हरिद्वार बन रहा भाजपा की धड़ेबाजी का गढ़, बढ़ सकती हैं मुश्किलें

हरिद्वार जिला भाजपा की धड़ेबाजी का गढ़ बनता जा रहा है। इससे आने वाले समय में पार्टी संगठन और सरकार के लिए मुश्किलें खड़ी हो सकती हैं।

By Raksha PanthariEdited By: Publish:Mon, 16 Jul 2018 02:24 PM (IST) Updated:Tue, 17 Jul 2018 05:32 PM (IST)
हरिद्वार बन रहा भाजपा की धड़ेबाजी का गढ़, बढ़ सकती हैं मुश्किलें
हरिद्वार बन रहा भाजपा की धड़ेबाजी का गढ़, बढ़ सकती हैं मुश्किलें

देहरादून, [राज्य ब्यूरो]: प्रदेश के सर्वाधिक विधानसभा क्षेत्रों वाले हरिद्वार जिले में भाजपा में धड़ेबाजी पार्टी संगठन और सरकार दोनों के लिए मुश्किलें खड़ी करती नजर आ रही है। 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद से यहां पार्टी तीन ध्रुवों में बंटी दिखाई देती है। माना जा रहा है कि इसी वजह से पार्टी विधायक समय-समय अपनी ही सरकार और संगठन के खिलाफ बयानबाजी करते आ रहे हैं। लक्सर विधायक संजय गुप्ता का मुख्यमंत्री और सरकार को निशाने पर लेने वाला ताजा विवादित बयान इसकी बानगी मात्र है। इससे पहले भी कई मौकों पर विधायकों के आचरण और बयानबाजी ने सरकार व संगठन के लिए परेशानियां खड़ी की हैं। 

हरिद्वार में भाजपा हमेशा से दो गुटों में बटी रही है। 2014 लोकसभा चुनाव के वक्त सतपाल महाराज के कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल होने और सरकार बनने पर हरिद्वार का प्रभारी मंत्री बनने से इसमें एक और धड़ा शामिल हो गया। पहले यह हरिद्वार विधायक मदन कौशिक बनाम अन्य विधायक हुआ करता थे, लेकिन 2014 के लोस चुनाव में मदन कौशिक की जगह पूर्व सीएम डॉ.रमेश पोखरियाल निशंक को टिकट मिलने पर कौशिक खेमे के खुलकर विरोध करने से निशंक खेमा भी इसमें शामिल हो गया। 

पर्दे के पीछे दोनों में एक-दूसरे को शह और मात देने की चालें उसी समय से चली जाने लगी। अभी तक मदन कौशिक खेमे से नाराज चल रहे बाकी विधायक भी सांसद खेमे में शामिल हो गए। वर्ष 2016 में हरिद्वार में हुए जलभराव के वक्त मदन कौशिक खेमे के माने जाने वाले हरिद्वार मेयर मनोज गर्ग पर सतपाल महाराज के प्रेमनगर आश्रम के खिलाफ हुई कार्रवाई के दौरान हुए हमले से सतपाल महाराज गुट भी उनके खिलाफ हो गया। 

परिस्थितियां भांपकर सांसद और महाराज खेमों ने एक दूसरे से हाथ मिला लिया। इस मामले में दोनों ने एक साथ प्रदेश से लेकर दिल्ली तक कौशिक खेमे की खुलकर खिलाफत की। हालांकि, बाद में केंद्रीय नेतृत्व के हस्तक्षेप से मामला शांत हो गया, लेकिन टीस बरकरार रही। हाल में ही काबीना मंत्री कौशिक और हरिद्वार ग्रामीण से भाजपा विधायक स्वामी यतीश्वरानंद के बीच भी दूरी बढ़ने की बात चर्चा में रही। 

इसी बीच स्वामी यतीश्वरानंद को आर्य समाज के अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में अपनी ताकत दिखाने का मौका मिला। उन्होंने कार्यक्रम में बतौर विशिष्ट अतिथि मुख्यमंत्री को आमंत्रित किया, लेकिन वह इसमें नहीं पहुंच पाए। इस बीच पूर्व बसपा विधायक शहजाद के बेटे की शादी में मुख्यमंत्री के कबीना मंत्री मदन कौशिक के साथ शामिल होने से धड़ेबाजी फिर सतह पर आ गई। लक्सर विधायक ने तो इस विवाह समारोह के बहाने मुख्यमंत्री व सरकार को ही निशाने पर ले लिया। अलबत्ता, स्वामी यतीश्वरानंद ने नपे तुले शब्दों में कांवड़ मुद्दे का मामला उठा दिया। इस सबके चलते सरकार और संगठन दोनों ही सकते में हैं। 

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