अब पहाड़ के भी अनुकूल बने कृषि कानून

केंद्र सरकार की तीनों कृषि कानून वापस लिए जाने की घोषणा का किसान सामाजिक व राजनीतिक संगठनों ने स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि देर से ही सही किसानों को उनके आंदोलन की जीत मिली। अब नए कृषि कानून पहाड़ के किसानों के हितों को भी देखते हुए बनाए जाएं।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 19 Nov 2021 05:05 PM (IST) Updated:Fri, 19 Nov 2021 05:05 PM (IST)
अब पहाड़ के भी अनुकूल बने कृषि कानून
अब पहाड़ के भी अनुकूल बने कृषि कानून

जागरण संवाददाता, अल्मोड़ा : केंद्र सरकार की तीनों कृषि कानून वापस लिए जाने की घोषणा का किसान, सामाजिक व राजनीतिक संगठनों ने स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि देर से ही सही किसानों को उनके आंदोलन की जीत मिली। अब नए कृषि कानून पहाड़ के किसानों के हितों को भी देखते हुए बनाए जाएं।

कृषि कानूनों को लेकर पूरे देश के साथ अल्मोड़ा में भी विभिन्न किसान व राजनीतिक संगठनों ने आंदोलन किया। भले ही यहां कृषि कानूनों का उतना असर ना रहा हो, लेकिन यहां के लोग भी किसानों के हितों के साथ थे। हर दिन कहीं ना कही कृषि कानूनों और किसानों के आंदोलनों पर चर्चा होती थी। उन्होंने किसान आंदोलन के दौरान शहीद किसानों के प्रति भी शोक संवदेना व्यक्त की है। कहा कि पूरे मामले की जांच भी होनी चाहिए। जिनके परिवारों को नुकसान हुआ सरकार को उनके हित के लिए सकारात्मक कदम उठाने चाहिए।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अन्नदाताओं के हितों में निर्णय लिया है। यह स्वागतयोग्य कदम है। पहले कानूनों में जो कमी रह गई थी, वह किसान संगठनों के साथ मिलकर बातचीत कर दूर कर ली जाएगी। आने वाला कृषि कानून किसानों के हितों में होगा।

- रघुनाथ सिंह चौहान, विधानसभा उपाध्यक्ष कृषि कानूनों को पूंजीपतियों को लाभ पहुंचाने के अनुसार बनाया गया था। जिसके विरोध में किसानों ने आंदोलन किया। कई किसान इस आंदोलन में शहीद हुए। यह आंदोलन उनके त्याग व बलिदान की जीत है। जल्द ही केंद्र सरकार को किसानों के हित में बिल लाना चाहिए। सरकार किसानों के आंदोलन से बैकफुट में आ गई है।

- मनोज तिवारी, पूर्व विधायक, कांग्रेस यह पूरी तरह से किसानों के आंदोलन की जीत है। हम शुरू से किसानों के आंदोलन के साथ रहे। सरकार तानाशाही रवैए पर उतारू हो गई थी। लेकिन लोकतंत्र की ताकत ने आज सत्ता के ताकतवर लोगों को भी झुका दिया। जो किसान आंदोलन में शहीद हुए, लखीमपुर जैसे कांड हुए। अब पूरे मामलों पर जांच भी होनी चाहिए।

- पीसी तिवारी, केंद्रीय अध्यक्ष, उपपा

अन्नदाताओं के हित में सरकार ने एक बार फिर नए तरीके से कृषि कानूनों को लागू करने की बात कही है। यह प्रधानमंत्री मोदी का स्वागत योग्य निर्णय है। अब नए कृषि कानूनों में पहाड़ी राज्यों के काश्तकारों को भी आस जगी है। सरकार को इन राज्यों के छोटी जोत के किसानों के हित को भी ध्यान में रखना चाहिए।

- राजेंद्र बिष्ट, काश्तकार, मकड़ों छोटे काश्तकारों के हितों को भी ध्यान में रखा जाना चाहिए। बिचौलियों से मुक्ति के लिए भी कानून बनना चाहिए। पहाड़ में एक एकड़ से नीचे का कानून है। दस नाली का काश्तकार है। इसलिए काश्तकारों को अपने माल बेचने के लिए पूरी तरह से मुक्ति मिलनी चाहिए।

- डा. रमेश बिष्ट, विशेषज्ञ, हार्टीकल्चर

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