सादगी के साथ मनाया जाएगा डॉ.स्वामी राम का 25वां महासमाधि दिवस

हिमालयन इंस्टिट्यूट हॉस्पिटल ट्रस्ट (एचआइएचटी) के संस्थापक डॉ.स्वामी राम का 25वां महासमाधि दिवस इस वर्ष सादगी के साथ मनाया जाएगा। समारोह को लेकर तैयारियों को अंतिम रुप दे दिया गया है। जगदगुरु संन्यास आश्रम के महामंडलेश्वर स्वामी अभिषेक चैतन्य गिरी जी मुख्य अतिथि होंगे।

By Sumit KumarEdited By: Publish:Thu, 12 Nov 2020 05:36 PM (IST) Updated:Thu, 12 Nov 2020 05:36 PM (IST)
सादगी के साथ मनाया जाएगा डॉ.स्वामी राम का 25वां महासमाधि दिवस
हिमालयन इंस्टिट्यूट हॉस्पिटल ट्रस्ट (एचआइएचटी) के संस्थापक डॉ.स्वामी राम का 25वां महासमाधि दिवस इस वर्ष सादगी के साथ मनाया जाएगा।

डोईवाला, जेएनएन। हिमालयन इंस्टिट्यूट हॉस्पिटल ट्रस्ट (एचआइएचटी) के संस्थापक डॉ.स्वामी राम का 25वां महासमाधि दिवस इस वर्ष सादगी के साथ मनाया जाएगा। समारोह को लेकर तैयारियों को अंतिम रुप दे दिया गया है। जगदगुरु संन्यास आश्रम के महामंडलेश्वर स्वामी अभिषेक चैतन्य गिरी जी मुख्य अतिथि होंगे।

एचआइएचटी के अध्यक्षीय समिति के सदस्य व स्वामी राम हिमालयन विश्वविद्यालय (एसआरएचयू) के कुलपति डॉ.विजय धस्माना ने बताया कि ट्रस्ट के संस्थापक डॉ.स्वामी राम का 25 वां महासमाधि दिवस 13 नवंबर को सादगी के साथ मनाया जाएगा। खासतौर से कोरोना महामारी के चलते शारीरिक दूरी, मास्क की अनिवार्यता व सरकारी की ओर से जारी दिशा-निर्देशों का पालन किया जाएगा। 

इसी कड़ी में 80 के दशक में पाणी-राखो अंदोलन के प्रणेता पर्यावरणविद् सचिदानंद भारती को स्वामी राम मानवता पुरस्कार-2020 से सम्मानित किया जाएगा। उनको यह सम्मान आंदोलन के जरिये जल संरक्षण और बंजर हो चुकी भूमि व जंगल को फिर से हरा-भरा करने के लिए दिया जा रहा है। इस दौरान संस्थान से जुड़े कर्मचारियों को बेस्ट इंप्‍लॉय अवार्ड से सम्मानित किया जाएगा। उन्‍होंने बताया कि कोरोना महामारी के चलते महासमाधि दिवस समारोह आयोजित किए जाने वाले भंडारे व भजन संध्या का आयोजन नहीं किया जाएगा। समारोह में स्वामी जी के अनुयायी भी शिरकत करेंगे। 

डॉ. स्वामी राम का जीवन परिचय

डॉ. धस्‍माना ने बताया कि डॉ. स्वामीराम को लोग एक संत, समाजसेवी, चिकित्सक, फिलोसफर, लेखक के रुप में जानते हैं। लेकिन इन सबसे इतर दुनिया उन्हें मानव सेवा के संदेश वाहक के रुप में भी जाना जाता है। 

साल 1925 में पौड़ी जनपद के तौली गांव में स्वामीराम का जन्म हुआ। 13 वर्ष की अल्पायु में ही विभिन्न धार्मिक स्थलों और मठों में हिंदू और बौद्ध धर्म की शिक्षा देना शुरू किया। 24 वर्ष की आयु में वह प्रयाग, वाराणसी और लंदन से उच्च शिक्षा प्राप्त करने के बाद कारवीर पीठ के शंकराचार्य पद को सुशोभित किया। गुरू के आदेश पर पश्चिम सभ्यता को योग और ध्यान का  मंत्र देने 1969 में अमेरिका पहुंचे। 1970 में अमेरिका में उन्होंने कुछ ऐसे परीक्षणों में भाग लिया, जिनसे शरीर और मन से संबंधित चिकित्सा विज्ञान के सिद्धांतों को मान्यता मिली। उनके इस शोध को 1973 में इन्साइक्लोपीडिया ब्रिटेनिका ईयर बुक ऑफ साइंस व नेचर साइंस एनुअल और 1974 में वर्ल्ड बुक साइंस एनुअल में प्रकाशित किया गया।

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 स्वास्थ्य सुविधाओं से महरुम उत्तराखंड में विश्व स्तरीय चिकित्सा संस्थान बनाने का स्वामीराम ने सपना देखा था। उन्होंने अपने सपने को आकार देना शुरू किया 1989 में। इसी साल उन्होंने गढ़वाल हिमालय की घाटी में हिमालयन इंस्टिट्यूट हॉस्पिटल ट्रस्ट की स्थापना की। ग्रामीण क्षेत्रों तक स्वास्त्य सुविधाओं के पहुंचाने के मकसद से 1990 में रुरल डेवलपमेंट इंस्टिट्यूट (आरडीआई) व 1994 में हिमालयन अस्पताल की स्थापना की। प्रदेश में डॉक्टरों की कमी को महसूस करते हुए स्वामी जी ने 1995 में मेडिकल कॉलेज की स्थापना की। नवंबर 1996 में स्वामी राम ब्रह्मलीन हो गए। 2007 में कैंसर रोगियों के लिए अत्याधुनिक अस्पताल कैंसर रिसर्च इंस्टिट्यट (सीआरआई) की स्थापना की। 2013 में शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल करते हुए स्वामी राम हिमालयन विश्वविद्यालय (एसआरएचयू) स्थापना की गई। इसके तहत सभी शिक्षण संस्थाएं संचालित की जा रही हैं।

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