जानिए क्या है समान नागरिक संहिता, जिसे लागू करने की उठ रही है मांग
उत्तराखंड में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी चुनावी मास्टर स्ट्रोक पर कदम बढ़ाने की तैयारी कर रहे हैं। समान नागरिक संहिता पर विधिक पहलु खंगाले जा रहे हैं। देश में गोवा ऐसा राज्य है जहां यह कानून लागू है। आइए जानते हैं यूनिफार्म सिविल कोड क्या होता है।
जागरण संवाददाता, देहरादून। देश में यूनिफार्म सिविल कोड (समान नागरिक संहिता) लागू करने की मांग के बीच उत्तराखंड इस ओर कदम बढ़ा सकता है। धामी ने चुनाव से पहले कहा था- शपथ ग्रहण के तुरंत बाद इस मामले में एक कमेटी गठित की जाएगी। आइए, जानते हैं कि क्या होता है यूनिफार्म सिविल कोड।
क्या है समान नागरिक संहिता
यूनिफार्म सिविल कोड (समान नागरिक संहिता) का अर्थ होता है - भारत में रहने वाले हर नागरिक के लिए एक समान कानून। चाहे व्यक्ति किसी भी धर्म या जाति का क्यों न हो। समान नागरिक संहिता में शादी, तलाक और जमीन-जायदाद के बंटवारे में सभी धर्मों के लिए एक कानून लागू होगा। यह एक पंथ निरपेक्ष कानून है, जो सभी के लिए समान रूप से लागू होता है।
इस कानून पर निरंतर चल रही है बहस
अभी देश में मुस्लिम, इसाई, और पारसी का पर्सनल ला लागू है। हिंदू सिविल ला के तहत हिंदू, सिख और जैन आते हैं, जबकि संविधान में समान नागरिक संहिता अनुच्छेद 44 के तहत राज्य की जिम्मेदारी बताया गया है। ये आज तक देश में लागू नहीं हुआ है। इस कानून पर निरंतर बहस चल रही है।
सिर्फ गोवा में लागू है समान नागरिक संहिता
देश में अभी गोवा एकमात्र राज्य है, जहां समान नागरिक संहिता लागू है। अब उत्तराखंड के नवनियुक्त मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इसे लागू करने की बात कही है।
चुनाव से पहले कही थी कमेटी गठित करने की बात
चुनाव से पहले पुष्कर सिंह धामी ने कहा था कि सरकार के सत्ता में आने पर शपथ ग्रहण के तुरंत बाद न्यायविदों, सेवानिवृत जनों, समाज के प्रबुद्ध जनों व अन्य स्टेक होल्डरों की एक कमेटी गठित करेगी। यह कमेटी उत्तराखंड राज्य के लोगों के लिए यूनिफार्म सिविल कोड का ड्राफ्ट तैयार करेगी। इस यूनिफार्म सिविल कोड का दायरा विवाह, तलाक, जमीन-जायदाद और उत्तराधिकार जैसे विषयों पर लागू होगा। अब देखना यह है कि धामी कितना सफल होते हैं।
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