चंपावत स्थापना दिवस : 24 साल तक अधूरे रहे सपने, 25वें साल में उम्मीदों को लगे पंख

चंपावत जिला 25 साल में का हो गया है। 15 सितंबर 1997 को पिथौरागढ़ जिले से अलग कर चंपावत जिला बनाया गया था। इन 25 सालों में जिले को विकास की काेई किरण नहीं दिखाई दी। अब मुख्यमंत्री धामी यहां से विधायक बने हैं तो उम्मीदें पंख फैला रही हैं।

By Rajesh VermaEdited By: Publish:Wed, 14 Sep 2022 10:41 PM (IST) Updated:Wed, 14 Sep 2022 10:41 PM (IST)
चंपावत स्थापना दिवस : 24 साल तक अधूरे रहे सपने, 25वें साल में उम्मीदों को लगे पंख
15 सितंबर 1997 को चंपावत को नया जिला बनाया गया था।

विनोद चतुर्वेदी, चम्पावत : 24 साल तक विकास के पथ पर दौड़ के लिए कशमकश, सफलता और असफलता से दो चार, लेकिन हर मुमकिन कोशिश के बाद भी लक्ष्य आंखों से ओझल। यह बानगी है चंपावत जिले की। 15 सितंबर को जिला 25वें साल में प्रवेश कर गया है, लेकिन अभी तक न तो शहरों की सूरत बदली है और न गांवों की सीरत।

चंपावत का विधायक बना सीएम, यही उपलब्धि

जिले की स्थापना के बाद विकास कार्यों में अरबों रुपया पानी की तरह बहा दिया गया है, लेकिन विकास धरातल से गायब है। दुर्भाग्य यह है कि आज भी स्थानीय संसाधनों पर यहां के लोगों को उनका हक, हकूक तक नहीं मिल पाया है, लेकिन 25वें साल में जिले के विकास का सूर्य उदय होता दिख रहा है। इसका कारण राज्य के मुख्यमंत्री का चंपावत का विधायक होना है। यही जिले के लोगों के लिए बड़ी उपलब्धि भी है।

1997 में बना था जिला

15 सितंबर 1997 को पिथौरागढ़ जिले से अलग कर चंपावत को नया जिला बनाया गया था। उम्मीद थी कि जिला बनने के बाद यहां बुनियादी सुविधाओं का विकास होगा और लोगों को स्थानीय संसाधनों से रोजगार मिलेगा। कई दूरस्थ ग्रामीण क्षेत्रों में चिकित्सा, शिक्षा, पेयजल, बिजली, सड़क जैसी बुनियादी सुविधाएं राम भरोसे हैं। तंत्र की काहिली और नीति नियंताओं की अक्षमता के कारण हर साल गांवों से पलायन हो रहा है।

दूरस्थ गांवों में आज भी संचार सुविधा नहीं

विफलता की बानगी एक उदाहरण यह है कि जिले के दूरस्थ गांवों में आज भी संचार सुविधा नहीं है। राज्य बनने के बाद यहां भाजपा व कांग्रेस की सरकारें आईं, लेकिन जिले का नियोजित विकास कोई भी पार्टी नहीं कर सकी। ऐसा भी नहीं कि इन वर्षों में जिले का कुछ भी विकास नहीं हुआ। कई गांवों में सड़क नहीं है तो कई गांव पेयजल, स्वास्थ्य, बिजली की कमी और जंगली जानवरों के आतंक से जूझ रहे हैं।

25वां साल लाया उम्मीद की नई किरण

इस वर्ष जिले के लिए सबसे बड़ी उपलब्धि यह रही कि राज्य के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी चम्पावत विधान सभा से उप चुनाव जीतकर यहां के विधायक बने। विधायक बनते ही यहां विकास कार्यों में काफी तेजी आई है। वर्षों पुरानी कई मूलभूत समस्याओं का समाधान हो चुका है तो कई लंबित और ज्वलंत समस्याएं मुख्यमंत्री की घोषणा में शामिल कर दी गई हैं।

सौ दिन में 61 घोषणाएं

मुख्यमंत्री धामी के चंपावत से विधायक चुने जाने के बीते शनिवार को सौ दिन पूर हो गए। इन सौ दिनों में सीएम धामी ने अपनी विधानसभा में चार दौरे कर चम्पावत विधानसभा में विकास की नींव रखी और चम्पावत को विकास के पथ पर अग्रसर किया। सीएम ने इन सौ दिनों में जिले के विकास हेतु की 61 घोषणाओं की हैं। इनमें अनेक घोषणाओं के शासनादेश व स्वीकृति मिलने के साथ ही उन्हें धरातल पर लाए जाने के लिए तत्परता से कार्य शुरू हो गया है।

