एनबीसीसी को मिलेगा रिवर फ्रंट डेवलपमेंट का जिम्मा!

जागरण संवाददाता, देहरादून: मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण (एमडीडीए) की अति महत्वकांक्षी रिवर फ्रं

By JagranEdited By: Publish:Tue, 01 May 2018 03:00 AM (IST) Updated:Tue, 01 May 2018 03:00 AM (IST)
एनबीसीसी को मिलेगा रिवर फ्रंट डेवलपमेंट का जिम्मा!
एनबीसीसी को मिलेगा रिवर फ्रंट डेवलपमेंट का जिम्मा!

जागरण संवाददाता, देहरादून: मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण (एमडीडीए) की अति महत्वकांक्षी रिवर फ्रंट डेवलपमेंट योजना के एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट (ईओआइ) में सार्वजनिक क्षेत्र की एकमात्र कंपनी नेशनल बिल्डिंग्स कंस्ट्रक्शन (एनबीसीसी) लि. ने दिलचस्पी दिखाई है। एक तरह की टेक्निकल बिड ईओआइ में एनबीसी के प्रतिभाग के बाद यह आसार बन रहे हैं कि यह काम इसी कंपनी को दे दिया जाएगा। हालांकि, अभी तीन मई को यह बिड खोले जाने के बाद फाइनेंशियल बिड के लिए भी इसी कंपनी को प्रतिभाग कराया जाएगा।

रिवर फ्रंट डेवलपमेंट (आरएफडी) के तहत एमडीडीए ने पहले फेज में रिस्पना व बिंदाल नदी के 3.7 किलोमीटर हिस्से को विकसित करने का निर्णय लिया है। इसके लिए एमडीडीए ने सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों से एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट के तहत आवेदन मागे थे। प्रोजेक्ट के बारे में कंपनियों को जानकारी देने के लिए पूर्व में एक बैठक भी रखी थी। बैठक में तब करीब आधा दर्जन कंपनियों ने शिरकत की थी। हालांकि अब आवेदन सिर्फ एनबीसीसी का ही प्राप्त हो पाया।

एमडीडीए के अधीक्षण अभियंता संजीव जैन के मुताबिक यदि कंपनी इस काम के लिए एनबीसीसी का चयन कर लिया जाता है तो उसे डीपीआर कंसल्टेंसी और प्रोजेक्ट मैनेजमेंट कंसल्टेंसी के रूप में प्रोजेक्ट लागत की दो-दो फीसद धनराशि प्रदान की जाएगी। अभी प्रारंभिक रूप में प्रोजेक्ट की लागत करीब 750 करोड़ रुपये आकी गई है। प्रोजेक्ट निर्माण में भी 70 फीसद बजट एमडीडीए मुहैया कराएगा और 30 फीसद लागत चयनित कंपनी को स्वयं वहन करनी होगी। यह रखी थी कंपनी की अर्हता

रिवर फ्रंट डेवलपमेंट के लिए आवेदन करने वाली कंपनी का सालाना टर्नओवर 800 करोड़ रुपये होने की शर्त रखी गई थी। यह भी एक बड़ी वजह थी कि शुरू से ही कंपनियों की संख्या सीमित हो गई थी। रिस्पना-बिंदाल के इस हिस्से पर होगा काम रिस्पना नदी: धोरण पुल से बाला सुंदरी मंदिर तक 1.2 किलोमीटर भाग।

बिंदाल नदी: हरिद्वार बाईपास रोड के पुल क्षेत्र में 2.5 किलोमीटर का भाग। पायलट प्रोजेक्ट में ये होंगे काम

हरियाली क्षेत्र, सड़कों का निर्माण, साइकल ट्रैक, फुटपाथ, रिटेनिंग वॉल, चेक डैम, वर्षा जल निकासी की व्यवस्था, आवासीय परियोजना, कमर्शियल और मिश्रित परियोजना, पुल निर्माण, मल्टी स्पेशलिटी हॉस्पिटल, थीम पार्क। 30 साल के लिए किया जाएगा अनुबंध

एमडीडीए उपाध्यक्ष डॉ. आशीष कुमार श्रीवास्तव के मुताबिक, चयनित कंपनी न सिर्फ विकास कार्यों करेगी, बल्कि उसके संचालन और रखरखाव की जिम्मेदारी भी कंपनी को दी जाएगी। इसकी अवधि 30 वर्ष होगी और आपसी सहमति व कंपनी की प्रगति को देखते हुए इस अवधि को 10 साल के लिए और बढ़ाया जा सकता है। उन्होंने यह भी बताया कि रिस्पना नदी की कुल लंबाई 19 किलोमीटर, जबकि बिंदाल नदी की लंबाई 17 किलोमीटर है। पायलट प्रोजेक्ट की सफलता के बाद दोनों नदियों के शेष भाग को भी विकसित किया जाएगा।

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