उत्तराखंड में जल संस्थान और पेयजल निगम के एकीकरण को कर्मी मुखर

पेयजल निगम व जल संस्थान के एकीकरण व राजकीयकरण की मांग को लेकर कार्मिकों के तेवर तल्ख हैं। कर्मचारियों ने जल्द इस ओर पहल न किए जाने पर आंदोलन की चेतावनी दी है।

By Bhanu Prakash SharmaEdited By: Publish:Wed, 27 May 2020 12:19 PM (IST) Updated:Wed, 27 May 2020 12:19 PM (IST)
उत्तराखंड में जल संस्थान और पेयजल निगम के एकीकरण को कर्मी मुखर
उत्तराखंड में जल संस्थान और पेयजल निगम के एकीकरण को कर्मी मुखर

देहरादून, जेएनएन। पेयजल निगम व जल संस्थान के एकीकरण व राजकीयकरण की मांग को लेकर कार्मिकों के तेवर तल्ख हैं। कर्मचारियों ने जल्द इस ओर पहल न किए जाने पर आंदोलन की चेतावनी दी है। अधिकारी-कर्मचारी संयुक्त समन्वय समिति पेयजल निगम के सदस्यों ने ऑनलाइन बैठक कर कार्मिकों की समस्या पर चर्चा की। 

समिति के अध्यक्ष जितेंद्र सिंह देव ने बताया कि बैठक में सभी ने एक स्वर में एकीकरण और राजकीयकरण को गठित समिति की रिपोर्ट प्राप्त कर शीघ्र निर्णय लेने की बात उठाई। कहा कि राजकीयकरण से सबसे अधिक लाभ आमजन को होगा। पेयजल समस्याओं के समाधान को वृहद स्तर पर कार्य किया जा सकेगा। एकीकरण से अधिष्ठापन व्यय में कटौती होगी। 

उन्होंने आरोप लगाया कि कुछ उच्चाधिकारियों के हित एकीकरण से प्रभावित हो सकते हैं, जिसके चलते वे प्रक्रिया को बाधित करने का प्रयास कर रहे हैं। ऐसे अधिकारियों की मुख्यमंत्री से शिकायत कर कार्रवाई की मांग की जाएगी। समिति ने सदस्यों ने कहा कि एकल संयुक्त विभाग का मुखिया पेयजल निगम के बजाय जल संस्थान से भी बनाया जाता है तो उन्हें कोई आपत्ति नहीं है। बैठक में समन्वय समिति के महासचिव विजय खाली, उपाध्यक्ष अरविंद सजवाण, एके चतुर्वेदी, प्रवीण रावत, रामकुमार, अजय बेलवाल आदि शामिल हुए।

मुख्य महाप्रबंधक को भेजा ज्ञापन

उत्तराखंड जल संस्थान कर्मचारी संघ ने भी जल संस्थान के मुख्य महाप्रबंधक को ज्ञापन भेजकर पेयजल निगम और जल संस्थान के एकीकरण और राजकीयकरण की मांग की है। साथ ही जल्द कोई उचित कार्रवाई न होने पर आंदोलन की चेतावनी दी है। संघ के महामंत्री रमेश बिंजोला ने कहा कि लंबे समय से दो संस्थाओं के एकीकरण की मांग की जा रही है, लेकिन मामले को लटकाया जा रहा है। अब यदि जल्द कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया तो कर्मचारी आंदोलन को बाध्य होंगे।

ट्रांसपोर्टरों ने मांगी दो साल की टैक्स माफी

कोरोना संक्रमण के चलते लॉकडाउन में दो महीने से खड़े सार्वजनिक वाहन संचालकों ने दो साल का टैक्स माफ करने की मांग सरकार से की है। चारधामी यात्र का संचालन करने वाले प्रांतीय टैक्सी मैक्सी कैब टूर ऑपरेटर महासंघ के पदाधिकारियों ने कोरोना से प्रभावित पीड़ितों की सहायता के लिए बनाई प्रबंधन समिति के अध्यक्ष और कृषि मंत्री सुबोध उनियाल से उनके आवास पर मुलाकात की। 

महासंघ ने टैक्स में राहत के साथ ही चालकों को अनुदान राशि और बैंकों की किस्तों में चक्रवर्ती ब्याज बीमा से जुड़ी योजनाओं में छूट देने की मांग की। महासंघ के संरक्षक संजय चोपड़ा समेत कृषि मंत्री के आवास पहुंचे प्रतिनिधिमंडल ने ज्ञापन देते हुए कहा कि उत्तराखंड राज्य में टैक्सी मैक्सी ट्रांसपोर्ट व्यवसाय चारधाम यात्र पर निर्भर रहता है। ऐसे में कोरोना की वजह से चारधाम यात्र का संचालन मौजूदा समय में बंद है। 

कहा कि उत्तराखंड की भौगोलिक परिस्थितियों के दृष्टिगत पूर्व में साल-2013 की आपदा के दौरान सरकार ने सभी मोटर कारोबारियों को टैक्स माफी दी थी। ऐसे में महासंघ ने मुख्यमंत्री से उनकी मांगें मानने की अपील करते हुए ज्ञापन कृषि मंत्री को सौंपा। कृषि मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा कि राज्य सरकार कोविड-19 से हुए प्रभावित व्यापार का हर वर्ग का मूल्यांकन कर रही है। शीघ्र ही कैबिनेट के माध्यम से राज्य की जनता और टैक्सी मैक्सी कैब सहित चारधाम यात्रा संचालित करने वाले सभी व्यापारियों को उनकी जीविका चलाने के लिए सरकार उचित कदम उठाएगी।

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जितनी सवारी उतने का बीमा

दून सिटी बस सेवा महासंघ के अध्यक्ष विजय वर्धन डंडरियाल ने आरटीओ दिनेश चंद्र पठोई को ज्ञापन देकर ट्रांसपोर्टरों की समस्याएं गिनाईं। डंडरियाल ने कहा कि पचास फीसद यात्री संचालन की शर्त मानने को वे मंजूर हैं लेकिन फिर बीमा भी उतनी ही सवारियों का लिया जाए, जो सफर करेंगी।

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