प्याज की पौध बन रही आजीविका का जरिया

पर्वतीय अंचल में प्याज की खेती के लिए पौध का रोपण कार्य शुरू हो गया है। इससे लोगों को रोजगार का सहारा मिलेगा।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 11 Dec 2019 12:03 AM (IST) Updated:Wed, 11 Dec 2019 06:13 AM (IST)
प्याज की पौध बन रही आजीविका का जरिया
प्याज की पौध बन रही आजीविका का जरिया

जागरण टीम अल्मोड़ा/ रानीखेत : पर्वतीय अंचल में प्याज की खेती के लिए पौध का रोपण कार्य शुरू हो गया है। इससे इन दिनों प्याज की पौध काश्तकारों की आजीविका का जरिया बनी है। जिला मुख्यालय के आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों के काश्तकार अपनी नर्सरी में उगाए गए इन पौधों को विक्रय के लिए ला रहे हैं। पिछले 10 साल पहले जहां प्याज का रकबा मात्र 60 हेक्टेअर था, जो अब बढ़कर 776 हेक्टेअर हो चला है।

जिले के विभिन्न विकास खंडों हवालबाग, ताकुला, द्वाराहाट, चौखुटिया, भिकियासैंण, स्याल्दे, सल्ट, ताड़ीखेत, लमगड़ा, धौलादेवी, भैसियाछाना में प्याज का उत्पादन होता है। इसी के मद्देनजर जिला मुख्यालय के समीपवर्ती गांवों के काश्तकार अपनी नर्सरी में तैयार इन पौधों को विक्रय के लिए ला रहे हैं। ग्राम बल्टा के राजू मेहता ने बताया कि वह प्रतिदिन करीब 100 गड्डी प्याज के पौध की बिक्री कर लेते हैं। इससे वह प्रतिदिन करीब 1000 रुपये कमा लेते हैं। इसी प्रकार प्याज के पौध विक्रेता बलवंत सिंह का कहना था कि वह कम से कम 80 गड्डी पौध बेच लेते हैं।

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जिले के किस ब्लॉक में कितना हेक्टेअर रकबा

ब्लॉक रकबा

हवालबाग 34

द्वाराहाट 48

ताकुला 15

लमगड़ा 22

धौलादेवी 27

चौखुटिया 16

सल्ट 18

भिकियासैंण 16

स्याल्दे 16

भैसियाछाना 18

ताड़ीखेत 46

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जिले में करीब 776 हेक्टेयर में प्याज की खेती की जाती है। काश्तकारों के हितों के लिए विभाग व शासन गंभीर है। उद्यान विभाग की नर्सरियों में भी प्याज की पौध तैयार है। लोगों को 40 रुपए में प्रति हजार पौध उपलब्ध कराए जा रहे हैं।

-त्रिलोकी नाथ पांडे, मुख्य उद्यान अधिकारी, अल्मोड़ा

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