..तो रवि की फसल के लिए अच्छी होगी बारिश

जागरण संवाददाता, बागेश्वर : मानसून सत्र 15 सितंबर को चला गया। बावजूद तीन दिन से लगातार मेघ बरस

By JagranEdited By: Publish:Mon, 24 Sep 2018 04:07 PM (IST) Updated:Mon, 24 Sep 2018 04:07 PM (IST)
..तो रवि की फसल के लिए अच्छी होगी बारिश
..तो रवि की फसल के लिए अच्छी होगी बारिश

जागरण संवाददाता, बागेश्वर : मानसून सत्र 15 सितंबर को चला गया। बावजूद तीन दिन से लगातार मेघ बरस रहे हैं। बरसात से खरीफ की फसल को नुकसान होने की प्रबल संभावना है। जिसके लिए कृषि विभाग ने टीम तैयार कर ली है और फसल नुकसान जायजा लिया जा रहा है। बीमा कंपनी और कर्मचारी संयुक्त निरीक्षण करेंगे। इधर कृषि वैज्ञानिक बरसात को रवि की फसल के लिए अच्छी बता रहे हैं। जिले में सितंबर में औसतन बारिश इस साल अधिक हो रही है। धान, मडुवा, मदिरा आदि फसलों को नुकसान होने की आशंका बनी हुई है। किसान हताश और निराश हैं। मडुवा और मदिरा किसानों ने घरों में रखा हुआ है और कुछ अभी खेतों में भी पड़ा है। धान की फसल लगभग पूरी तैयार हो गई है जबकि गरुड़ क्षेत्र में रोपाई देर में होने से वहां अभी अधिकतर धान की फसल खड़ी है। बारिश होने से वह ढहने लगी है। कृषि विभाग के अनुसार बड़े धान गिरने और फफूद लगने से किसानों को नुकसान हो सकता है। ------- धान की फसल खतरे में मुख्य कृषि अधिकारी वीके मौर्य ने बताया कि धान की फसल को खतरा हो सकता है। धान कटा हुआ है कुछ अभी खड़ा है। प्रधानमंत्री बीमा के योजना के तहत किसानों को नुकसान की भरपाई की जाएगी। बीमा कंपनी, कर्मचारी आदि को निर्देश दिए गए हैं। पहले सर्वे कराई जा रही है। कृषि रक्षा अधिकारी को दवा आदि छिड़काव के भी निर्देश दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि रवि फसल चक्र से सभी किसान प्रधानमंत्री बीमा योजना के तहत फसल का बीमा करा लें। ---------- सब्जी उत्पादन अच्छा होगा जिला उद्यान अधिकारी तेज पाल ¨सह ने बताया कि बारिश से सब्जियों का उत्पादन अच्छा होगा। कास्तकारों को इस समय पालक, लाही, राई, मूली, मटर, धनिया, मेथी, बाकुला, प्याज की पौध, बंद और फूल गोभी के लिए बरसात अच्छी साबित हो सकती है। .......... रवि की फसल के लिए यह बारिश अच्छी साबित हो सकती है। धान और घास यदि भीगता है तो फफूदी जनित बीमारी लग सकती है। चार-पांच दिन के अतंराल में किसान मसूर की बुवाई कर सकते हैं। किसानों को वैज्ञानिक खेती के लिए प्रेरित किया जा रहा है। -डॉ. एनके ¨सह, कृषि वैज्ञानिक, बागेश्वर

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