उत्तराखंड: सीएम से वार्ता के बाद नर्सों ने आंदोलन किया स्थगित, 30 से बेमियादी कार्य बहिष्कार की दी थी चेतावनी

सीएम रावत के साथ वार्ता के बाद नर्सों ने अपना आंदोलन वापस ले लिया है। दरअसल उन्होंने 30 सितंबर से बेमियादी कार्य बहिष्कार का ऐलान किया था। पर इससे ठीक पहले मंगलवार को मुख्यमंत्री ने नर्सेज संघ के पदाधिकारियों को वार्ता के लिए बुलाया जो सफल रही।

By Raksha PanthariEdited By: Publish:Tue, 29 Sep 2020 05:26 PM (IST) Updated:Tue, 29 Sep 2020 11:44 PM (IST)
उत्तराखंड: सीएम से वार्ता के बाद नर्सों ने आंदोलन किया स्थगित, 30 से बेमियादी कार्य बहिष्कार की दी थी चेतावनी
सीएम से वार्ता के बाद नर्सों ने वापस लिया आंदोलन।

देहरादून, जेएनएन। ग्रेड-पे संशोधन समेत लंबित मांगों को लेकर आंदोलनरत नर्सों ने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से मुलाकात के बाद अपना आंदोलन स्थगित कर दिया है। आपको बता दें कि नर्सें पिछले नौ दिन से काली पट्टी बांधकर काम कर रही थीं। उन्होंने 30 सितंबर से बेमियादी कार्य बहिष्कार की चेतावनी दी थी। 

मुख्यमंत्री ने मंगलवार को उत्तराखंड नर्सेज सर्विसेज एसोसिएशन के पदाधिकारियों को वार्ता के लिए बुलाय। नर्सों की सभी समस्याओं को उन्होंने ध्यान से  सुना और उनपर सहमति जताई। सीएम ने कहा कि नर्सों की एक दिन की वेतन कटौती रोकने का प्रस्ताव कैबिनेट में लाया जाएगा। साथ ही रिक्त पदों पर भी जल्द नियुक्ति की जाएगी। नर्सों की पदोन्नति और अन्य प्रकरणों पर उन्होंने विभागीय अधिकारियों को जल्द कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। 

उन्होंने कहा कि इंडियन पब्लिक हेल्थ स्टेंड‌र्ड्स (आइपीएचएस) के मानकों  के आधार पर नर्सों के पद बढ़ाए गए हैं, जिसका शासनादेश भी जारी हो चुका है। उत्तराखंड नर्सेज सर्विसेज एसोसिएशन की प्रांतीय अध्यक्ष मीनाक्षी जखमोला ने कहा कि मुख्यमंत्री के आश्वासन पर नर्सों ने अपना आंदोलन स्थगित कर दिया है। नर्सों की मुख्य मांग है कि उन्हें 5400 रुपये का प्रथम ग्रेड पे अनुमन्य किया जाए। साथ ही केंद्र के समान नर्सों का पदनाम परिवर्तित किया जाए। कोरोनाकाल में ड्यूटी करने पर नर्सों का एक दिन का वेतन न काटा जाए और काटे गए वेतन को वापस किया जाए।

प्रदेश प्रधान संगठन मुखर 

12 सूत्रीय मांगों की तरफ सरकार की ओर से ध्यान न देने पर प्रदेश प्रधान संगठन ने दो अक्टूबर से प्रदेश स्तर पर ग्राम पंचायत विकास योजना (जीपीडीपी) निर्माण की बैठकों का बहिष्कार करने का फैसला लिया है। संगठन ने आरोप लगाया कि वह पिछले नौ दिनों से एकता विहार में अपनी मांगों को लेकर लगातार धरना प्रदर्शन कर रहे हैं, लेकिन शासन और सरकार की तरफ से उनकी बात सुनने के लिए अब तक कोई भी अधिकारी नहीं पहुंचा।

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