इन विकास कार्यों में तेजी हो रहा काम

जिला अस्पताल में क्रिटिकल केयर यूनिट की स्थापना। टनकपुर में आईएसबीटी की तर्ज पर बस अड्डे के निर्माण। बनबसा में मिनी स्टेडियम निर्माण। जिला मुख्यालय में शूटिंग रेंज, बनबसा में गैस एजेंसी का निर्माण। चम्पावत के पर्यटन आवास गृह का निर्माण। चाय बागान से हिंगला देवी मंदिर तक रोपवे मार्ग। सिप्टी वाटरफाल का सुदरीकरण एवं गूल निर्माण। चम्पावत में पैराग्लाइडिंग के लिए भौतिक संरचना एवं प्रशिक्षण कार्य। एडवेंचर पार्क का निर्माण। प्रमुख मंदिरों को मानस खंड कॉरिडोर के रूप में विकसित करना। मां पूर्णागिरि मंदिर क्षेत्र व देवीधुरा मंदिर क्षेत्र का विकास। शारदा नदी के दाएं पाश्र्व में घसियारामंडी बस्ती में शारदा नदी के किनारे बाड़ सुरक्षा कार्य। चंपावत-ढकना. मौरलेख-मल्लधिमास-बजौन-खेतीखांन मोटर मार्ग का निर्माण। चंपावत में हिगलादेवी मंदिर मोटर मार्ग का चौड़ीकरण व सुधारीकरण। ककरालीगेट-ठुलीगाड़ भैरव मंदिर मोटर मार्ग को राज्य मार्ग के रूप में परिवर्तित करना। सूखीढांग-डांडा-मीनार-रीठा साहिब मार्ग को राज्य मार्ग के रूप में परिवर्तित करना। टनकपुर में नवनिर्मित नए ट्रामा सेंटर में नए फर्नीचर आदि की व्यवस्था करना। टनकपुर इंजीनियरिंग कालेज को आइआइटी बनाने के लिए प्रस्ताव केंद्र को भेजा गया। चंपावत में एआरटीओ तकनीकि कार्यालय खोलना। चंपावत में जिम कार्बेट ट्रेल तैयार करना। चंपावत. एकहथिया नौला-मायावती ट्रेक मार्ग का निर्माण करना। जिले के 100 सरकारी विद्यालयों का रूपांतरण करना।

अब भी मुंह बाए खड़ी हैं ये समस्याएं

बनबसा एवं भिगराड़ा.को ब्लाक का दर्जा नहीं मिला। टनकपुर स्थित मां पूर्णागिरि धाम को ट्रस्ट का दर्जा नहीं मिला। चंपावत में फायरब्रिगेड एवं मेडीकल कालेज की स्थापना नहीं हुई। चंपावत में खेल स्टेडियम नहीं बना और न ही मास्टर प्लान लागू हो पाया। लोहाघाट, टनकपुर में नजूल, खाम की भूमि फ्री होल्ड नहीं हो पाई। तहसील, उपतहसीलों में नायब तहसीलदार, तहसीलदार, एसडीएम के पद अभी भी खाली हैं। पर्यटन के लिहाज से पर्यटक स्थलों का विकास नहीं हो पाया। महाविद्यालयों, माध्यमिक एवं प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षक, शिक्षणेत्तर कर्मियों की कमी। स्वास्थ्य सुविधाओं का विकास अभी तक नहीं हुआ। कई अस्पताल आज भी रेफर सेंटर बने हैं। टनकपुर व लोहाघाट में ट्रामा सेंटरों का संचालन नहीं हो पाया। दूरस्थ गांवों में अभी भी सड़कों का अभाव। लोहाघाट में एलएलबी कैंपस की स्थापना नहीं हुई। इसकी घोषणा सीएम विजय बहुगुणा ने की थी।

इन अधिकारियों ने किया पारदर्शी विकास का प्रयास

शुरुआत में जिले का विकास नियोजित व पारदर्शी तरीके से हुआ। कई क्षेत्रों में आज भी विकास वास्तविक रूप में दिख रहा है तो इसका श्रेय जिम्मेदार और ईमानदार अधिकारियों को जाता है। जिले के पहले डीएम नवीन शर्मा, डीएम तारकेंद्र वैष्णव, गोपाल कृष्ण द्विवेदी, अवनेंद्र नयाल, श्रीधर बाबू अद्दांकी, डा. अहमद इकबाल, रणबीर चौहान, एसएन पांडेय, विनीत तोमर और अब नरेंद्र सिंह भंडारी विकास कार्यों को तेजी से आगे बढ़ाने में जुटे हुए हैं। इसके अलावा एसडीएम रहे जेसी कांडपाल, पुलिस कप्तान कृष्ण कुमार वीके, अनंत शंकर ताकवाले, आरसी राजगुरु, लोकेश्वर सिंह को लोग उनकी बेहतरीन सेवाओं के लिए आज भी याद करते हैं। वर्तनाम में पुलिस कप्तान के रूप में देवेंद्रा पींचा अपनी कार्यप्रणाली से जिले की कानून, यातायात व्यवस्था को चाक चौबंद रखने एवं मादक पदार्थों की तस्करी पर अंकुश लगाने में सफल साबित हो रहे हैं।

क्या बोले विधायक

आज चंपावत जनपद युवा अवस्था में आगे बढ़ रहा है, लेकिन विकास की जिस उम्मीद से जिले को बनाया गया था वह नहीं दिख रहा है। मुख्यमंत्री के चम्पावत से विधायक होने से जनपद विकास के लिहाज से दो भागों में बंट गया है। लोहाघाट में विकास कार्य शून्य हो गए हैं। आज तक लोहाघाट के लोगों को सरकार साफ व स्वच्छ पानी नहीं पिला सकी। प्रशासन हावी हो गया है। विकास के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति हो रही है। हमारा प्रयास है कि चंपावत की तरह लोहाघाट भी विकास के पथ पर अग्रसर हो।

- खुशाल सिंह अधिकारी, लोहाघाट विधायक

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