इस अस्पताल में कराना है अल्ट्रासाउंड तो दस दिन पहले लीजिए नंबर

दून मेडिकल कॉलेज के चिकित्सालय में अल्ट्रासाउंड कराने के लिए दस दिन पहले नंबर लेना होगा। इसकी वजह अस्पताल में रेडियोलॉजिस्ट की कमी है।

By Raksha PanthariEdited By: Publish:Wed, 05 Sep 2018 04:48 PM (IST) Updated:Wed, 05 Sep 2018 04:48 PM (IST)
इस अस्पताल में कराना है अल्ट्रासाउंड तो दस दिन पहले लीजिए नंबर
इस अस्पताल में कराना है अल्ट्रासाउंड तो दस दिन पहले लीजिए नंबर

देहरादून, [जेएनएन]: अगर आप खुद का या अपने किसी परिजन का अल्ट्रासाउंड कराने के लिए दून मेडिकल कॉलेज चिकित्सालय जाना चाहते हैं तो जरा ध्यान दीजिए। भूल जाइए कि आपका नंबर तुरंत आ जाएगा। अस्पताल में अल्ट्रासाउंड के लिए आपको कम से कम दस दिन इंतजार करना होगा। यह स्थिति अस्पताल में रेडियोलॉजिस्ट की कमी के कारण बनी है। 

दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल में शहर ही नहीं बल्कि पहाड़ के दूरस्थ इलाकों और उत्तर प्रदेश, हिमाचल के सीमावर्ती क्षेत्रों से भी लोग इलाज के लिए आते हैं। अस्पताल की ओपीडी ही हर रोज तकरीबन डेढ़ से दो हजार रहती है। अल्ट्रासाउंड की बात करें तो यहां हर रोज 100-150 अल्ट्रासाउंड होते हैं। इसके लिए अस्पताल में अब तक चार रेडियोलॉजिस्ट तैनात थे। इनमें रेडियोलॉजिस्ट डॉ. विभू गोयल व डॉ. उर्वशी ने इस्तीफा दे दिया है। जबकि डॉ. सुकृति पिछले एक माह से मातृत्व अवकाश पर हैं।ऐसे में पूरा दबाव अब एकमात्र रेडियोलॉजिस्ट डॉ. मनोज शर्मा पर आ गया है। उन्हें जांच के अलावा मेडिकोलीगल प्रकरण भी देखने हैं। ऐसे में अल्ट्रासाउंड 50-60 तक आकर सिमट गए हैं। जिस कारण मरीजों को इंतजार के मर्ज से जूझना पड़ रहा है। स्थिति यह कि वेटिंग दस दिन बाद तक की है। 

दून अस्पताल में अल्ट्रासाउंड 354 रुपये में होता है। उस पर बीपीएल व एमएसबीवाई के मरीजों की जांच निश्शुल्क होती है। जबकि निजी केंद्रों पर इसके डेढ़ से तीन हजार रुपये तक लिए जाते हैं। 

महिला अस्पताल का और बुरा हाल दून महिला 

अस्पताल भी इस मर्ज से अछूता नहीं है। यहां मात्र एक रेडियोलॉजिस्ट तैनात हैं। वह प्रतिदिन करीब 50 से 60 महिलाओं के अल्ट्रासाउंड करते हैं। लेकिन मरीजों की तादाद इससे कहीं ज्यादा है। स्थिति यह कि अल्ट्रासाउंड के लिए आने वाली महिलाओं को एक माह बाद तक की डेट दी जा रही है। 

दून मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. प्रदीप भारती गुप्ता ने बताया कि दो रेडियोलॉजिस्ट के नौकरी छोड़ देने के कारण यह स्थिति उत्पन्न हुई है। रेडियोलॉजिस्ट की तलाश की जा रही है और यह कमी जल्द दूर कर ली जाएगी। 

यह भी पढ़ें: उत्तराखंड में डॉक्टर साहब को रास नहीं आ रही नौकरी, जानिए वजह

यह भी पढ़ें: भावी डॉक्टरों को नहीं रास आ रहा पहाड़, जानिए वजह 

chat bot
आपका साथी