उत्तराखंड में अब जीडीपी की तर्ज पर जीईपी का भी होगा आकलन, बना देश का पहला राज्य

अब जीडीपी की तर्ज पर सकल पर्यावरणीय उत्पाद यानी जीईपी का आकलन भी किया जाएगा। वन एवं पर्यावरण मंत्री हरक सिंह रावत ने विश्व पर्यावरण दिवस पर यह घोषणा की। उन्होंने बताया कि प्रदेश में पर्यावरण के क्षेत्र में बेहतर काम करने वाले जिलों और विभागों को सम्मानित किया जाएगा।

By Raksha PanthriEdited By: Publish:Sat, 05 Jun 2021 04:43 PM (IST) Updated:Sat, 05 Jun 2021 10:33 PM (IST)
उत्तराखंड में अब जीडीपी की तर्ज पर जीईपी का भी होगा आकलन, बना देश का पहला राज्य
उत्तराखंड में अब जीडीपी की तर्ज पर जीईपी का भी होगा आकलन, वन मंत्री ने की घोषणा।

राज्य ब्यूरो, देहरादून। पर्यावरणीय दृष्टि से बेहद संवेदनशील उत्तराखंड में अब सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की तर्ज पर सकल पर्यावरण उत्पाद (जीईपी) का आकलन भी किया जाएगा। विश्व पर्यावरण दिवस पर वन एवं पर्यावरण मंत्री डा. हरक सिंह रावत ने सरकार के इस फैसले का एलान किया। इसके साथ ही जीईपी की दिशा में कदम बढ़ाने वाला उत्तराखंड देश का पहला राज्य बन गया है। सरकार ने प्रदेशभर में तालाबों को पुनर्जीवित करने, प्रत्येक विभाग में क्लाइमेट चेंज की नई मद खोलने और ईको रेस्टोरेशन के लिए बेहतर कार्य करने वाले जिलों व विभागों को पुरस्कृत करने संबंधी फैसले भी लिए हैं।

71.05 फीसद वन भूभाग वाले उत्तराखंड में ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से पार पाने के लिए पद्मभूषण पर्यावरणविद् डा. अनिल जोशी वर्ष 2010 से विभिन्न मंचों से राज्य में जीईपी के आकलन की आवाज उठा रहे थे। लंबे इंतजार के बाद प्रदेश सरकार ने जीईपी के महत्व को समझा और शनिवार को विश्व पर्यावरण दिवस पर वन एवं पर्यावरण मंत्री डा.हरक सिंह रावत ने सचिवालय में पत्रकारों से बातचीत में इस संबंध में सरकार के महत्वपूर्ण फैसले की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि अब राज्य में जीडीपी की तर्ज पर जीईपी का आकलन किया जाएगा। इससे यह पता चल सकेगा कि राज्य से मिल रही पर्यावरणीय सेवाओं का मूल्य क्या है, इनमें किस तरह की बढ़ोतरी या कमी दर्ज की जा रही है। इन दोनों के अंतर के बाद जो स्थिति आएगी वह जीईपी कहलाएगी।

जीईपी सामने आने के बाद जीडीपी में वानिकी क्षेत्र के लिए नए प्रविधान हो सकेंगे। उन्होंने कहा कि सरकार का यह फैसला अन्य राज्यों के लिए भी नजीर बनेगा। तालाबों को मिलेगा पुनर्जीवनवन एवं पर्यावरण मंत्री ने बताया कि सरकार ने प्रदेश के सभी गांवों व शहरों में राजस्व समेत अन्य विभागों के अभिलेखों में जितने भी तालाब अथवा जलस्रोतों का उल्लेख है, उन्हें एक वर्ष के भीतर पुनर्जीवित किया जाएगा। इसके लिए विशेष मुहिम शुरू की जाएगी। इस पहल के पीछे मंशा जल संरक्षण को बढ़ावा देने के साथ ही जनसामान्य को जागरूक करना भी है।जिलों व विभागों को पुरस्कारविश्व पर्यावरण की थीम ईको रेस्टोरेशन के तहत बेहतर कार्य करने वाले जिलों, विभागों, संस्थाओं और व्यक्तियों को भी सरकार ने पुरस्कृत करने का निर्णय लिया है।

कैबिनेट मंत्री डा. रावत ने कहा कि इसके लिए वानिकी, जल संरक्षण, कृषि समेत अन्य क्षेत्रों में बेहतर कार्य करने वाले जिलों व विभागों को चिह्नित कर उन्हें अगले वर्ष पांच जून को पुरस्कृत किया जाएगा। डा. रावत ने कहा कि जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निबटने में सभी विभागों का योगदान आवश्यक है। इसे देखते हुए निर्णय लिया गया है कि प्रत्येक विभाग में क्लाइमेट चेंज की नई मद खोली जाएगी और इसके लिए अनिवार्य रूप से बजट का प्रविधान किया जाएगा।

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