गम और गुस्से के बीच अधिकारियों के छूटे पसीने

भैंसियाछाना ब्लॉक में डुंगरी ग्राम पंचायत के उडल तोक की घटना से ग्रामीणों में उबाल आ गया।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 06 Jul 2020 11:45 PM (IST) Updated:Tue, 07 Jul 2020 06:15 AM (IST)
गम और गुस्से के बीच अधिकारियों के छूटे पसीने
गम और गुस्से के बीच अधिकारियों के छूटे पसीने

संवाद सहयोगी, अल्मोड़ा : भैंसियाछाना ब्लॉक में डुंगरी ग्राम पंचायत के उडल तोक की घटना के विरोध में ग्रामीण सोमवार देर रात तक उग्र प्रदर्शन करते रहे। इस बीच वन क्षेत्राधिकारी संचिता वर्मा टीम के साथ मौके पर पहुंचीं। गुस्साए ग्रामीण आला अधिकारियों को मौके पर बुलाने की जिद पर अड़ गए। वन क्षेत्राधिकारी के साथ ही पूर्व दर्जा राज्य मंत्री बिट्टू कर्नाटक ने ग्रामीणों के साथ बैठ बातचीत की कोशिश की, मगर आक्रोश शांत न हुआ। देर रात तक लोग जंगल में ही डटे रहे। ग्रामीणों का कहना था कि इससे पूर्व क्षेत्र में तीन घटनाएं हो चुकी हैं, लेकिन अभी तक बचाव का ठोस इंतजाम नहीं किया जा सका। अब तो गुलदार को आदमखोर घोषित कर गोली मारने का आदेश दिया जाना चाहिए।

गांव में ही कराया पोस्टमार्टम

विधानसभा उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह चौहान ने डीएम से वार्ता की। तय हुआ कि रात होने के कारण पोस्टमार्टम गांव में ही किया जाएगा। चौहान ने इसे हृदय विदारक घटना बता कहा कि दुख की घड़ी में वह शोक संतप्त परिवार के साथ हैं। विस उपाध्यक्ष ने वनाधिकारियों से गुलदार को नरभक्षी घोषित करने के लिए कहा। साथ ही वन्य जीव प्रतिपालक को इस बारे में लिखने की बात कही। प्रभावित गांव में पिंजड़ा लगाने का भी निर्देश दिया। इधर भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष गोविंद सिंह पिलखवाल, वर्तमान जिलाध्यक्ष रवि रौतेला ने भी घटना पर दुख जताया। सभी ने प्रशासन से प्रभावी कार्रवाई की मांग की।

भूख के कारण आबादी का रुख

वन्य जीव विशेषज्ञ एवं शार्प शूटर लखपत सिंह रावत ने कहा कि जंगल में पर्याप्त भेजन न होने से गुलदार हिसक हो रहे हैं। भूख के कारण आबादी में पहुंच जा रहे हैं। यहां आसान शिकार की तलाश में जनहानि कर रहे हैं।

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..और मातम में बदल गई नामकरण की खुशी

कैचवर्ड :: विडंबना

-सप्ताह पहले जिस गांव में जश्न हुआ, वहां अब मातम

अल्मोड़ा : उडल तोक के जिस घर में सप्ताह भर पहले बेटी के नामकरण की खुशियां मनाई जा रही थीं, वहां अब माहौल गमगीन है। मां हेमा देवी बेटे को आवाज दे गश खाकर गिर जा रही हैं। हौसला रखे पिता की नजर जैसे ही जिगर के टुकड़े के शव पर पड़ी तो वह भी दहाड़े मारकर रोने लगे।

करुड़ क्रंदन से आसपास मौजूद हरेक की आंखें नम कर दीं। पूरा माहौल गम व गुस्से से भर उठा। हर्षित के बाद दीपक सिंह की बेटी हुई। सप्ताह भर पहले ही उसका नामकरण हुआ। दीपक पंतनगर औद्योगिक आस्थान (सिडकुल) की एक फैक्ट्री में काम करता है। अभी लॉकडाउन के कारण घर में ही है। सब कुछ ठीक चल रहा था, मगर सोमवार की शाम नियति ने उसकी खुशियां छीन लीं और मां हेमा देवी की ममता।

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