6 वन रेंजों में 29 क्रू स्टेशन स्थापित
जागरण संवाददाता बागेश्वर गर्मी के मौसम में वनाग्नि की घटनाओं को रोकने के लिए वन विभाग ने
जागरण संवाददाता, बागेश्वर: गर्मी के मौसम में वनाग्नि की घटनाओं को रोकने के लिए वन विभाग ने कमर कस ली हैं। जंगलों को आग से बचाने के लिए जिले के 6 वन रेंजों में 29 क्रू स्टेशन बनाए गए है।
बागेश्वर जिले का भौगोलिक क्षेत्रफल 2310 वर्ग किमी है। वनों का क्षेत्रफल 1064 वर्ग किमी है। जिसमें वनों की मुख्य प्रजातियों में चीड़ लगभग 80 प्रतिशत है तथा 20 प्रतिशत अन्य प्रजातियां है। प्रभागीय वनाधिकारी बीएस साही ने बताया कि पिछली दावाग्नि की घटनाओं से सबक लेते हुए इस वर्ष भी अग्नि प्रवाहित क्षेत्रों में वाचटावर के साथ ही मैन पावर बढ़ाए जाएंगे। वन पंचायतों का सहयोग के साथ-साथ जनजागरूकता बढ़ाने के प्रयास किए जा रहे हैं। वनाग्नि से वनस्पतियों के साथ-साथ कई प्रजातियां लुप्त हो जाती है। आरक्षित वन, सिविल वन, पंचायती वनों में लगने वाले आग को रोकने के लिए जिले के प्रत्येक ग्राम पंचायतों में राजस्व विभाग, ग्राम पंचायत विकास अधिकारी एवं ग्राम विकास अधिकारी एवं ग्राम प्रहरी, ग्राम प्रधान, अध्यक्ष महिला मंगल दल, एवं युवक मंगल दल के प्रतिनिधियों के साथ ग्राम पंचायतों में बैठक की जाएगी। वनों में आग लगने का कारण वनों को आग लगने का मुख्य कारण जलती हुई बीड़ी, सिगरेट या माचिस की तिल्ली फैंकना है। राहगीर गर्मी के समय टार्चवुड जलाकर ले जाने, जली हुई आग छोड़ने से, जंगलों के आस-पास खाना बनाने के बाद आग छोड़ने, या कृषि उपज के बाद खेतों में अवशिष्ट को जलाने से वन क्षेत्र में आग लगती है। तथा कुछ लोग हरी घास प्राप्त करने के लिए भी जानबूझ कर जंगलों में आग लगा देते है। सड़कों में हो रहे डामरीकरण के दौरान जलती हुई आग को छोड़ने से जंगलों में आग लगती है। आग लगने से जंगल में वनस्पतियों का जल जाना, जलस्रोतों का सूख जाना, वन्य जीवों का आवादी क्षेत्र में आना, पर्यावरणीय नुकसान वनाग्नि दुर्घटनाओं के ही दुष्परिणाम है।
इन जगहों पर होंगे क्रू स्टेशन बागेश्वर रेंज- रैखोली, झिरौली, छतीना, बचीगॉव, कठायतबाड़ा, जौलकांडे,
गढ़खेत रेंज- वच्यूला, जखेड़ा, गढखेत, सालनी, जिन्तोली, कपकोट रेंज में जखेडा, जगथाना, कपकोट, पुंगर,
धरमघर रेंज- कांडा, सानिउडियार, नामतीचेटाबगड़, दोफाड, धरमघर,
बैजनाथ रेंज- पुरड़ा, गरुड़ कौसानी, धौर्नाइ, रौल्याना, हरद्वारछीना, सिरकोट, ग्लेशियर रैंज में लीती, धाकुड़ी।