एफआरआइ के खाते से फर्जी चेक के जरिए सेंध लगाने वाला गिरफ्तार

वन अनुसंधान केंद्र (एफआरआइ) के खाते से फर्जी चेक के जरिये 24 लाख से अधिक धनराशि अपने खाते में ट्रांसफर कराने वाले को कैंट कोतवाली पुलिस ने दिल्ली में गिरफ्तार कर लिया।

By Sumit KumarEdited By: Publish:Thu, 17 Sep 2020 06:58 PM (IST) Updated:Thu, 17 Sep 2020 10:36 PM (IST)
एफआरआइ के खाते से फर्जी चेक के जरिए सेंध लगाने वाला गिरफ्तार
एफआरआइ के खाते से फर्जी चेक के जरिए सेंध लगाने वाला गिरफ्तार

देहरादून,जेएनएन। वन अनुसंधान केंद्र (एफआरआइ) के खाते से फर्जी चेक के जरिये 24 लाख से अधिक धनराशि अपने खाते में ट्रांसफर कराने वाले को कैंट कोतवाली पुलिस ने दिल्ली में गिरफ्तार कर लिया। बुधवार को पुलिस की टीम उसे लेकर देहरादून पहुंची। यहां कोर्ट में पेश करने के बाद उसे अस्थायी जेल भेज दिया गया।

पुलिस के अनुसार इस मामले में बीती सात जुलाई को वन अनुसंधान अधिकारी हरेंद्र सिंह रावत ने मुकदमा दर्ज कराया गया था। उन्होंने तहरीर में बताया था कि एफआरआइ का यूनियन बैंक में सरकारी बैंक खाता है। इस खाते से अज्ञात शख्स ने हरियाणा में फर्जी चेक लगाकर 24 लाख 31 हजार 840 रुपये मधर्नी इंटरप्राइजेज नाम की कंपनी में ट्रांसफर करा दिए। इसकी जानकारी मिलते ही हरेंद्र ने बैंक जाकर भुगतान रुकवा दिया था। तभी से पुलिस शातिर की तलाश कर रही थी। जिस बैंक खाते में रुपये ट्रांसफर करने की कोशिश की गई थी, जांच में वह गुजरात का निकला। खाताधारक की पहचान मोनी सोनी निवासी ग्राम नूरपुर, जिला बहराइच के रूप में हुई। बैंक में दर्ज पते के आधार पर पुलिस मोनी के घर पहुंची तो पता चला कि वह दिल्ली के कापरसहेड़ा इलाके में रह रहा है।

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बीमा पॉलिसी के नाम पर 3.39 लाख ठगे

देहरादून में बीमा पॉलिसी की किस्त ऑनलाइन जमा कराने और लाभ दिलाने का झांसा देकर जालसाज ने एक महिला से 3.39 लाख रुपये ठग लिए। इस मामले में वसंत विहार पुलिस ने आरोपित के खिलाफ धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज किया है। सीमा जोशी निवासी इंदिरा नगर कॉलोनी ने बताया कि मैक्स लाइफ इंश्योरेंस से कुछ समय पहले उन्होंने एक बीमा पॉलिसी ली थी। इसकी वार्षिक किस्त उनके बैंक खाते से स्वत: कट जाती है। 28 अगस्त को राजेश मित्तल नाम के शख्स ने उन्हें फोन किया और कहा कि अगर आप पॉलिसी का भुगतान नेफ्ट के जरिये करेंगी तो किस्त कम हो जाएगी। राजेश की बातों में आकर सीमा ने उसके बताए बैंक खाते में नेफ्ट के जरिये तीन लाख 39 हजार 261 रुपये भेज दिए। कुछ दिन बाद उन्हें पता चला कि उक्त धनराशि कंपनी के पास पहुंची ही नहीं।

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