हर्बल रंगों को बनाएं अपनी आय का साधन

विकासनगर कृषि विज्ञान केंद्र ढकरानी में राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत ग्रामीण स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी महिलाओं को हर्बल रंग बनाने का प्रशिक्षण दिया गया। इसमें उन्हें यह भी सिखाया गया कि वह तैयार रंगों को किस तरह से बाजार उपलब्ध करा सकती हैं।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 22 Jan 2021 11:59 PM (IST) Updated:Fri, 22 Jan 2021 11:59 PM (IST)
हर्बल रंगों को बनाएं अपनी आय का साधन
हर्बल रंगों को बनाएं अपनी आय का साधन

संवाद सहयोगी, विकासनगर: कृषि विज्ञान केंद्र ढकरानी में राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत संचालित किए जा रहे स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं को हर्बल रंग बनाने का प्रशिक्षण दिया गया। प्रशिक्षण दे रही कृषि विज्ञान केंद्र के विज्ञानी ने महिलाओं को हर्बल रंग बनाने व इसकी मार्केटिंग के माध्यम से आय बढ़ाने के गुर सिखाए।

महिलाओं को प्रशिक्षित कर रही कृषि विज्ञान केंद्र की विज्ञानी डॉ. किरण पंत व ढालीपुर ग्राम संगठन की अध्यक्ष पुष्पा त्यागी ने कहा कि हर्बल रंग न सिर्फ स्वदेशी होंगे, बल्कि उनसे किसी प्रकार का नुकसान मानव की त्वचा को नहीं पहुंचेगा। इसी को आधार बनाकर हर्बल रंग का कारोबार करके महिलाएं अपने लिए आय का एक अतिरिक्त माध्यम तैयार कर सकती हैं। महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में यह प्रयास भी कारगर साबित हो सकता है। प्रशिक्षण कार्यक्रम में मौजूद महिला जागृति स्वयं सहायता समूह की अध्यक्ष श्यामा चौहान ने प्रशिक्षण प्राप्त कर रही महिलाओं को तैयार हर्बल रंगों को बाजार उपलब्ध कराने के बारे में भी विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि हर्बल रंग तैयार किए जाने के बाद उसे बाजार में किस तरह और किन माध्यमों से पहुंचाया जा सकता है। प्रशिक्षण के दौरान महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने पर भी जोर दिया गया। उन्हें बताया गया कि स्वयं के तैयार उत्पादों से किस तरह आय के संसाधन को विकसित किया जा सकता है। इस दौरान सीता भट्ट, ममता राणा, संगीता राणा, रत्नी देवी, सुनीता देवी, शशि देवी सहित कई अन्य स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी महिलाएं आदि उपस्थित रहीं।

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