उत्‍तराखंड में प्रोफेसर पदों पर पदोन्नति के लिए शोध को तरजीह

अब सरकारी विश्वविद्यालयों एवं डिग्री कॉलेजों में एसोसिएट प्रोफेसर और प्रोफेसरों के पदों पर पदोन्नति के लिए शोध पत्रों के प्रस्तुतीकरण की अहम भूमिका की होगी।

By Edited By: Publish:Sat, 07 Sep 2019 10:25 PM (IST) Updated:Sun, 08 Sep 2019 08:30 PM (IST)
उत्‍तराखंड में प्रोफेसर पदों पर पदोन्नति के लिए शोध को तरजीह
उत्‍तराखंड में प्रोफेसर पदों पर पदोन्नति के लिए शोध को तरजीह

देहरादून, रविंद्र बड़थ्वाल। प्रदेश में अब सरकारी विश्वविद्यालयों एवं डिग्री कॉलेजों में एसोसिएट प्रोफेसर और प्रोफेसरों के पदों पर पदोन्नति के लिए न्यूनतम अर्हता, पीएचडी कार्य, शोध कार्यों में निरंतर सक्रियता और अंतर्राष्ट्रीय या राष्ट्रीय सम्मेलनों में शोध पत्रों के प्रस्तुतीकरण की अहम भूमिका की होगी। यूजीसी रेग्युलेशन-2018 लागू होने के बाद सबसे ज्यादा फायदा प्रोफेसर पदों पर पदोन्नति का रास्ता खुलने के रूप में हुआ है। अब स्नातकोत्तर स्तर पर संकायवार प्रोफेसर पद पर एक से अधिक पदोन्नति हो सकेगी। 

मंत्रिमंडल ने बीती 28 जुलाई को डिग्री शिक्षकों की नियुक्ति और पदोन्नति के लिए यूजीसी रेग्युलेशन-2018 को लागू करने का निर्णय लिया था। अब शासनादेश जारी कर उक्त रेग्युलेशन लागू कर दिया गया है। इस रेग्युलेशन ने यूजीसी के वर्ष 2010 के रेग्युलेशन का स्थान ले लिया है। नए रेग्युलेशन लागू होने के बाद असिस्टेंट प्रोफेसर व अन्य पदों पर नियुक्ति के साथ ही पदोन्नति के लिए भी नए प्रावधान अस्तित्व में आ गए हैं। अब उच्च ग्रेड वेतन में पदोन्नति के लिए निर्धारित मूल्यांकन इंडेक्स एपीआइ पर खरा उतरना होगा। अब एसोसिएट प्रोफेसर पदों पर पदोन्नति के लिए शोध पत्र और उनका प्रकाशन, पीएचडी थीसिस कराने और अंतराष्ट्रीय या राष्ट्रीय सम्मेलनों में शोध पत्र प्रस्तुतीकरण को प्रमुख आधार बनाया जाएगा। 

यूजीसी रेग्युलेशन-2010 में एसोसिएट प्रोफेसर के पद पर पदोन्नति के लिए पीएचडी अनिवार्य नहीं थी, लेकिन यूजीसी रेग्युलेशन-2018 में न्यूनतम अर्हताओं के साथ पीएचडी होना जरूरी होगा। वहीं पुरानी व्यवस्था में स्नातकोत्तर विभाग में प्रोफेसर के एक ही पद पर पदोन्नति होती थी, लेकिन नई व्यवस्था में एक ही विभाग में प्रोफेसर के एक से ज्यादा पदों पर पदोन्नति मुमकिन होगी, लेकिन इसमें शर्त यही है कि पदोन्नति की पात्रता सभी के लिए पूरी करना अनिवार्य होगा। उच्च शिक्षा प्रमुख सचिव आनंद बद्र्धन के मुताबिक नया रेग्युलेशन लागू होने के बाद विश्वविद्यालय परिसरों और डिग्री कॉलेजों में अब शोध कार्य पर जोर देना ही होगा। 

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डॉ प्रशांत सिंह (अध्यक्ष राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ उत्तराखंड) का कहना है कि यूजीसी रेग्युलेशन-2018 लागू होने से उच्च शिक्षा परिसरों में शोध कार्यों को नई दिशा मिलेगी। यह शोध कार्यों के स्तर को सुधारने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा।

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