्रिया फिलहाल स्थगित है। कॉलेज प्रबंधन प्रवेश प्रक्रिया पर सरकार के फैसले का इंतजार कर रहा है। हालांकि कॉलेज के प्रशिक्षक इस सत्र में प्रवेश चयन ट्रायल का हो होना संभव नहीं मान रहें हैं। ऐसे में कॉलेज प्रबंधन अन्य विकल्प भी तलाश रहा है। अगर इस सत्र में प्रवेश प्रक्रिया पूरी नहीं हो पाती है।

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तो अगले सत्र में कॉलेज प्रबंधन सीधे कक्षा सात में प्रवेश पर विचार कर सकता है। ऐसे में अगले सत्र में कक्षा छह व कक्षा सात दोनों में प्रवेश दिलाए जा सकते हैं। जिससे एक कक्षा का गैप भी भरा जा सकेगा । हालांकि अभी प्रवेश को लेकर कुछ भी तय नहीं है। विद्यार्थी व अभिभावक को सरकार के फैसले का इंतजार है। वहीं राज्य सरकार औऱ कॉलेज प्रशासन ऐसा रास्ता निकला चाहिए जिससे छात्रों का नुकसान न हो।

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