एकजुट हुईं जनजाति

By Edited By: Publish:Wed, 23 Jul 2014 03:29 AM (IST) Updated:Wed, 23 Jul 2014 12:58 AM (IST)
एकजुट हुईं जनजाति

जागरण संवाददाता, देहरादून: भूमि अधिकार मंच जनजाति उपयोजना और जनजाति सलाहकार परिषद के गठन को जनजातीय क्षेत्रों के गांव-गांव जाकर अभियान चलाएगा। इसके बावजूद यदि समय रहते परिषद का गठन न हुआ तो मंच जनजातीय क्षेत्र के लोगों को साथ लेकर सड़कों पर उतरने से भी गुरेज नहीं करेगा।

यह निर्णय पांचों जनजाति के लोगों ने मंच की ओर से राजधानी में आयोजित कार्यशाला के दौरान लिया। कार्यशाला को संबोधित करते हुए पूर्व आइएएस सुरेंद्र सिंह पांगती ने कहा कि ऐसे राज्यों में जनजाति सलाहकार परिषद के गठन की बाध्यता है, जिनमें जनजातियां निवास करती हैं। इसके बावजूद सूबे की सरकारें पिछले 14 साल से चुप्पी साधे बैठी हैं। वरिष्ठ साहित्यकार रतन सिंह जौनसारी ने कहा कि परिषद का मसला राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं की भेंट चढ़ गया है। लिहाजा जनजातियों को ही अब इस दिशा में संगठित पहल करनी होगी। उन्होंने सवाल किया कि केंद्र से अनुमति मिलने के बाद भी सूबे के जिम्मेदार खामोश क्यों हैं।

बीज बचाओ आंदोलन के प्रणेता बीजू नेगी ने कहा कि सूबे में दो-दो विधायक जनजातियों का प्रतिनिधित्व करते हैं। इनमें से एक तो सरकार में मंत्री तक हैं। बावजूद इसके जनजाति उपयोजना का बजट ठीक ढंग से खर्च नहीं हो रहा। पद्मश्री अवधेश कौशल ने जौनसार-बाबर में बंधुवा मजदूरी प्रथा को चिंताजनक बताया। साथ ही सरकार से आग्रह किया कि जौनसार में बंधुवा मजदूरी को लेकर पुनर्निरीक्षण कराया जाए।

कार्यशाला में फाइंड योर फीड के निलेश मुंजे, हीरा जंगपांगी, जया मिश्रा, विमला जौनसारी, स्वागता कैंथोला, योगेश ध्यानी, इंद्र सिंह नेगी, भारत सिंह चौहान, दौलत कुंवर, ध्वजवीर, सुरेंद्र जोशी, प्रेम पंचोली आदि ने विचार रखे। तय हुआ कि परिषद के गठन को लेकर 11 हजार हस्ताक्षर युक्त ज्ञापन 23 जुलाई को मुख्यमंत्री को सौंपा जाएगा।

यह है जनजातियों की स्थिति

सूबे की पांच जनजातियों का आनुपातिक क्रम देखें तो थारू जनजाति की संख्या कुल जनजातीय आबादी की 33 प्रतिशत है। इसी तरह जौनसारी 32.5, बोक्सा 18.3, भोटिया 14.2 व वनराजी की आबादी 7.5 प्रतिशत है। वनराजी की सामाजिक एवं आर्थिक स्थिति अत्यंत चिंताजनक है।

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