चट्टान गिरने से बंद थी सड़क, एंबुलेंस में कराना पड़ा प्रसव

आज एक गांव से ऋषिकेश ले जायी जा रही गर्भवती का प्रसव एंबुलेंस में ही कराना पड़ा। वजह मलबा आने से ऋषिकेश-बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग चट्टान गिरने से बंद था।

By Sunil NegiEdited By: Publish:Sat, 05 Aug 2017 08:21 PM (IST) Updated:Sun, 06 Aug 2017 04:00 AM (IST)
चट्टान गिरने से बंद थी सड़क, एंबुलेंस में कराना पड़ा प्रसव
चट्टान गिरने से बंद थी सड़क, एंबुलेंस में कराना पड़ा प्रसव

ऋषिकेश, [जेएनएन]: लगातार बारिश, मलबे से बंद सड़कें और गांव के क्षतिग्रस्त रास्ते। इन दिनों पहाड़ों के यही हाल हैं। ऐसे में जिंदगी के लिए संघर्ष करना विवशता है। शनिवार को एक गांव से ऋषिकेश ले जायी जा रही गर्भवती का प्रसव एंबुलेंस में ही कराना पड़ा। 

वजह मलबा आने से ऋषिकेश-बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग चट्टान गिरने से बंद था। एंबुलेंस में तैनात इमरजेंसी मेडिकल ट्रेक्निशियन (ईएमटी) ने फोन पर चिकित्सक के मार्गदर्शन से सुरक्षित प्रसव कराया। चार घंटे बाद करीब सवा ग्यारह बजे रास्ता खुलने पर जच्चा और बच्चा को ऋषिकेश अस्पताल में भर्ती कराया गया।

 घटना शनिवार की है। ऋषिकेश से तीस किलोमीटर दूर गूलर घाटी के खगलिया गांव में अनिल कुमार की पत्नी नीलम को प्रसव पीड़ा शुरू हुई। सुबह पौने सात बजे अनिल ने 108 एंबुलेंस को फोन पर सूचना दी। इस पर गांव से कुछ दूर ब्यासी कस्बे में तैनात एंबुलेंस 15 से 20 मिनट में निर्धारित स्थान पर पहुंची।

 एंबुलेंस तत्काल मरीज को लेकर ऋषिकेश रवाना हो गई। एंबुलेंस के चालक संदीप ने बताया वे लोग दो किलोमीटर ही चले थे कि मलबा से आने से सड़क बंद मिली। तत्काल लोक निर्माण विभाग को सूचना देकर जेसीबी मंगाई गई। कुछ देर इंतजार के बाद जेसीबी ने मलबा साफ कर दिया। संदीप के अनुसार किसी तरह वे शिवपुरी के नजदीक पहुंचे ही थे तो देखा भारी-भरकम चट्टान ने रास्ता रोक रखा है। 

 यहां से ऋषिकेश 22 किलोमीटर दूर है। इन हालात में आगे बढऩा संभव नहीं था। इधर नीलम दर्द से छटपटाने लगी। एंबुलेंस में तैनात ईएमटी गिरीश रमोला ने फोन पर 108 कॉल सेंटर में तैनात चिकित्सक डॉ. केएस मेहता से संपर्क साधा। इसके बाद उनके मार्गदर्शन में प्रसव कराया गया। नीलम ने बेटी को जन्म दिया है।

 108 आपातकालीन सेवा के मीडिया प्रभारी मोहन राणा ने बताया कि प्रयास रहता है कि मरीज को जल्द से जल्द अस्पताल पहुंचाया जाए, लेकिन कई बार परिस्थितियों में ऐसे निर्णय लेने पड़ते हैं। इसके लिए एम्बुलेंस टीम को प्रशिक्षित किया जाता है। एम्बुलेंस में डिलीवरी किट भी उपलब्ध रहती है। उन्होंने बताया कि अब तक प्रदेश में 108 सेवा के एम्बुलेंस वाहनों में 9680 से भी अधिक बच्चों का जन्म हो चुका है।

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