22 हाथ लंबी मशाल लेकर द्यौलीनाग पहुंचे भक्त

नवरात्र पर बागेश्वर के धौलीनाग मंदिर में 22 हाथ लंबा मशाल लेकर श्रद्धालु पहुंचे तो माहौल भक्तिमय हो गया

By JagranEdited By: Publish:Thu, 22 Oct 2020 05:01 PM (IST) Updated:Thu, 22 Oct 2020 05:01 PM (IST)
22 हाथ लंबी मशाल लेकर द्यौलीनाग पहुंचे भक्त
22 हाथ लंबी मशाल लेकर द्यौलीनाग पहुंचे भक्त

जागरण संवाददाता, बागेश्वर: नवरात्र पर विजयपुर के धौलीनाग मंदिर में दिन रात का जागरण आयोजित किया गया। परंपरा के अनुसार 22 हाथ लंबी मशाल लेकर ग्रामीण मंदिर पहुंचे और देव डागर क्षेत्र की सुख-समृद्धि के लिए अवतरित हुए। मंदिर में सुबह से पूजा अर्चना करने वालों का तांता लगा रहा। कोरोना वायरस संक्रमण से बचाव और रोकथाम के लिए मेले का आयोजन नहीं हो सका। जनपद में धौलीनाग देवता को सर्मिपत एक पुराना मंदिर है। धौलीनाग मंदिर विजयपुर के पास एक पहाड़ी के शीर्ष पर स्थित है। धौलीनाग मंदिर मे रोजाना पूजा होती है और कुछ खास दिनों मे बहुत भीड़-भाड़ होती है, मुख्य रूप से नवरात्रि के दौरान तो यह भक्तों से भरा रहता है। प्रत्येक नाग पंचमी को मंदिर में मेला लगता है। नवरात्र में पंचमी के दिन कांडा-कमस्यार के 22 गांवों के लोग यहां 22 हाथ लंबी चीड़ के छिलके से बनी मशाल जलाकर उसे मंदिर पहुंचते हैं। कोरोना वायरस संक्रमण के कारण मेला आयोजित नहीं किया गया लेकिन जागरण में भक्तजन शामिल हुए।लोक मान्यता है कि जब धौलीनाग भगवान इस पहाड़ी में आए तो उन्होंने ग्रामीणों को आवाज देकर अपने पास बुलाया था। आवाज सुनकर रात में ही धपोलासेरा के धपोला लोग 22 हाथ लंबी चीड़ के छिलके से बनी जलती मशाल को हाथ में लेकर मंदिर क्षेत्र में पहुंचे तो वहां पंचमी के नवरात्र पर्व पर एक दिव्यशिला मिली, जिसे उन्होंने शिला को शक्ति रूप में स्थापित कर दिया। यह परंपरा आज भी निभाई जा रही है। ---------- इन गांवों के लोग होते हैं शामिल पोखरी, धपोलासेरा, मिथुनकोट, नाग कन्याल, खंतोली, भंडारीसेरा, ढपटी, हथरसिया, कांडा, नारायणगूंठ सहित क्षेत्र के 22 गांवों के लोग चीड़ के छिलके की मशाल तैयार करते हैं, जिसे लेकर धपोलासेरा के लोग गाजे-बाजे के साथ मंदिर के लिए निकलते हैं।

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