Chhath Puja 2019: आस्था के महापर्व छठ के दूसरे दिन मनाया गया खरना

शुक्रवार को खरना या छोटी छठ मनाई जा रही है। इस दिन व्रती रात को चावल गुड़ गाय के दूध की खीर खाने के बाद छठ का निर्जला उपवास शुरू करते हैं।

By Raksha PanthariEdited By: Publish:Fri, 01 Nov 2019 04:52 PM (IST) Updated:Fri, 01 Nov 2019 04:52 PM (IST)
Chhath Puja 2019: आस्था के महापर्व छठ के दूसरे दिन मनाया गया खरना
Chhath Puja 2019: आस्था के महापर्व छठ के दूसरे दिन मनाया गया खरना

देहरादून, जेएनएन। नहाय खाय के साथ आस्था के महापर्व छठ का आगाज हो गया है। इसके तहत शुक्रवार को खरना या छोटी छठ मनाई गई। रात को चावल, गुड़, गाय के दूध की खीर खाने के बाद व्रती का निर्जला उपवास शरू हो गया। इसके बाद दो नवंबर को डूबते सूर्य को और तीन नवंबर को कार्तिक शुक्ल सप्तमी को उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा। 

चार दिवसीय डाला छठ पर्व की शुरुआत गुरुवार को नहाय-खाय के साथ हुई। शाम को स्नान-पूजन के बाद व्रती महिलाओं ने चने की दाल, लौकी की सादी सब्जी, रोटी, चावल पकाए और उनका सेवन किया। नहाय खाय के दौरान घर-घर छठ के सुगवा के मारबो धनुष से....,कोपी कोपी बोलेली छठी मइया...,कांचे ही बांस के बहंगिया...गीत गाए गए।   

बाजारों में दिन भर रही भीड़ 

शुक्रवार को दिन भर बाजारों में पूजा का सामान खरीदने के लिए महिला-पुरुषों की भीड़ उमड़ी रही। झंडा बाजार के विक्रेता राघव ने बताया कि गुरुवार को सबसे अधिक कद्दू, बांस के सूप, डाला, दौर, चकोदरा, गन्ना, नारियल, मटके, दीये की बिक्री हुई। 

बिहारी महासभा ने बांटा लौकी-भात का प्रसाद 

छठ महोत्सव की तैयारियों को लेकर गुरुवार को बिहारी महासभा ने टपकेश्वर मंदिर के प्रांगण में साफ-सफाई की। सचिव चंदन ने बताया कि महासभा की ओर से इस बार टपकेश्वर, प्रेमनगर, चंद्रबनी, रायपुर, मालदेवता नहर, रिस्पना, दीपनगर में छठ महोत्सव का आयोजन किया जाएगा। गुरुवार को महासभा की ओर से प्रसाद के रूप में लौकी भात का वितरण किया गया। इस मौके पर सतेंद्र सिंह, रीतेश कुमार, सुरेंद्र अग्रवाल, लल्लन मौजूद रहे। 

संतान प्राप्ति की मान्यता मिथ 

सहस्रधारा रोड स्थित एकता बिहार निवासी श्वेता सिन्हा ने बताया, कुछ लोगों का कहना है कि केवल संतान प्राप्ति के लिए ही छठ पूजा का व्रत रखा जाता है। लेकिन, यह एक मिथ है। छठ मैया का व्रत किसी भी इच्छा प्राप्ति के लिए रखा जा सकता है। इसे महिलाओं के साथ पुरुष भी निष्ठा भाव से रखते हैं। श्वेता ने छठ मैया से मन्नत मांगी थी कि अपना घर हो जाएगा तो वह छठ मैया का व्रत करेंगी। उनकी वह मन्नत पूरी हो गई। वह पिछले चार साल से छठ व्रत कर रही हैं। 

शुभ मुहूर्त 

दो नवंबर यानी छठ पूजा वाले दिन सूर्य को अर्घ्य देने का शुभ मुहूर्त सुबह छह बजकर 33 मिनट और शाम को पांच बजकर 35 मिनट है। षष्ठी तिथि दो नवंबर की रात 12 बजकर 52 मिनट से शुरू होकर तीन नवंबर को रात एक बजकर 30 मिनट तक रहेगी। 

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इसलिए की जाती है छठ पूजा 

छठ पूजा के लिए अलग-अलग कथाएं प्रचलित हैं। इनमें एक राजा प्रियवद की है, जो काफी लोकप्रिय है। माना जाता है कि राजा प्रियवद निसंतान थे। उन्होंने अपनी पीड़ा महर्षि कश्यप से साझा की। उन्होंने पुत्र प्राप्ति के लिए पुत्रेष्टि यज्ञ करने को कहा। यज्ञ में आहुति के लिए बनाई गई खीर खाने से उनकी पत्नी रानी मालिनी को पुत्र की प्राप्ति हुई, लेकिन पुत्र मृत पैदा हुआ। राजा प्रियवद पुत्र को लेकर श्मशान पहुंचे और पुत्र वियोग में अपने प्राण त्यागने लगे। तभी ब्रह्माजी की पुत्री देवसेना प्रकट हुईं। उन्होंने कहा कि वह मूल प्रवृत्ति के छठे अंश से उत्पन्न हुई हैैं, इसलिए उनका नाम षष्ठी रखा गया है। जो कोई विधि विधान से उनकी पूजा करता है वह उनकी मांगें पूरी करती हैं। राजा प्रियवद ने उनके कहे अनुसार कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी को माता का व्रत रखा और उन्हें पुत्र प्राप्ति हुई। 

1 नवंबर- खरना (छोटी छठ पूजा) 

2 नवंबर- डाला छठ अस्ताचल सूर्य को पहला अर्घ्य 

3 नवंबर-उगते सूर्य को अर्घ्य और व्रत का पारण 

घाटों पर की छठ मैया की स्थापना 

पूर्वा सांस्कृतिक मंच ने गुरुवार को 18 घाटों पर साफ-सफाई करने के साथ छठ मैया की स्थापना की। मंच के महासचिव सुभाष झा ने बताया कि शहर के सभी छठ घाट व्रती लोगों का स्वागत करने के लिए तैयार हैैं। इस अïवसर पर डॉ. बुद्धिनाथ मिश्र, नंद किशोर, मुन्ना गिरी, शारदानंद, केके सिंह आदि मौजूद रहे। 

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