रोडवेज में ड्यूटी के नए नियम, एक दिन नहीं आए तो दो दिन अनुपस्थित

रोडवेज में आज से ड्यूटी के नए नियम लागू किए गए हैं। अगर कोई कर्मी रोस्टर के तहत बनाए ड्यूटी चार्ट में उपस्थित नहीं होता है तो उसकी दो दिन की गैर-हाजिरी दर्ज की जाएगी।

By Bhanu Prakash SharmaEdited By: Publish:Tue, 09 Jun 2020 11:37 AM (IST) Updated:Tue, 09 Jun 2020 11:37 AM (IST)
रोडवेज में ड्यूटी के नए नियम, एक दिन नहीं आए तो दो दिन अनुपस्थित
रोडवेज में ड्यूटी के नए नियम, एक दिन नहीं आए तो दो दिन अनुपस्थित

देहरादून, जेएनएन। रोडवेज में आज से ड्यूटी के नए नियम लागू किए गए हैं। अगर कोई कर्मी रोस्टर के तहत बनाए ड्यूटी चार्ट में उपस्थित नहीं होता है तो उसकी दो दिन की गैर-हाजिरी दर्ज की जाएगी। महाप्रबंधक (प्रशासन) हर गिरी ने इस संबंध में सभी मंडल, डिपो, प्रशासनिक कार्यालयों व कार्यशालाओं के प्रभारियों को आदेश जारी कर दिया है।

अनलॉक-1 के तहत रोडवेज महाप्रबंधक (प्रशासन) हर गिरी ने कर्मचारी को ड्यूटी के लिए तैयार रहने के आदेश दिए हैं। सूबे के सभी मंडलों, डिपो, प्रशासनिक दफ्तर व कार्यशालाओं के लिए जारी आदेश में कहा गया है कि समूह क व ख के सभी अफसर नियमित रूप से दफ्तर में आएं। आवश्यक सेवा के तहत सभी उपाधिकारियों को दफ्तर आने के आदेश दिए गए हैं। 

प्रशासनिक व डिपो में समूह ग व घ समेत लिपिक संवर्ग के 50 फीसद कर्मियों को आने के आदेश दिए गए हैं। कार्यशाला में 50 फीसद कर्मी, जबकि डिपो में जरूरत पड़ने पर 50 फीसद से अधिक कर्मियों को बुलाने के आदेश भी दिए गए। चालक-परिचालकों की मौजूदगी 50 फीसद रखने के आदेश दिए गए। इसमें 30 फीसद पहली पाली, जबकि बीस फीसद दूसरी पाली में रहेंगे और जरूरत पड़ने इन्हें अधिक संख्या में बुलाया जाएगा।

महाप्रबंधक ने सभी अफसरों को सप्ताह का रोस्टर बनाकर कर्मियों की ड्यूटी लगाने के आदेश दिए हैं। साथ ही यह आदेश भी दिया कि अगर इसके तहत कोई कर्मी एक दिन ड्यूटी पर नहीं आता है तो उसकी दो दिन की गैर-हाजिरी दर्ज की जाए। आदेश दिए गए हैं कि उपस्थिति की सूचना रोजाना निगम मुख्यालय को प्रेषित की जाए। 

इसके साथ ही ड्यूटी पर मॉस्क पहनना अनिवार्य होगा। दफ्तरों में शारीरिक दूरी का पालन करने के आदेश दिए गए हैं। महाप्रबंधक ने कहा कि आवश्यक सेवा के तहत रोडवेज के सभी कर्मचारी ड्यूटी के लिए तैयार रहें, उन्हें कभी भी बुलाया जा सकता है।

सुलझ सकता है रोडवेज वर्कशॉप का विवाद

स्मार्ट सिटी की ग्रीन बिल्डिंग को लेकर रोडवेज कार्यशाला की जमीन को लेकर चल रहा विवाद अब सुलझने की उम्मीद है। शासन ने रोडवेज के प्रबंध निदेशक रणवीर सिंह चौहान को ही स्मार्ट सिटी सीईओ की भी जिम्मेदारी सौंप दी है। एमडीडीए उपाध्यक्ष की जिम्मेदारी भी चौहान को सौंपी गई है। ऐसे में न केवल रोडवेज कार्यशाला बल्कि आइएसबीटी के स्वामित्व को लेकर चला आ रहा विवाद भी सुलझ सकता है। इसे लेकर रोडवेज यूनियनों ने प्रबंध निदेशक से शीघ्र कदम उठाने की अपील की है।

दरअसल, सरकार ने गत वर्ष नवंबर में रोडवेज कार्यशाला की जमीन स्मार्ट सिटी में ग्रीन बिल्डिंग बनाने के लिए हस्तांतरित कर दी थी। नई कार्यशाला ट्रांसपोर्टनगर में बनाई जा रही है। इसके लिए स्मार्ट सिटी के फंड से रोडवेज को 20 करोड़ रुपये भी दिए गए थे, लेकिन रोडवेज के कर्मचारी संगठन इस फैसले का विरोध कर रहे हैं। वे कार्यशाला की जमीन के बदले 250 करोड़ रुपये मांग रहे हैं। मांग पूरी न होने पर आइएसबीटी के स्वामित्व के साथ 50 करोड़ रुपये की शर्त रखी हुई है।

इन दोनों मांगों में से एक मांग पूरी होने की सूरत में ही समझौते की आस है। कार्यशाला की जमीन के लिए उत्तरांचल रोडवेज कर्मचारी यूनियन हाईकोर्ट में अर्जी लगा चुकी है व उसकी अर्जी पर न्यायालय ने जमीन ट्रांसफर करने पर रोक भी लगा दी थी। ऐसे में मामला गत छह माह से अटका हुआ है। 

अब चूंकि प्रबंध निदेशक को ही सीईओ स्मार्ट सिटी व एमडीडीए उपाध्यक्ष की भी जिम्मेदारी दे दी गई है, ऐसे में रोडवेज को कार्यशाला व आइएसबीटी का मामला शीघ्र सुलझने के आसार लग रहे। कार्यशाला का मामला स्मार्ट सिटी सीईओ को सुलझाना है और आइएसबीटी का मामला एमडीडीए के उपाध्यक्ष को। 

कर्मचारी यूनियन के महामंत्री अशोक चौधरी ने कहा कि अगर ये मामले सुलझ गए तो रोडवेज का घाटा भी दूर हो सकता है और कोरोना संक्रमण के नुकसान को भी रोडवेज कवर कर सकता है। वहीं, प्रबंध निदेशक रणवीर सिंह चौहान ने कहा कि वे इन मामलों के निस्तारण को शीघ्र ही संयुक्त प्रयास से कदम उठाएंगे।

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बसें चलाने के मूड में नहीं परिवहन निगम

रोडवेज प्रबंधन अभी बस संचालन के मूड में नहीं है। प्रबंध निदेशक रणवीर सिंह चौहान ने बताया कि जिन राज्यों में पिछले दिनों रोडवेज बसों का संचालन शुरू हुआ था, वहां की रिपोर्ट बेहद निराशाजनक आई हैं। यूपी, राजस्थान, हिमाचल आदि में बसों में जितनी राशि का डीजल भरा गया, उसके सापेक्ष एक चौथाई भी कमाई नहीं हुई। ऐसे में उत्तराखंड में संचालन शुरू करना, किसी बड़े घाटे से कम नहीं होगा। प्रबंध निदेशक ने कहा कि अगर सरकार आदेश देती है तो संचालन पर निर्णय लिया जाएगा।

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