पहाड़ में पैदा होने वाला मडुवा अब बच्चों के मिड-डे-मील से लेकर देश-विदेश तक

महिला समूह अध्यक्ष तारा देवी ने बताया कि हमारे समूह से 20 गांवों की 954 महिलाएं जुड़ी हैं। प्रधानमंत्री ने हमारे उत्पाद एवं प्रयास दोनों की सराहना की तो हमारा जोश और बढ़ गया। कोरोना के दौरान काम की धीमी हो गई थी।

By Jagran NewsEdited By: Publish:Sat, 12 Nov 2022 03:36 PM (IST) Updated:Sat, 12 Nov 2022 03:36 PM (IST)
पहाड़ में पैदा होने वाला मडुवा अब बच्चों के मिड-डे-मील से लेकर देश-विदेश तक
बागेश्वर के मुनार में बिस्किट के लिए रेपर तैयार करतीं महिलाएं। जागरण

घनश्याम जोशी, बागेश्वर। पहाड़ में पैदा होने वाला मडुवा अब बच्चों के मिड-डे-मील से लेकर देश-विदेश तक पहुंचने लगा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कपकोट तहसील के मुनार गांव के मडुवा बिस्किट उद्यम को मन की बात में सराहा था। अब फिर से पीएम ने मोटे अनाजों को प्रोत्साहन देने की मुहिम शुरू की है। इससे प्रेरित होकर महिला समूह ने भी काम को और गति दी है। वर्तमान में बिस्किट आंगनबाड़ी केंद्रों के अलावा कौसानी और दिल्ली तक पहुंचने लगे है। बिस्किट इलाहाबाद की एक कंपनी के जरिये विदेश तक भी पहुंचे हैं।

फसल नहीं, उत्पाद की रणनीति

मुनार गांव की मां चिल्ठा आजीविका स्वायत्त सहकारिता समूह की अध्यक्ष तारा देवी बताती हैं कि जिले के कपकोट क्षेत्र में मडुवा, चौलाई, मक्का, जौ आदि मोटे अनाज का ग्रामीणों का उचित बाजार मूल्य नहीं मिल पाता था। ऐसे में इन पारंपरिक फसलों का उत्पादन जानवरों के लिए चारे के रूप में किसान अधिक करने लगे। इसी को देखते हुए हमारी संस्था ने मडुवा (फिंगर मिलेट) से आय सृजन का रास्ता तलाशा। कपकोट के ग्रामीणों को अपनी फसल बाजार में बेचने के बजाय समूह को उपलब्ध कराने के लिए प्रेरित किया। इसके बाद इससे बिस्किट्स, नमकीन और दूसरे बेकरी उत्पाद तैयार किए। पोषक तत्वों से भरपूर मडुओं के इन बिस्किटों के माध्यम से स्वरोजगार की गाड़ी चल पड़ी। साल भर में औसत 27 से 30 क्विंंटल बिस्किट तैयार होते हैं। आज महिला समूह संगठित होकर न केवल हर वर्ष 10 से 15 लाख रुपये कमा रहा हैं, बल्कि 900 से अधिक किसानों को प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से जोड़कर उन्हें भी कमाई का अवसर दे रहा है। हाल ही में उत्तराखंड सरकार ने भी समूह के प्रयास को देखते हुए मां नंदादेवी वीरता सम्मान से देहरादून में सम्मानित किया।

बागेश्वर के मुनार में महिला समूह द्वारा तैयार बिस्किट। जागरण

बड़े शहरों तक बनाई पहुंच

विश्व प्रसिद्ध पिंडारी व सुंदरढूंगा ग्लेशियर वाले बागेश्वर जिले में लगभग 30 हेक्टयेर भूमि में मडुवा की खेती होती है। 25 हजार से अधिक किसान इसकी खेती से जुड़े हैं। मुनार गांव में स्थित मडुवा बिस्किट की फैक्ट्री से दिल्ली, देहरादून, बेंगलुरु व इलाहाबाद तक मडुवा के बिस्किट पहुंच रहे हैं। बागेश्वर के सरस मार्केट, कौसानी, रुद्रपुर, देहरादून में भी समूह के स्टाल हैं। हिलांस संस्था भी विपणन में सहयोगी है। उत्पादों के विपणन में सहयोग कर रहे जनशिक्षण संस्थान के निदेशक डा. जितेंद्र तिवारी ने बताया कि मडुवा में कैल्शियम, फास्फोरस, आयरन, विटामिन ए, प्रोटीन, वसा, कार्बोहाइट्रेड व अमीनो अम्ल की प्रचुर मात्रा होती है।

महिला समूह अध्यक्ष तारा देवी ने बताया कि हमारे समूह से 20 गांवों की 954 महिलाएं जुड़ी हैं। प्रधानमंत्री ने हमारे उत्पाद एवं प्रयास दोनों की सराहना की तो हमारा जोश और बढ़ गया। कोरोना के दौरान काम की धीमी हो गई थी। इसके बाद नवंबर में दिल्ली से 800 पैकेट की डिमांड मिली है। लखनऊ, जयपुर, मुंबई, इलाहाबाद आदि बड़े शहरों से भी मांग आ रही है।

chat bot
आपका साथी