बरसात ने खोली आपदा नियंत्रण तैयारियों की पोल

वर्षा से तबाही मचानी शुरू कर दी है। जिससे स‍िस्‍टम की काह‍िली भी उजागर हो रही है।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 01 Jul 2022 04:35 PM (IST) Updated:Fri, 01 Jul 2022 04:35 PM (IST)
बरसात ने खोली आपदा नियंत्रण तैयारियों की पोल
बरसात ने खोली आपदा नियंत्रण तैयारियों की पोल

बरसात ने खोली आपदा नियंत्रण तैयारियों की पोल

जागरण संवाददाता, बागेश्वर : बरसात ने तबाही मचानी शुरू कर दी है। जिससे सिस्टम की काहिली भी उजागर हो रही है। भूस्खलन से प्रभावित कपकोट के कुंवारी गांव के लोगों का 2013 से अब तक विस्थापन नहीं हो सका है। वहीं, सुमगढ़ शिशु मंदिर में 18 अगस्त 10 में आई आपदा से 18 बच्चे जिंदा जमींदोज हो गए थे। वर्तमान में बारिश के लिए जिले को अलर्ट किया गया है।

बारिश से सबसे अधिक नुकसान ग्रामीण क्षेत्रों को हो रहा है। रास्ते भूस्खलन की भेंट चढ़ गए हैं। खड़िया खदान क्षेत्रों से बारिश के साथ बहकर आने वाला मलबा भी ग्रामीण इलाके के लिए सिरदर्द बना है। सरयू और गोमती नदी किनारे बसे नगर को भी नदियों में बढ़ रहे पानी से खतरा मंडराने लगा है। अधिकतर घर, दुकान आदि प्रतिष्ठान नदी किनारे बने हुए हैं। मंडलसेरा, जीतनगर में स्थानीय गधेरा लोगों के लिए परेशानी का सबब बनने लगा है। नगर को आपदाओं से बचाने के लिए जिला विकास प्राधिकरण के तहत बने नियम भी प्रभावी नहीं हो सके हैं।

हादसा याद आते ही सिहर उठते हैं लोग

सुमगढ़ गांव स्थित सरस्वती शिशु मंदिर में 18 अगस्त 2010 को हुई घटना से अब भी लोग सिहर उठते हैं। अतिवृष्टि से सरस्वती शिशु मंदिर का भवन मलबे से पट गया था। जिससे 18 मासूम बच्चों को काल कवलित होना पड़ा था। हादसे के बाद कुछ समय तक शोक, संवेदनाओं का दौर चला। स्वजनों को राहत राशि दी गई। हर साल हादसे की बरसी पर बच्चों की याद में स्थापित स्मृति स्तंभ पर श्रद्धांजलि दी जाती है लेकिन इन मासूमों के माता-पिता और परिजनों के दिल के घाव आज भी हरे हैं।

संवेदनशील है कपकोट

जिले में आपदा की दृष्टि से कपकोट विकासखंड अति संवेदनशील है। कपकोट में अतिवृष्टि की घटनाएं सामने आती रही हैं। जिला आपदा प्रबंधन विभाग के अनुसार 2005 में कपकोट के सुडिंग में अतिवृष्टि से तीन लोग मारे गए थे। 2013 में पोथिंग में भी तीन लोग मारे गए। 2013 में कपकोट के बमसेरा में तीन लोगों की मौत हो गई थी। वहीं, कुंवारी में पहाड़ी दरकने के बाद अभी तक ग्रामीण पुर्नवास के इंतजार में हैं।

जिला भूकंप और भूस्खलन की दृष्टि से जोन पांच में आता है। बारिश की आशंका से पूर्व लोगों को हाई अलर्ट किया जाता है। सड़क, बिजली, पानी आदि को नुकसान होने पर उसकी मरम्मत प्राथमिकता के अनुसार की जाती है। आपदा कंट्रोल रूम सात दिन 24 घंटे काम कर रहा है।

- विनीत कुमार, डीएम, बागेश्वर

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