21वर्षो से 21वीं सदी को व्यसनमुक्त बनाने को चला रहे अभियान

संवाद सूत्र, गरुड़ : समाज में कुछ लोग ऐसे हैं, जो अन्य लोगों को व्यसनों से मुक्त करने के लिए औ

By JagranEdited By: Publish:Mon, 22 Oct 2018 11:00 PM (IST) Updated:Mon, 22 Oct 2018 11:00 PM (IST)
21वर्षो से 21वीं सदी को व्यसनमुक्त बनाने को चला रहे अभियान
21वर्षो से 21वीं सदी को व्यसनमुक्त बनाने को चला रहे अभियान

संवाद सूत्र, गरुड़ : समाज में कुछ लोग ऐसे हैं, जो अन्य लोगों को व्यसनों से मुक्त करने के लिए और एक स्वस्थ और व्यसनमुक्त समाज बनाने के लिए जागरूक करने का काम वर्षो से कर रहे हैं। उन्हीं लोगों में से एक हैं एडवोकेट डीके जोशी।

तहसील के ग्राम दर्शानी निवासी डीके जोशी वर्तमान में उच्च न्यायालय नैनीताल में एडवोकेट हैं। वे 15 अगस्त 1997 से मिशन 21 अभियान चलाकर समाज को व्यसनमुक्त करने में लगे हैं। अपने जन्मदिन 21 अक्टूबर 2004 को उन्होंने पहली बार व्यसनमुक्त लोगों को सम्मानित करने का एक कार्यक्रम किया जो अनवरत जारी है। यह कार्यक्रम अब वर्ष 2015 से प्रतिवर्ष कत्यूर घाटी में किया जाता है। वे 21वर्षो से इक्कीसवीं सदी को व्यसनमुक्त बनाने के लिए नशे के खिलाफ मिशन 21 अभियान चला रहे हैं।

गरुड़ तहसील के ग्राम दर्शानी निवासी डीके जोशी वर्तमान में उत्तराखंड उच्च न्यायालय में अधिवक्ता हैं। 21 अक्टूबर 1972 को मुम्बई में पैदा होने के बाद भी उन्होंने पहाड़ को अपनी कर्मभूमि बनाया। गरीब परिवार से ताल्लुक रखने वाले जोशी को कई कंपनियों ने नौकरी के कई ऑफर दिए, लेकिन उन्होंने मिशन 21 के तहत समाज को व्यसनमुक्त करने का बीड़ा उठाया। जोशी ने दैनिक जागरण को बताया कि उन्होंने बचपन से अभी तक नशे को हाथ नहीं लगाया। उनका यहीं सपना है कि 21वीं सदी में युवा नशे से दूर रहें और समाज व्यसनमुक्त हो। अपने इसी सपने को वे साकार करने में लगे हैं।

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जनहित याचिका लगाकर कर रहे सेवा

अधिवक्ता डीके जोशी जनहित याचिका दायर कर समाज की सेवा कर रहे हैं। वे मामले की खुद ही पैरवी करते हैं। 2011 में उत्तराखण्ड के प्रशिक्षित बेरोजगारों को टीईटी में स्नातक स्तर में 50 प्रतिशत अंकों की बाध्यता समाप्त करने का श्रेय भी उन्हें जाता है। वर्ष 2015 में उन्होंने गरुड़ को कूड़े की समस्या से निजात दिलाने के लिए हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की। कोर्ट के फैसले के बाद अब प्रशासन कूड़े के लिए जमीन की तलाश में जुट गया है। इससे पूर्व उन्होंने वर्ष 2006 में सार्वजनिक स्थानों में धूमपान, शैक्षणिक संस्थानों के आसपास सौ मीटर के दायरे में बिक रहे तंबाकू उत्पादों के खिलाफ जनहित याचिका दायर की। आज स्कूलों के आसपास तंबाकू उत्पादों की बिक्री पर प्रतिबंध लग चुका है।

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कहां से मिली प्रेरणा

सामाजिक क्षेत्र में पहले से ही कार्य कर रहे एडवोकेट डीके जोशी ने बताया कि बचपन में गांव के कई लोगों को शराब की बुरी लत में देख और उनके बच्चों व महिलाओं की दुर्दशा से मन बहुत आहत हो गया। इसी से प्रेरणा मिली। तभी से मन में यह बात घर कर गई कि नशा बुरी चीज है। इसलिए संकल्प लिया कि मैं जीवन में न केवल नशे से दूर रहूंगा बल्कि इसके खिलाफ लड़ाई भी लड़ूंगा।

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