प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड में बढ़ने लगा इंस्ट्रूमेंट फेल्योर, नहीं लिए जा रहे आंकड़े

इंस्ट्रूमेंट फेल्योर (आइएफ) के नाम पर वायु प्रदूषण की स्थिति बताने से बचा जा रहा है। जुलाई से लेकर अब तक वायु प्रदूषण का ग्राफ के आंकड़े प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने जारी नहीं किए।

By BhanuEdited By: Publish:Wed, 18 Dec 2019 08:55 AM (IST) Updated:Wed, 18 Dec 2019 08:27 PM (IST)
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड में बढ़ने लगा इंस्ट्रूमेंट फेल्योर, नहीं लिए जा रहे आंकड़े
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड में बढ़ने लगा इंस्ट्रूमेंट फेल्योर, नहीं लिए जा रहे आंकड़े

देहरादून, जेएनएन। क्या इंस्ट्रूमेंट फेल्योर (आइएफ) के नाम पर वायु प्रदूषण की स्थिति बताने से बचा जा सकता है? सामान्य तौर पर जवाब ना में होगा, मगर उत्तराखंड पर्यावरण संरक्षण एवं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ऐसा कर सकता है। तभी तो जुलाई से लेकर अब तक वायु प्रदूषण का ग्राफ क्या रहा, इसके आंकड़े ही जारी नहीं किए जा सके हैं।

प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड नियमित अंतराल पर अपनी वेबसाइट पर वायु प्रदूषण के आंकड़े जारी करता है। यह पहली दफा है कि पूरे जुलाई माह में दून के तीनों स्थल (घंटाघर, आएसबीटी व रायपुर रोड) के पीएम (पार्टिकुलेट मैटर)-2.5 आंकड़े गायब हैं। 

इनकी जगह आइएफ यानी कि इंस्ट्रूमेंट फेल्योर लिखा आ रहा है। अब सवाल यह उठता है कि प्रदूषण मापने वाले उपकरणों में कुछ दिन खराबी आ सकती है, मगर पूरे माह ही आंकड़े न लिया जाना बोर्ड की कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़े करता है।

गंभीर यह भी कि इसके बाद के दो माह अगस्त व सितंबर में बोर्ड ने बारिश के नाम पर बिता दिए। इन दोनों माह के आंकड़ों की जगह रेन फॉल (आरएफ) लिखा आ रहा है। यह स्थिति भी सोचनीय है कि जब बोर्ड हफ्ते में महज दो दिन वायु प्रदूषण के आंकड़े लेता है तो क्या दो माह में ऐसा कोई समय नहीं मिला, जब वायु प्रदूषण को मापा जा सकता। हालांकि, अगस्त के बाद भी अब तक तीन माह से अधिक का समय हो गया है और इस बीच के भी आंकड़े बोर्ड ने जारी नहीं किए।

पहले कभी नहीं दिखी यह स्थिति

इससे पहले वर्ष 2018 में सिर्फ एसओटू व एनओटू के आंकड़े जनवरी व सितंबर के बीच नहीं मिल पाए। वहीं, इससे पहले 2013 तक कभी भी इंस्ट्रूमेंट फेल्योर जैसी बात सामने नहीं आई।

खल रही रियल टाइम डाटा की कमी

वायु प्रदूषण पर तब तक स्थिति स्पष्ट नहीं की जा सकती, जब तक कि दून में रियल टाइम डाटा न लिए जाएं। रियल टाइम डाटा के लिए दून में तीन स्थल प्रस्तावित हैं, मगर इनमें कब तक स्टेशन स्थापित किए जाएंगे, कुछ पता नहीं।

दीपावली के प्रदूषण के आंकड़ों से भी परहेज

पर्यावरण संरक्षण एवं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने दीपावली के दौरान वायु प्रदूषण के भी उचित ढंग से आधिकारिक आंकड़े नहीं जारी किए हैं। बोर्ड की वेबसाइट पर दीपावली के दौरान वायु प्रदूषण के आंकड़े तो जारी किए गए हैं, मगर यह सिर्फ नेहरू कॉलोनी क्षेत्र के हैं। 

इसी क्षेत्र में वायु प्रदूषण सबसे कम रहा था, जबकि दून अस्पताल जैसे संवेदनशील क्षेत्र में इसका ग्राफ अधिक पाया गया था। यह स्थिति भी बताती है कि स्वयं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड वायु प्रदूषण की स्पष्ट स्थिति बताने से परहेज कर रहा है।

बढ़ रहा वायु प्रदूषण बच्चों के लिए ज्यादा खतरनाक

दून की हवा में बढ़ रहा प्रदूषण बच्चों के लिए बड़ा खतरा है। कम उम्र में फेफड़े नाजुक होते हैं, ऐसे में सांस के साथ शरीर में घुस रहा प्रदूषण आगे चलकर बड़ी समस्या खड़ी कर सकता है, यह बात डॉ. रितिशा भट्ट ने रायपुर रोड पर डील के  पास स्थित सनराइज ऐकेडमी में 'हवा की धुन सावधान दून' कार्यक्रम में कही।

दैनिक जागरण द्वारा सनराइज ऐकेडमी में प्रदूषण के खिलाफ जागरूकता अभियान चलाया गया। स्कूली छात्रों के बीच आयोजित कार्यक्रम में श्वास रोग व चेस्ट विशेषज्ञ डॉ. रितिषा भट्ट ने छात्रों को प्रदूषण से होने वाले नुकसान के बारे मेें बताया। डॉ. भट्ट ने कहा कि आज दून में भी लगातार प्रदूषण बढ़ रहा है। यह सभी के लिए खतरे का संकेत है। लेकिन बच्चों को इससे खास तौर पर सावधान रहना होगा। उन्होंने स्कूली छात्रों को धूमपान न करने की सलाह भी दी। 

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बताया कि शरीर में प्रदूषित हवा या धुआं घुसने से अस्थमा समेत अन्य छाती संबंधी रोगों की संभावना बढ़ जाती है। जागरूकता अभियान के दौरान सिपला लिमिटेड कंपनी की ओर से छात्रों व शिक्षकों के लिए स्पाइरोमैट्री, यानि स्वांस की जांच भी की गई। जिसका फायदा लगभग 50 छात्रों और 20 शिक्षकों ने लिया। इससे पहले स्कूल की प्रबंध निदेशक पूजा पोखरियाल एवं प्रधानाचार्य नीतु तोमर ने डॉ. रितिषा का पुष्प गुच्छ देकर स्वागत किया। स्कूल के निदेशक डॉ. आरएम सक्सेना ने धन्यवाद ज्ञापित किया।

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