बुद्धपूर्णिमा पर स्नान कर शिव की अराधना

बुद्ध पूर्णिमा पर बागनाथ मंदिर में भक्तों पूजा-अर्चना की। सुबह से ही श्रद्धालुओं के आने-जाने का क्रम जारी रहा। लोगों ने सरयू संगम पर स्नान करने के बाद शिव को जल चढ़ाया।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 16 May 2022 04:01 PM (IST) Updated:Mon, 16 May 2022 04:01 PM (IST)
बुद्धपूर्णिमा पर स्नान कर शिव की अराधना
बुद्धपूर्णिमा पर स्नान कर शिव की अराधना

जागरण संवाददाता, बागेश्वर : बुद्ध पूर्णिमा पर बागनाथ मंदिर में भक्तों पूजा-अर्चना की। सुबह से ही श्रद्धालुओं के आने-जाने का क्रम जारी रहा। लोगों ने सरयू संगम पर स्नान करने के बाद शिव को जल चढ़ाया। अधिकांश लोगों ने मंदिर में पुरोहितों से पूजा करा सुख शांति की कामना की।

सोमवार सुबह से भक्तों ने सरयू नदी के पावन जल से स्नान किया। सूर्यदेव को जल अर्पण कर मां सरयू की पूजा की। भक्तों ने भगवान शिव का जलाभिषेक कर पूजा की। पंडितों ने मंदिर परिसर में मौजूद भक्तों की मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए पाठ करवाया। ईश्वर से सुख, शांति और सौभाग्य देने की कामना की। पंडित मोहन चंद्र लोहनी ने बताया कि बुद्ध पूर्णिमा पर स्नान, पूजा और दान का विशेष महत्व है। सच्चे मन से की गई पूजा से भगवान प्रसन्न होकर भक्त की सभी मनोकामनाओं को पूरा करते हैं। इधर, गरुड़, दुग नाकुरी, कांडा, काफलीगैर आदि के देवालयों में भी बुद्ध पूर्णिमा पर भक्तों ने पूजा अर्चना की। बुद्ध पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु धरती पर हुए थे अवतरित

बुद्ध पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु ने धरती पर बुद्ध के रूप में अवतार लिया था। भगवान बुद्ध ने ज्ञान प्राप्त कर समाज को नई दिशा प्रदान की थी। भगवान बुद्ध से ज्ञान प्राप्त करने की कामना के लिए बुद्ध पूर्णिमा भगवान बुद्ध की आराधना की जाती है। सनातन धर्म के अनुसार बुद्ध पूर्णिमा पर गंगा स्नान का विशेष महत्व है। भद्रतुंगा और तप्तकुंड में मेला

बुद्ध पूर्णिमा पर सरयू घाटी के भद्रतुंगा और तप्तकुंड में मेला लगा। क्षेत्र के तमाम गांवों से श्रद्धालु भोलेनाथ के दर्शन को उमड़े। उन्होंने सरयू नदी के पावन जल में स्नान किया। इस दौरान जनेऊ, श्राद्ध, तर्पण आदि कार्यक्रम भी हुए। कपकोट तहसील मुख्यालय से तप्तकुंड की दूरी 12 और भद्रतुंगा की 28 किमी है। इन स्थानों में सरयू किनारे भगवान शिव के मंदिर स्थापित हैं। मेले में क्षेत्र के सूपी, लाहुर, मुनार, सौंग, भराड़ी सहित क्षेत्र के 50 से अधिक गांवों से लोग भागीदारी की।

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